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हिंदू मुस्लिम से हमेशा ऊपर रहा है देश,यही इस देश की खूबसुरती है..

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देश में आज भले ही हिंदू मुस्लिम का विषय स्वार्थ पूर्ण राजनीति की वजह से सुर्खियों में है,लेकिन इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि देश और उसके लोग जब_जब भी संकट में आएं है,तब_तब दोनो धर्मों के लोगों ने सब कुछ भूल कर एक_दूसरे की मदद की है। आपसी भाई चारे की को मिसाल हमारे भारत देश में रही है,वो कही और किसी देश में जल्दी से देखने को नहीं मिलती।।।

थोड़े बहुत जो वाद विवाद की स्थितियां आज कल देखने को मिल रही है,वो भी कभी नहीं होती अगर दोनो धर्म के उद्दंड लोगों को राजनीतिक संरक्षण न मिला होता।।

हाल की कांवड़ यात्रा और नेम प्लेट के विवाद के बीच कुछ लोग थूक जेहाद और धार्मिक शुचिता को लेकर तमाम तरीके के पोस्ट और विडियो सोशल मीडिया में शेयर कर रहे हैं, प्रसारित विडियो की सच्चाई को लेकर सवाल जवाब करने से बेहतर है कि इन प्रमाणित घटनाओं पर फोकस करना चाहिए,,,

उत्तराखंड के निर्माणधीन टनल
के धसकने से 41 मजदूरों की जान संसत में फंस गई थी,,मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में केंद्र और राज्य सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन के सभी प्रयास विफल हो चुके थे।। यहां तक की विदेश से आनन_फानन में मंगाई गई मशीनी सहायता भी फेल हो चुकी थी

इस में दिन ब दिन टनल में फंसे मजदूरों की जान संकट में जा रही थी। पूरी दुनिया की नजर हमारे देश के आपदा प्रबंधन पर टिकी हुई थी। ऐसे हालात में यह जानते हुए भी कि घटना में फंसे लोगों को बचाने में अपनी जान भी संकट में आ सकती है। बावजूद इसकी परवाह किए बगैर ही टनल में फंसे मजदूरों को(जिनमें ज्यादातर हिंदू मजदूर थे)बचाने के लिए वकील हसन की टीम तुरंत तैयार हो गई थी,,

रैट माइनर्स की इस कुशल टीम ने टनल के अंदर रात दिन काम किया और खतरनाक रैट माइनिंग या जैक पुशिंग तकनीक से काम करते हुए सभी 41 लोगो की जान बचाई थी।।

दिल्ली की इस रैट माइनर टीम को वकील हसन और मुन्ना कुरैशी लीड कर रहे थे। 41 लोगों की जिंदगी बचाने वाले ऑपरेशन से कैसे जुड़े? इस सवाल के जवाब में वकील हसन ने बताया कि 23 नवंबर को उनके पास उत्तराखंड ऑपरेशन से जुड़ी कंपनी में काम करने वाले किसी अशोक का फोन आया था। उन्होंने बताया कि यहां टनल के अंदर 41 लोग फंसे हुए हैं,उनकी जान खतरे में है। उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की सभी कोशिशें फेल हो चुकी हैं। अंदर फंसे लोगों को को अब मैनुअल खुदाई करके निकालने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है। इस काम में खतरा भी है,बचाने वाली टीम और अंदर फंसे लोग किसी भी समय हादसे का शिकार हो सकते है। पर आपकी सहायता के अलावा और कोई विकल्प बचा नही है। उन्होंने उन्हें उत्तराखंड आने के लिए कहा। इसके बाद वकील हसन ने साथी मुन्ना कुरैशी से बात की। वे तुरंत इस ऑपरेशन से जुड़ने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद मोहम्मद राशिद,फिरोज कुरैशी, मोहम्मद इरशाद अंसारी और मोहम्मद नसीम भी इस ऑपरेशन से जुड़ गए। रात तक सभी लोग उनके आदेश का इंतजार करते रहे।
अंतत: रैट माइनर पहुंचे और उन्होंने अथक प्रयास से टनल में फंसे 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।।

वही हरिद्वार में घटी एक घटना जिसमे एसडीआरएफ का जवान आशिक़ अली और गंगा में बहते कांवड़िये की चर्चा भी आम है,,जो साबित करती है कि देश और उसका गौरव “हिंदू_मुस्लिम” विषय से काफी ऊंचा है…

आशिक़ अली SDRF में हेड कॉन्स्टेबल हैं और जो इन दिनों हरिद्वार में तैनात हैं

23 जुलाई को उन्होंने नदी में डूब रहे पांच कांवड़ियों की जान बचाई.

जिन्हें बचाया गया, उनका विवरण:

मोनु सिंह पुत्र विजेंद्र सिंह. निवासी – दिल्ली.
संदीप सिंह पुत्र जय राम. निवासी – उत्तर प्रदेश.
गोविंद सिंह पुत्र दुलाल सिंह. निवासी – उत्तराखंड
करण पुत्र सतवीर. निवासी – दिल्ली.
अंकित पुत्र संजीव. निवासी – हरियाणा.

इन सभी कांवड़ियों को बचाने के लिए जब आशिक़ अली ने कई बार उफनती नदी में छलांग लगाई,तो सम्प्रदाय कहीं बीच में नहीं आया.

न तो उन्होंने डूबते हुए व्यक्तियों का न तो नाम जानना चाहा और न ही डूबते हुए ने उनसे उनका धर्म पूछा.हर बार अपने साथी जवानों के साथ अपनी जान को खतरे में डालकर नदी में छलांग लगाई और पांचों कावड़ियों को सुरक्षित बचा लाए।।।

आशिक़ और वकील हसन भाई की जांबाज़ी, साहस और कर्तव्यनिष्ठा को दिल सलाम बनता है।।

अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप किसी गन्दी राजनीति का हिस्सा बनकर थूक जिहाद का हिस्सा बनते है या धार्मिक शुचिता के नाम पर ‘थूका-पादा,थूका-पादा’ ही खेलना पनंद करते है।।

हमारी नजर में तो देश और उसकी अस्मिता “हिंदू_मुस्लिम” विवाद से काफी ऊंची है और रहेगी।।

नितिन सिन्हा
संपादक
खबर सार

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