गड्ढों की भरमार, डामरीकरण नहीं हुआ: मेंटनेंस के नाम पर कुम्हारी टोल से 9 साल में 320 करोड़ वसूले
कुम्हारी टोल नाका… वसूली नाका बनकर रह गया है। 1982 में कुम्हारी से दुर्ग बाइपास के बीच सड़क बनाने के बाद उसमें आए खर्च की वसूली और मेंटेनेंस के लिए टोल नाका बनाया गया। 2012 में रोड बनाने की कीमत वसूल होने के कुछ दिनों बाद नाका बंद कर दिया गया। करीब
उसके बाद 9 साल से औसतन 36 हजार वाहन रोज गुजरते हैं। इनसे रोज 10 लाख रुपए टोल वसूला जा रहा है। इस तरह अब तक करीब 320 करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है। हद तो यह है कि जिस सड़क की मरम्मत के नाम पर वसूली हो रही, वहां एक भी बार डामरीकरण नहीं हुआ। कुछ जगह केवल पैंचवर्क से खानापूर्ति कर दी जाती है।
नतीजा… 16 किमी की सड़क में 600 से अधिक छोटे-बड़े गड्ढे हो गए हैं। भास्कर की टीम ने टाटीबंध से भिलाई नेहरू नगर तक बाइक से रोड का सर्वे किया। इस दौरान नेशनल हाइवे के गड्ढों की हकीकत सामने आईकमलूराम।
रोज 36 हजार से ज्यादा गुजरते हैं वाहन कुम्हारी टोल नाका से कार, बस, ट्रक और 12 चक्का मिलाकर औसतन 36 हजार वाहन रोज गुजरते हैं। इनसे करीब 10 लाख की वसूली हो रही है। यानी एक साल में करीब 36 करोड़ रुपए लिए जा रहे हैं। पिछले साल कार का 10 रुपए था। इस साल के टेंडर में एनएचएआई ने इसकी दर बढ़ाकर 15 रुपए कर दी है।
16 किमी में 600 से ज्यादा गड्ढे, कई जगह तो हादसे की नौबत
गुरुवार को दोपहर 2 बजे हैं। टाटीबंध से भिलाई की ओर जाने वाली सड़क पर गाड़ियों की कतार है। भारी वाहन नागपुर की ओर जा रह हैं। वाहनों की भीड़ के कारण ज्यादातर गड्ढे दिखाई नहीं दे रहे थे। टाटीबंध ओवरब्रिज के नीचे उतरते ही हाई-वे में करीब एक दर्जन गड्ढों से गुजरना पड़ा। आगे छोटे-छोटे पैच में सड़क पर डामर की परत उखड़ी दिखी।
सड़क पर भारी वाहन तो दौड़ते दिखे, लेकिन बाइक और छोटी कारें हिचकोले खाती दिखीं। उनकी रफ्तार कम करने के बाद भी झटके लगना बंद नहीं हुए। कुछ हिस्से में तो सड़क इतनी उबड़-खाबड़ थी कि बाइक चलाना मुश्किल हो गया। नौबत ये कि अगर बाइक चलाने वाले का जरा सा ध्यान भटका तो हादसा हो सकता है।
इस बीच कुम्हारी थाने के पास डिवाइडर से सटे 25 से 30 गड्ढे मिले। साई मंदिर के करीब बीच सड़क पर गड्ढे थे। नेशनल हाइवे पर कई जगहों में नाली दिखी। सुपेला तक यही था। भास्कर की टीम करीब दो घंटे बाद लौटी। इस दौरान विट्ठल ग्रीन कॉलोनी के पास करीब दो किमी तक 200 से अधिक गड्ढे थे।
कुम्हारी नगर पंचायत कार्यालय के पास सर्विस लेन खराब मिली। डिवाइडर के पास सड़क ही कट गई। यहां से गुजरने पर वाहनों का बैलेंस बिगड़ रहा था। चरोदा मिडिल कट में 30 से ज्यादा गड्ढे हो चुके हैं। स्पीड में जाने पर वाहन का फिसलने की नौबत थी। गाड़ियों से टकराने की आशंका भी रहती है। फिर भी जान हथेली पर रखकर एनएच-53 से सफर करने पर मजबूर है।
मैनेजर ने कहा- हमारा काम केवल पैसे वसूलना टोल वसूलने वाली कंपनी के मैनेजर दिलीप सिंह ने बताया कि हमारा काम सड़क मरम्मत करना नहीं है। एनएचएआई ने टैक्स वसूलने के लिए एजेंसी को ठेका दिया है। यह टैक्स सिर्फ सड़क की मरम्मत का चार्ज है। एनएचएआई के अफसरों के मुताबिक सड़क की मरम्मत की जिम्मेदारी एनएच की है। एनएच के अफसरों का कहना है कि नेहरू नगर से कुम्हारी तक चार फ्लाई ओवर ब्रिज बनाए गए हैं। इसकी सड़कें बेहतर हैं। कहीं खराबी नहीं है। लेकिन बारिश के बाद सड़कों की मरम्मत होगी, इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा।
कुम्हारी टोल का दिल्ली से टेंडर हुआ है। एनएचएआई का काम पैसे वसूली का है। सड़कों की मरम्मत का काम प्रदेश की एनएच का है। इसके लिए एनएच को फंड जारी होता है। सुभ्रत नाग, प्रोजेक्ट डायरेक्टर टाटीबंध से दुर्ग बायपास तक सड़क की मरम्मत का जिम्मा स्टेट हाई वे का है। बारिश की वजह से कुछ जगहों पर सड़कें खराब हुई है। इसे जल्द से जल्द सुधारने का काम किया जाएगा। एमएल उरांव, सीई एनएच