छत्तीसगढ़

अर्धसैनिक जवानों के लिए ऐतिहासिक कदम! ‘अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष’ की तत्काल स्थापना की मांग

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देश की सीमाओं और कानून व्यवस्था की सुरक्षा में योगदान देने वाले अर्धसैनिकों के कल्याण के लिए महासचिव रणबीर सिंह ने उठाया जोर

अर्धसैनिक बलों के लिए क्रांतिकारी पहल:
देश की सीमा और कानून व्यवस्था की सुरक्षा में निस्वार्थ सेवा देने वाले अर्धसैनिक जवानों के बेहतर कल्याण, पैंशन पुनर्वास और शहीद परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष की स्थापना का प्रस्ताव सामने आया है। अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि यह पहल जवानों की सेवा और बलिदान को मान्यता देने के लिए बेहद जरूरी है।

कर्तव्य भवन में ज्ञापन सौंपा गया:
रणबीर सिंह के नेतृत्व में एसोसिएशन का डेलिगेशन डॉ सुदिप्ता घोष, डायरेक्टर पुलिस-2 से कर्तव्य भवन में मिला और ज्ञापन सौंपा। महासचिव ने बताया कि यह पहली बार था जब एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल सीधे कर्तव्य भवन जाकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे को सामने ला रहा था।

सेना दिवस से तुलना, फरक साफ:
रणबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में माननीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा सेना दिवस कोष से 257 करोड़ रुपए की मदद दी गई, लेकिन नक्सलवाद ऑपरेशन में घायल या शहीद होने वाले अर्धसैनिकों के लिए ऐसा कोई कोष नहीं है। शहीदों के आश्रित और रिटायर्ड कर्मियों के परिवार अब भी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

मिनी कैंटीन और सुविधाओं की मांग:
पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह ने कहा कि अर्धसैनिक झंडा दिवस कोष के साथ-साथ उन क्षेत्रों में मिनी कैंटीन की व्यवस्था हो, जहां सीपीसी कैंटीन नहीं हैं। महासचिव रणबीर सिंह ने जोर दिया कि इन दोनों मुद्दों के समाधान के लिए किसी बजटीय प्रावधान की नहीं, बल्कि केवल इच्छाशक्ति की जरूरत है।

सुरक्षा के साथ सम्मान भी चाहिए:
रणबीर सिंह ने स्पष्ट किया कि अर्धसैनिक जवान बिना आराम किए, नक्सलवाद अभियान और चुनाव सुरक्षा में अपनी जान की परवाह किए बिना तैनात रहते हैं। ऐसे में अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष उनके बलिदान और कर्तव्यपरायणता को उचित सम्मान और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा।

देश की सीमा और कानून व्यवस्था की सुरक्षा में दिन-रात समर्पित अर्धसैनिक जवानों के लिए यह कदम एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष की स्थापना से उनके परिवार और रिटायर्ड कर्मियों को भी आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग खुलेगा।

 

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