
रायगढ़ कोतवाली में ‘मजदूर नेता’ की धमकी फेल, पुलिस ने थाने से धक्के देकर निकाला: महिला उत्पीड़न मामले में पिंटू सिंह का हंगामा बेकार!
रायगढ़ कोतवाली में ‘मजदूर नेता’ की गुंडागर्दी नाकाम: पिंटू सिंह की धमकी पर पुलिस ने दिखाया बाहर का रास्ता, महिला उत्पीड़न मामले में सख्ती!
रायगढ़@खबर सार :- रायगढ़ सिटी कोतवाली में एक महिला उत्पीड़न मामले ने उस समय नया मोड़ ले लिया, जब तथाकथित मजदूर नेता पिंटू सिंह ने गिरफ्तार आरोपी की पैरवी में पुलिस से उलझने की कोशिश की। धमकियां बरसाने और हंगामा मचाने की उनकी हरकतें पुलिस के सख्त रवैये के आगे धरी रह गईं। पुलिस ने न केवल पिंटू को थाने से खदेड़ दिया, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि महिला अपराध के मामलों में कोई दबाव काम नहीं आएगा। यह घटना शहर में कानून की ताकत और पुलिस की निष्पक्षता का प्रतीक बन गई है।

महिला की शिकायत: आधी रात का आतंक
दीनदयाल अपार्टमेंट की एक महिला ने ट्रांसपोर्टर अनुज सिंह और उसके साथियों पर गंभीर आरोप लगाए। शिकायत के अनुसार, देर रात उनके घर में घुसकर गाली-गलौज, मारपीट और अभद्र व्यवहार किया। कोतवाली पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की और अनुज सिंह को हिरासत में ले लिया। बाकी आरोपियों की तलाश में पुलिस की टीमें छानबीन कर रही हैं।
थाने में ड्रामा: पिंटू की धमकी और बेइज्जती
अनुज की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पिंटू सिंह कोतवाली पहुंचे और पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश में जुट गए। मीडिया के सामने उन्होंने पुलिसकर्मियों को धमकाने की हिमाकत की और ‘देख लेने’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। उनकी यह गुंडागर्दी ज्यादा देर नहीं चली। पुलिस ने तत्काल सख्ती दिखाई और पिंटू को अपमानजनक तरीके से थाने से बाहर निकाल दिया। जो अब शहर में चर्चा का विषय बन चुका है।
पुराना रिकॉर्ड: पिंटू का हंगामे का इतिहास
पिंटू सिंह का यह पहला विवाद नहीं है। दो महीने पहले कोतरा रोड थाने में भी उन्होंने ऐसा ही तमाशा खड़ा किया था। तब पुलिस ने उन्हें दिनभर थाने में बिठाकर रखा जिसके बाद पिंटू ने हाथ जोड़ कर और लिखित माफी मांगने के बाद ही छोड़ा। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिंटू का नाम अब ‘हंगामा क्रिएटर’ के तौर पर उनकी निगरानी सूची में शामिल हो चुका है।
पुलिस की दो टूक: कानून से ऊपर कोई नहीं
कोतवाली पुलिस ने साफ कर दिया कि महिला उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मामलों में किसी भी तरह की दखलंदाजी या दबाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। थाना प्रभारी ने चेतावनी देते हुए कहा, “ऐसे लोग जो थाने में हंगामा मचाकर कानून को चुनौती देते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।” यह रुख न केवल पीड़ित महिलाओं को न्याय का भरोसा देता है, बल्कि उन तथाकथित नेताओं के लिए भी सबक है जो कानून को ताक पर रखने की कोशिश करते हैं।
कानून की जीत, लेकिन सवाल बाकी
रायगढ़ पुलिस की इस त्वरित और साहसिक कार्रवाई ने शहरवासियों में कानून के प्रति विश्वास को और मजबूत किया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पिंटू जैसे लोग, जो बार-बार हंगामे की सियासत करते हैं, अब सबक लेंगे? या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा? शहर की जनता अब पुलिस की अगली कार्रवाई पर नजर रखे हुए है।
(बरहाल शहर में चर्चा का विषय यह भी बना पुलिस विज्ञप्ति आखिर अभी तक क्यों नहीं आई?)





