बरौद विस्थापन समझौता फाइनल : लंबी जद्दोजहद के बाद 6.31 लाख के पैकेज पर बनी ऐतिहासिक सहमति,

गांव के बीच बस्ती में बैठक एसईसीएल प्रबंधन और विस्थापित परिवारों के बीच बनी सर्वसम्मति;
10 दिनों में एकमुश्त भुगतान व विस्थापित प्रमाण पत्र जारी करने का आश्वासन,
रायगढ़। बरौद गांव के विस्थापन को लेकर लंबे समय से चली आ रही खींचतान, जवाबदेही और बार–बार की बैठकों का सिलसिला आखिरकार खत्म हुआ। बीते 27 नवंबर को हुई बैठक एक निर्णायक मुकाम पर आकर थम गया। गांव के बीचोंबीच बस्ती चौक में आयोजित विशेष बैठक में एसईसीएल रायगढ़ क्षेत्र के महाप्रबंधक की अध्यक्षता में वह सहमति बनी, जिसका ग्रामीण कई महीनों से इंतजार कर रहे थे।
करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में कभी सवालों की तीखी बौछार, कभी शांत समझाइश और कभी गहरे अविश्वास की परते और नाराजगी सब कुछ नजर आया। लेकिन अंत में दोनों पक्षों ने एकमत होकर विस्थापन पैकेज को हरी झंडी दे दी।
अब विस्थापितों के लिए राहत का पैकेज 6.31 लाख की पुष्टि कर दी गई है। एसईसीएल ने पुनर्वास नीति 2012 के तहत प्रभावित परिवारों को कुल ₹6,31,500 की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया, जिसमें शामिल है, 3,00,000 विस्थापन लाभ, 3,00,000 रु बढ़ोत्तरी बोनस/एक्सग्रेसिया और 31,500 रु निर्वाह भत्ता शामिल है। सबसे अहम घोषणा यह रही कि मकान तोड़ने के 10 दिनों के भीतर पूरी राशि एकमुश्त हर पात्र परिवार के खाते में जमा कर दी जाएगी।
ग्रामीणों ने इस बिंदु पर विशेष जोर दिया था और अंततः यह आश्वासन आधिकारिक सहमति में शामिल कर लिया गया जो कई लोगों के लिए राहत की सबसे बड़ी राहत की बात बनी। प्रबंधन की दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा यह राजा है हर विस्थापित को ‘विस्थापित प्रमाण पत्र’ प्रदान किया जाएगा। बैठक में एसईसीएल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक पात्र परिवार को आधिकारिक विस्थापित प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची भी ग्रामीणों को दी गई है।
हालांकि दस्तावेजों की लिस्ट लंबी है, फिर भी ग्रामीणों का कहना था समय पर पैसा मिल जाएगा तो कागज जुटाना कोई बड़ी बात नहीं।
बैठक का माहौल: तकरार, तर्क और अंत में सहमति/-
चर्चा के दौरान कई बार माहौल गर्म भी हुआ। कुछ सवालों के जवाब अस्पष्ट लगे तो ग्रामीणों ने नाराज़गी भी जताई। प्रबंधन की ओर से भी बार-बार नीति और प्रक्रिया की व्याख्या की गई। लेकिन अंततः सहमति बनी और माहौल बदल गया। बैठक में मौजूद ग्रामीणों ने साफ कहा कि यह पहली बार है जब उन्हें “स्पष्ट, लिखित और समयबद्ध आश्वासन” मिला है।
नौकरी और लंबित मुआवजा—प्रबंधन का आश्वासन /-
बैठक में ग्रामीणों द्वारा लंबित मुआवजा एवं रोजगार से जुड़े मुद्दे भी जोरदार तरीके से उठाए गए। एसईसीएल और के एल पी प्रबंधन ने आश्वस्त किया कि इन लंबित मामलों का निराकरण भी प्राथमिकता पर किया जाएगा। इस संबंध में बैठक का विवरण कलेक्टर रायगढ़ व एसडीओ (राजस्व) घरघोड़ा को भी भेज दिया गया है।
बरौद के संघर्ष में आज लिखा गया नया अध्याय
बरौद के विस्थापितों के लिए यह सहमति मात्र एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लंबे संघर्ष के बाद मिली पहली ठोस सफलता है। अब उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि तय समय सीमा में भुगतान और प्रमाण पत्र वितरण की प्रक्रिया बिना देरी के पूरी हो।लेकिन इतना जरूर है कि बरौद ने आज अपनी लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया है।





