
मुन्ना महंत ✍️
- चारमार शासकीय प्राथमिक विद्यालय प्रांगण में हुआ भव्य आयोजन
- जिले के सभी विकासखंडों से आए शिक्षकों को शाल, श्रीफल और प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- विशिष्ट अतिथियों ने कहा– सम्मान समारोह शिक्षकों को प्रेरणा देता है
- आयोजन में समाजसेवी, शिक्षा अधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन शामिल
धरमजयगढ़। कन्हैया लाल गुप्ता की जयंती (6 सितंबर) पर उनकी स्मृति में शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन शासकीय प्राथमिक विद्यालय चारमार के प्रांगण में किया गया। इस अवसर पर जिले के विभिन्न विकासखंडों से आए उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके शैक्षणिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

गरिमामयी उपस्थिति
समारोह में निद्रावती राधेश्याम राठिया, अनिल कुमार पैंकरा (डाइट प्राचार्य धर्मजयगढ़), जोगी राम आर्य (प्रधान, छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा दुर्ग), डॉ. रामकुमार पटेल (प्रांतीय संचालक, छत्तीसगढ़ आर्य वीर दल), एस. आर. सिदार (विकास खंड शिक्षा अधिकारी धरमजयगढ़), संतोष कुमार सिंह (विकास खंड शिक्षा अधिकारी घरघोड़ा), घनश्याम गुप्ता (वरिष्ठ समाजसेवी), मुकुत राम गुप्ता (वरिष्ठ भाजपा नेता), एल. पी. तानडे (प्राचार्य हाई स्कूल बोजिया), परमानंद पटेल (प्राचार्य हायर सेकेंडरी स्कूल पुसलदा), भोलेश्वर राठिया (सरपंच कटाईपाली सी), श्रीकांत राठिया (सरपंच छर्राटागर) सहित अनेक गणमान्य अतिथि मंचस्थ थे।

प्रेरणादायी संबोधन
डॉ. रामकुमार पटेल ने कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक भी इस आयोजन में शामिल हैं, जो इसे और अधिक अनुकरणीय बनाता है। अनिल कुमार पैंकरा ने कहा कि यह सम्मान समारोह शिक्षकों को और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देगा। संतोष कुमार सिंह ने सुझाव दिया कि आने वाले वर्षों में इस कार्यक्रम को और विस्तारित रूप में आयोजित किया जाए। एस. आर. सिदार ने कहा कि एक पिता के संस्कार उनके पुत्र में स्पष्ट झलकते हैं और यही कारण है कि आज यह आयोजन संभव हुआ है।
सम्मानित शिक्षक
इस अवसर पर बरमकेला, धरमजयगढ़, घरघोड़ा, खरसिया, तमनार, लैलूंगा, पुसौर, रायगढ़, सारंगढ़ और सक्ती-डभरा विकासखंडों से आए दर्जनों शिक्षकों को स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र, शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इनमें सहायक शिक्षक, प्रधानपाठक और व्याख्याता शामिल थे।
आयोजन की विशेष भूमिका
स्वागत उद्बोधन संयोजक सच्चिदानंद पटनायक ने दिया। कार्यक्रम के संचालन और सफलता में स्थानीय समाजसेवियों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों और चारमार ग्रामवासियों की विशेष भूमिका रही। समारोह को ऐतिहासिक बनाने में ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही।





