छत्तीसगढ़

तुगलकी फरमान बनाम अचल संपत्तियों की नई गाइड लाइन

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अचल संपत्तियों की गाइडलाइन दरों में बदलाव से रियल स्टेट कारोबार में आएगी जबरदस्त मंदी

कांग्रेस की तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में जो रियल स्टेट का करोबार बढ़ा था,वर्तमान सरकार पर उसे खत्म करने का आरोप…

रायगढ़,,इन दिनों छत्तीसगढ़ में अचल संपत्तियों की गाइडलाइन दरों में बदलाव की चर्चा पूरे प्रदेश में चल रहीं हैं। जिसे लेकर रियल स्टेट कारोबार से जुड़े लाखों लोगों के अलावा आम नागरिकों में सरकार के इस तुगलकी फरमान को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया है।

एक तरफ जहां सरकार के निर्देश पर पंजीयन विभाग ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि नई गाइडलाइन दरें 20 नवंबर 2025 से पूरे प्रदेश में लागू होंगी। तो दूसरी तरफ प्रदेश भर में विष्णु देव सरकार विशेष कर वित्त मंत्री ओ पी चौधरी के निर्णय को लेकर आम नागरिकों में अच्छी खासी नाराजगी देखी जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 2012 से 2018 तक प्रदेश की तत्कालीन रमन सरकार के निर्णयों से प्रदेश में रियल स्टेट कारोबार बहुत धीमा पड़ गया था।

जिसे गति देने के लिहाज से भूपेश बघेल सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए जमीन की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कटौती की थी। जिससे भूखंडों की खरीदी-ब्रिकी में तेजी आई थी। यही नहीं 152 प्रतिशत के निर्णय से भी बड़ा बदलाव आया था। प्रदेश में ज्यादा रजिस्ट्री होने से शासन का राजस्व आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ा था। छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री से प्रतिबंध हटाने और गाइडलाइन दरों में कमी से इससे मिलने वाला राजस्व 1100 करोड़ रुपए से बढ़कर 1500 करोड़ रुपए हो गया। तब के मुखिया श्री बघेल ने कहा था कि रियल इस्टेट भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा रहा है।

नोटबंदी, कोरोना महामारी और लॉक-डाउन के कारण इस क्षेत्र में मंदी आ गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस सेक्टर को मंदी से उबारने और लोगों को राहत देने के लिए अनुकूल फैसले लिए है। जल्दी ही रियल स्टेट सेक्टर मंदी को पीछे छोड़ते हुए सरपट दौड़ने लगेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही था। भूपेश बघेल सरकार के अंतिम तीन वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश में रियल स्टेट कारोबार अपने स्वर्णिम ऊंचाइयों को छूने लगा था।

इधर वर्ष 2023 प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य की कमान विष्णु देव सरकार के नियंत्रण में आ गई। प्रदेश के ज्यादातर राजनीतिक जानकार लोगों का कहना है कि इस सरकार में भले ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय है लेकिन सरकार के अधिकांश बड़े और प्रभाव शाली निर्णय सीधे वित्त मंत्री ओ पी चौधरी जी लेते है। जिसकी वजह से प्रदेश के आम नागरिकों में प्रदेश सरकार की इमेज निगेटिव बनते जा रही है। फिर वो चाहे बिजली बिल की दर को बढ़ाने से जुड़ा निर्णय रहा हो या फिर प्रदेश की संपदा को बड़े पैमाने पर उद्योग घरानों को दिए जाने का मामला रहा हो।

लोग अब खुले आम यह कहते दिख रहे है कि वर्तमान प्रदेश सरकार के ज्यादातर फैसले आम नागरिकों के हितों के खिलाफ और पूंजीपतियों के पक्ष में हो रहे हैं। इस क्रम में साय सरकार ने विकास कार्यों के नाम पर सालों से एक जगह पर रह रहे हजारों गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का घर तोड़ते हुए उन्हें छोटी_मोटी निजी जमीन खरीदने से भी दूर कर दिया है।

नई गाइड लाइन से रुकेगा आर्थिक विकास,कम होगी सरकार की राजस्व आय

रियल स्टेट प्रदेश का एक मात्र ऐसा कारोबार है जिसने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को न केवल रोजगार दिया है,बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में अमूल_चूल सुधार के अवसर भी प्रदान किए है। यद्यपि इस क्षेत्र में विष्णु देव सरकार के विगत निर्णय जिसमें शहर से लगे ग्रामीणों क्षेत्रों में 5 डिसमिल से कम भूमि की खरीद बिक्री पर यह कहकर रोक लगाया था कि अवैध प्लॉटिंग को रोकना जरूरी है,इस फैसले ने रियल स्टेट कारोबार की गति को पहले से ही धीमा किया था । ऊपर से निचले या मध्यम आय वाले वर्ग के लोगों को शहरी ग्रामीण क्षेत्रों के कम कीमत पर निजी भूमि खरीदने के अधिकार से भी वंचित कर दिया है। इस निर्णय का व्यापक दु: प्रभाव दिखने लगा है।

ऊपर से नई गाइड लाइन साल 2025–26 लागू की गई है। जिसके अनुसार राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जमीन और मकान की कीमत तय करने के नए नियम लागू हो गए हैं।

अब जमीन की कीमत इस बात पर निर्भर करेगी कि उसका रकबा वर्तमान में कितना है। शहरी क्षेत्र में जमीन के मूल्यांकन में 0.140 हेक्टेयर (करीब 0.35 एकड़ या 15069 वर्गफीट) तक की भूमि का मूल्य,उस क्षेत्र की प्रति वर्गमीटर के अनुसार तय किया जायेगा। 0.140 हेक्टेयर से अधिक भूमि होने पर,पहले 0.140 हेक्टेयर तक मूल्य वर्गमीटर दर से तय होगा फिर शेष भूमि का मूल्य प्रति हेक्टेयर दर से तय होगा।

नए नियम के अनुसार यदि किसी इलाके की भूमि के कीमत की दर 200 रुपये प्रति वर्गमीटर और 10 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है तो 0.405 हेक्टेयर भूमि का मूल्य कुछ इस तरह से तय होगा,पहले 0.140 हेक्टेयर (1400 वर्गमीटर) का 200 रुपये से कुल 2,80,000 रुपये और शेष 0.265 हेक्टेयर का 10,00,000 रुपये से 2,65,000 रुपये दर तय की जाएगी। इस तरह भूमि की खरीद पर कुल 5,45,000 रुपये शुल्क लगेगा। इस सरकारी फरमान को लेकर लोगों से मिलने वाली प्रतिक्रियाएं यह आ रही है कि एक ही भूमि का दो स्वरूप कैसे हो सकता है,यदि जमीन का रकबा शुरु से बड़ा रहा है तो उसके लिए दो अलग_ अलग मूल्य क्यों देने होंगे??
सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गलत है। जिसके खिलाफ कुछ जागरूक लोगों का समूह अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में जुट गया हैं। इसके लिए आपसी चर्चाएं जोरो पर है।

सरकार का पक्ष यह है कि राज्य में जो नई दरें लागू की गई हैं, उसमें कई तहर के सुधार किए गए हैं। सोमवार से इस लागू किया जा चुका है। इसके लिए साफ्टवेयर को भी अपडेट किया जा रहा है। इससे आम लोगों को लाभ होगा।

वहीं आम लोगों की माने तो जमीनी स्तर पर सरकार का यह निर्णय तुगलकी फरमान की तरह आत्मघाती साबित होगा। नई गाइडलाइन दरें लागू होने के बाद जमीन और मकान की खरीद-बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा। राज्य भर में रियल स्टेट का कारोबार पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा। वहीं सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति भी होगी। इधर जरूरतमंद लोग भी जमीन खरीदने बेचने वंचित हो जाएंगे। आज नहीं तो कल राज्य सरकार को अपना यह निर्णय बदलना ही पड़ेगा।

जिला मुख्यालयों में स्थिति पंजीयक कार्यालयों में पहले से ही रजिस्ट्रियां कम हो चुकी है वहां अब पूरी तरह से जमीन विक्रेताओं और खरीदारों का आना जाना बंद हो जायेगा।
सरकार के निर्णय के बाद से जमीन की सरकारी कीमत 10 से 100% तक बढ़ गए है। नए रेट पर रजिस्ट्री, जमीन खरीदना-बेचना बहुत ही महंगा हो गया है। जमीन खरीदना और बेचना आम आदमी के लिए बेहद कठिन हो गया है।

इधर बिना पूर्वानुमान के राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को आदेश की प्रतियां भेज दी हैं, ताकि नई दरें समय पर लागू हो सकें और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी न हो।

प्रतिक्रियाएं_

सामान्य शब्दों में प्रदेश सरकार का निर्णय सर्वजन हित में होना चाहिए,यदि किसी सरकारी निर्णय का विरोध हो रहा हो तो उसे बदलने में देर भी नहीं करना चाहिए। अचल संपत्तियों की नई बढ़ी हुई गाइड लाइन को पहली नजर में देखकर लग रहा है कि प्रदेश के आम लोगों के लिए यहां अपने प्रदेश में जमीन खरीदना और बेचना दोनो महंगा पड़ने वाला है। यह निर्णय सर्वथा गलत है,विचार करने के बाद तुरंत बदला जाना चाहिए। हमारी तत्कालीन सरकार ने गाइड लाइन में 30 प्रतिशत की कटौती करके रियल स्टेट कारोबार को गति दी थी। साथ ही छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए जमीन खरीदना आसान कर दिया था।_ लल्लू सिंह किसान नेता रायगढ़ छ ग

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