छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट से शराब घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को जमानत, मुकदमे में देरी को आधार बनाया

अगस्त 2024 से न्यायिक हिरासत में, प्रवर्तन निदेशालय की जांच अब भी जारी

राज्य की आर्थिक अपराध शाखा-ACB की चार्जशीट में 450 गवाह, सुनवाई की शुरुआत अब तक नहीं

ईडी के मामले में जमानत, EOW-ACB के प्रकरण में हिरासत जारी
सह-आरोपी रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को दी थी जमानत

नई दिल्ली रायपुर । राज्य के बहुचर्चित Rs 2200 करोड़ शराब घोटाले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कारोबारी अनवर ढेबर को जमानत प्रदान कर दी। अनवर ढेबर रायपुर के पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर के भाई हैं और उन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अदालत ने लंबित ट्रायल, जांच की प्रगति में देरी और निरंतर हिरासत को अनुपयुक्त ठहराते हुए यह राहत दी है।

हालांकि, अनवर ढेबर को अभी पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली है क्योंकि वह राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (EOW-ACB) द्वारा दर्ज किए गए मूल अपराध के मामले में अब भी न्यायिक हिरासत में हैं और इस प्रकरण में उन्हें जमानत नहीं मिली है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह ध्यान दिलाया कि इससे पूर्व भी इसी विषय से संबंधित एक अन्य ECIR (प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट) के तहत अनवर ढेबर ने लगभग 80 दिन की हिरासत भुगती है। वर्तमान मामले में उन्हें 8 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने अब तक मूल शिकायत के साथ तीन पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं, जिनमें 40 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि अब तक न तो कोई संज्ञान लिया गया है और न ही ट्रायल शुरू हुआ है, जिससे अनवर की निरंतर हिरासत को अनुचित ठहराया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अर्शदीप सिंह खुराना ने दलील दी कि राज्य की EOW-ACB द्वारा दर्ज मामले में 450 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है और जांच अभी भी प्रारंभिक चरण में है। “ऐसे में सुनवाई शुरू होने की कोई निकट भविष्य में संभावना नहीं है, और अधिकतम सजा सात साल की है,” खुराना ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त तर्कों को स्वीकार करते हुए Senthil Balaji बनाम Deputy Director मामले में दिए गए अपने पूर्व निर्णय का हवाला दिया और कहा कि “संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए अनवर ढेबर को जमानत दिया जाना उचित है।” पीठ ने आदेश दिया कि “अनवर ढेबर को एक सप्ताह के भीतर विशेष अदालत में प्रस्तुत किया जाए” और ईडी की सुनवाई के बाद उन्हें उपयुक्त एवं कठोर शर्तों पर जमानत दी जाए।

साथ ही अदालत ने यह भी निर्देशित किया कि अनवर ढेबर अपना पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा करें (यदि हो), नियमित रूप से अदालत में उपस्थित रहें और ट्रायल में पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करें।

यह निर्णय ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में सह-आरोपी रहे पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को भी 15 अप्रैल को जमानत दी थी। उस समय अदालत ने पाया था कि टुटेजा के खिलाफ संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया गया है, अतः उनकी रिहाई उचित है।

उल्लेखनीय है कि ईडी द्वारा दर्ज यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला छत्तीसगढ़ में सामने आए कथित बहु-अरब रुपये के आबकारी घोटाले से जुड़ा है, जिसमें उच्च अधिकारियों, व्यापारियों और राजनीतिक हस्तियों पर षड्यंत्र रचने व अवैध लाभ कमाने के गंभीर आरोप हैं।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button