“दुष्कर्म पर घृणित राजनीति और महिला सुरक्षा को लेकर ओछी राजनीति”आज के विकृत राष्ट्रवाद का असली चेहरा
आपको अपने वर्तमान जीवनकाल में इससे बड़ी विडंबना देखने को क्या मिलेगी कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और उस पर पिछले 10 सालों से राम राज (राष्ट्रवादी पार्टी) सरकार का केंद्रीय सत्ता में बने होने के बावजूद यह देश महिला सुरक्षा के लिहाज से दुनिया के उन गिने चुने असुरक्षित देशों में शामिल है,जहां की परिस्थितियां दिनों दिन बाद से बदतर होती जा रही हैं।
आज देवभूमि भारत जैसे देश में प्रति दिन 100 के आसपास रेप,गैंग रेप और जघन्य हत्या की घटनाएं घटती हैं।
एनसीआरबी की माने तो हमारे देश में घटने वाली अपराधिक घटनाओं में से बलात्कार चौथा सबसे आम और शर्मनाक अपराध है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो बताता है कि 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में करीब 32 हजार बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे,जो औसतन 86 मामले प्रतिदिन के हिसाब से दर्ज थे। वहीं 2020 में रेप के 28 हजार मामले दर्ज हुए थे। हालाकि 2015 में दुष्कर्म के 34 हजार मामले दर्ज किए गए थे। इस तरह अगर आप पिछले दस सालों का रिकार्ड देखें तो पाएंगे कि देश में महिला सुरक्षा की परिस्थियों में कोई खास परिवर्तन नहीं आया था,बल्कि आंकड़ों में साल दर साल उतार चढ़ाव बना हुआ था।
इस तरह से भारत में एक तरफ प्रति घंटे 3 महिलाएं रेप का शिकार होती रही हैं,यानी हर 20 मिनट में 1 महिला का शारीरिक शोषण होता रहा है,तो दूसरी तरह देश के देवतुल्य मुखिया “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करते रहे।” सबसे दुखद स्थिति यह रही कि है कि देश में दर्ज रेप के मामलों में 96% से ज्यादा आरोपी महिला को जानने वाले पाए गए। वहीं रेप के मामलों में 100 में से सिर्फ 27 आरोपियों को ही सजा मिल पाई। बाकी आरोपी अपराध को अंजाम देकर भी बरी हो गए। यही वजह है कि *2012 निर्भया कानून* बनाए जाने के बावजूद हमारे देश में रेप के मामलों में न तो कमी आई और न ही सजा की दर यानी कन्विक्शन रेट बढ़ी । यानी 2013 से 2023 तक हालत जस के तस ही बने रहे,जमीन पर कुछ भी नही बदला है।।
हां यदि कुछ बदला है तो वो ये रहा कि *इन 10 सालों में रेप की घटनाओं का राजनीति करण होना जरूर शुरू हो गया। देश की सत्ता धारी राष्ट्रवादी पार्टी ने अपनी पार्टी के शासित राज्यों को छोड़कर दूसरे राज्यों में घटने वाली रेप की घटनाओं को सत्ता हथियाने का साधन बना लिया है।*
2013 के पहले दुष्कर्म की घटनाएं राष्ट्रीय चिंता का विषय हुआ करती थीं। लेकिन 2013 के बाद रेप जैसी घृणित घटनाओं को लेकर दोहरा नजरिया बन गया।
जिसमें सत्ता धारी पार्टी के समर्थकों से जुड़े मामले को छुपाया जाना और विपक्ष या उसकी पार्टी शासित राज्यों से जुड़े मामलों को नेशनल इश्यू बनाना शुरू किया गया। रेप/गैंगरेप के अपराध में शामिल लोगों को धर्म जाति और राजनीति पार्टियों के बीच सोच समझकर बांटा गया। आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाहियां भी चेहरा देख कर ही की गई।
इसे समझने के लिए ताजा उदाहरण के रूप में प. बंगाल की एक शर्मनाक घटना सामने आई।। यहां कोलकाता रेप मामले को राष्ट्रीय स्तर पर यह सोचकर उछाला गया,ताकि बंगाल की निर्वाचित ममता सरकार को किसी तरह से अपदस्थ करके खुद की पार्टी के लिए सत्ता हासिल करने का आसान सा रास्ता बनाया जाए। इस दौरान यह लगने लगा कि राष्ट्रवादी पार्टी के शासित राज्यों में रेप की घटना को बेहद आम घटना माना गया। लेकिन दूसरी विपक्षी पार्टी के शासित राज्यों में ऐसी घटनाएं महिला सुरक्षा के लिहाज से इंटरनेशनल इश्यू बनाई गई।
*लेकिन सत्ता धारी राष्ट्रवादी पार्टी के शासित राज्यों जिनमे मनीपुर की तब की घटना के अलावा कोलकात रेप कांड के समकालीन समाय पर बिहार, उ.प्र,उत्तराखंड,महाराष्ट्र,गुजरात और मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान में घटी एक के बाद एक हृदयविदारक घटनाओं ने हिंदूवादी केंद्र सरकार की घृणित राजनीति प्रयास की पोल पट्टी खोलकर रख दी।* यद्यपि इन तमाम घटनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ओछी बयानबाजी को छोड़कर अपनी तरफ से कोई ऐसा सार्थक प्रयास नहीं किया,जिससे यह लगता कि रेप और गैंगरेप जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सत्ताधारी पार्टी कभी संवेदनशील रही है।
हां यहां एक बात और देखने को मिली कि रेप और गैंगरेप सहित महिला अपराध मामलों में आरोपी यदि राष्ट्रवादी पार्टी से जुड़ा या समर्थक है, तो उन्हें बहुत हद तक पुलिस और प्रशासन ने बचाने का काम किया। यहां बात नही बनी तो उन्हे बड़ी आसानी से देश के न्यायालयों से जमानतें मिल गई। साथ ही ऐसे आरोपियों के समर्थन में या तो क्षेत्र में रैलियां निकाली गई या उनका जमानत पाने के बाद भव्य स्वागत_सत्कार किया गया।। साथ ही प्रज्वल रेवन्ना और बृजभूषण जैसे आरोपियों के साथ खुद प्रधानमंत्री का मंच साझा किया जाना आदि।।
वैसे आपको ध्यान होगा गुजरात की बेटी बिल्किस बानो के गैंगरेप के आरोपियों को आज के राष्ट्रवाद काल में किस तरह नियम विरुद्ध ढंग से जमानत दी गई फिर उनका स्वागत_सत्कार किया गया था।
वही कुलदीप सेंगर,चिन्मयानंद प्रकरण सहित अपनी सजा काल में सर्वाधिक बार पैरोल पाने वाला अपराधी गुरमीत राम_रहीम और तो और पिछले वर्ष वाराणसी के IIT-BHU की बीटेक सेकंड ईयर की छात्रा के साथ हुई दिल दहला देने वाली गैंगरेप की घटना में आरोपी बीजेपी आईटी सेल के दो सदस्य(कुणाल पांडे और अभिषेक चौहान उर्फ आनंद) को आश्चर्यजनक ढंग से हाईकोर्ट से जमानत मिलना और जमानत के बाद आरोपियों का ढोल नगाड़ों के साथ विजेता की तरह स्वागत किया जाना, फिर आरोपियों के साथ बीजेपी के स्थानीय विधायक की केक काटने की तस्वीर का वायरल होना। आम जनों के बीच सत्ताधारी राष्ट्रवादी सरकार की उस दोहरी सोच को साफ तौर पर उजागर करता हैं,,जिसमें महिला सुरक्षा और सम्मान को लेकर उसके दोहरे मापदंड क्यों हैं..?? यह साफ होता है…..
आज रेप या गैंग रैप की घटना राष्ट्रीय शर्म का विषय नहीं बल्कि सत्ता हथियाने का या राजनीतिक बयान बाजी करने का साधन मात्र बन कर रह गई है।।
नितिन सिन्हा
संपादक
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