देश विदेश

संसद में दहला झारखंड में सरना कोड लागू करने और राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग का दहाड़

Advertisement
Advertisement
Advertisement

सिंहभूम की सांसद जोबा माझी ने सिंहभूम में सरना धर्म कोड लागू करने और झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की संसद में रखी मांग                     

चक्रधरपुर। सिंहभूम की सांसद सद में रखी मांग  सांसद जोबा माझी ने सिंहभूम में सरना धर्म कोड लागू करने और झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की संसद में रखी मांग सिंहभूम से नवनिर्वाचित झामुमो सांसद जोबा माझी ने लोकसभा में अपने पहले संबोधन में ही जनजातीय समुदाय और झारखंड प्रदेश से जुड़े विषयों को प्रमुखता से रखा।

जोबा माझी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में झामुमो संसदीय दल के नेता के रूप में बोलते हुए आदिवासियों के अस्तित्व और पहचान के लिए सरना धर्म कोड लागू करने एवं झारखंड प्रदेश के संपूर्ण विकास को लेकर स्पेशल पैकेज देने की मांग की।


यही नहीं सांसद जोबा माझी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार को अर्थव्यवस्था, नीट पेपर लीक, 1975 का आपातकाल बनाम 2014-24 का आपातकाल समेत कई मुद्दों पर आईना भी दिखाया। जोबा माझी ने कहा कि अभिभाषण में स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार की चर्चा तो की गई है।

तकनीकी तौर पर सदन में सरकार को बहुमत तो प्राप्त है, परन्तु जनता की नाराजगी स्पष्ट रूप से व्यक्त हुई है। सरकार देश के मतदाताओं की भाषा को समझ लें, उसके अनुसार अपनी नीतियों, अपने व्यवहार में परिवर्तन लाए, देश और न्याय की बात करें, क्योंकि 18 वीं लोकसभा के चुनावों की भाषा स्पष्ट है कि ये स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार नहीं है।


जोबा माझी ने कहा वह झारखंड के कोल्हान क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो जनजातीय बहुल क्षेत्र है। यहां के आय के साधन, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, पलायन को देखकर यही लगता है कि अर्थव्यवस्था का समतामूलक और न्यायपूर्ण बंटवारे पर अभी हमें और बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

सांसद जोबा माझी ने कहा सरकार ने दस वर्षों में चार करोड़ पीएम आवास का वितरण किया है. लेकिन झारखंड जैसे पिछड़े एवं जनजातीय बहुल राज्य में पीएम आवास योजना नहीं दिया जा रहा है।  राज्य सरकार के द्वारा अपने सीमित संसाधनों से आबुआ आवास की योजना चला रही है, जो राज्य की आवश्यकताओं से काफी कम है। सांसद ने केंद्र सरकार से जीएसटी कलेक्शन से झारखंड के बकाया हिस्से की मांग की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button