ओडिशा के दीयों से जगमगाता है बस्तर: क्योंकि स्थानीय कुम्हार बहुत कम बना रहे, बाजार में हाथी और गणेश के गुल्लक आकर्षण का केंद्र
बस्तर में ओडिशा के कुम्हार मिट्टी के छोटे-बड़े दिये कि दुकान लगाए हैं।
छ्त्तीसगढ़ का बस्तर इस साल भी दीपावली में ओडिशा के दीयों से जगमगाएगा। इसकी वजह है बस्तर के स्थानीय कुम्हार दीये कम बना रहे हैं, जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा के कुम्हार लाखों की संख्या में आकर्षक दीये बनाकर बस्तर के बाजारों में बेच रहे हैं।
इस बार भी जगदलपुर के सिरहसार भवन, गोलबाजार, संजय मार्केट और चांदनी चौक के पास दीयों का बाजार भरा है। अलग-अलग जगहों से करीब 30 से 40 कुम्हार पहुंचे हैं, जो मिट्टी के दीपक, गुल्लक, मटका, समेत मिट्टी के अन्य सामान की दुकान लगाए हैं।
स्थानीय युवक बोला- एक भी दीया नहीं बचता
बस्तर के कुछ स्थानीय युवक भी दीपावली से पहले ओडिशा से दीये खरीदकर लाए और बेचकर अपना रोजगार चला रहे हैं। बल्लू बघेल ने बताया कि, बस्तर में मिट्टी का दीपक बहुत कम मिलता है। इसलिए वो भी हर साल ओडिशा से मिट्टी के दीए, गुल्लक, मटका समेत अन्य सामान खरीदते हैं।
हर साल हजारों दीपक बिकते हैं।
इस बार भी यह सामान लाकर सड़क किनारे दुकान लगाकर बेच रहा है। बल्लू ने बताया कि, छोटा दीया 20 रुपए में 12 नग और बड़ा दीया 100 रुपए में एक नग बेचा जा रहा है। इसके साथ ही गुल्लक की कीमत भी 100 रुपए है। हर साल दीपावली से पहले सब सामान बिक जाता है। जिससे उनकी अच्छी आमदनी होती है
दियों की दुकान लगी है।
मिट्टी के हाथी और गणेश के गुल्लक भी बिक रहे
बस्तर के कमलूराम बघेल ने बताया कि, वे भी ओडिशा से दीये समेत अन्य सामान लेकर आए हैं। मिट्टी के हाथी, गणेश और शंख के गुल्लक, साथ ही पंचमुखी और 10 मुखी दीये काफी आकर्षित हैं। इनकी बिक्री में धड़ल्ले से हो रही है। हाथी और गणेश गुल्लक की कीमत 500 रुपए से लेकर 1 हजार रुपए तक है। जबकि 10 मुखी दीये की कीमत 150 रुपए है।
मिट्टी ये हाथी भी बनाए गए हैं।
ज्यादातर नवरंगपुर से लाते हैं दीये
बस्तर से सटे ओडिशा के नवरंगपुर जिले के सिंगसारी-कुमारगुड़ा के अधिकांश परिवार मिट्टी के दीये समेत अन्य सामान बनाने का काम करते हैं। इन्हीं जगह से इस बार भी कुम्हार करीब 70 से 80 हजार दीये लेकर पहुंचे हैं। अलग-अलग जगह दुकान लगाकर बेच रहे हैं।
इनके बनाए दीपक लोगों को खूब पसंद आते हैं। बस्तर के बाजार में दीये बेचकर ओडिशा के कुम्हारों की अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। वहीं हर साल ओडिशा के दीयों से ही बस्तर जगमगाता है।





