झारखंड

बंगाली एसोसिएशन दूर्गा पूजा पंडाल में होती है मां दूर्गा की स्थायी प्रतिमा की पूजा

Advertisement
Advertisement

2008 तक मां दूर्गा की संगमरमर की प्रतिमा का होता था पूजन
2013 में किया गया गणेश, लक्ष्मी ,सरस्वती और कार्तिक के प्रतिमा की स्थापना
केंद्रीय दूर्गा पूजा कमेटी के संरक्षण में आयोजन होने वाले 23 पंडालों में से एक है बंगाली एसोिएशन दूर्गा पूजा पंडाल

चक्रधरपुर। रेलवे कालोनी क्षेत्र में आस्था का केंद्र बंगाली एसोसिएशन दूर्गा पूजा पंडाल में होती है मां दूर्गा की स्थायी प्रतिमा की पूजा। पश्चिम बंगाल की पारंपारिक रीति रिवाज और पंजिका के अनुसार तय तिथि, समय और निष्ठा के साथ यहां मां दूर्गा का उत्सव मनाया जाता है। बंगाली एसोसिएशन का स्थायी पंडाल(मंदिर) बनाया गया है। जिसमें प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्र दूर्गा पूजा और शारदीय दूर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। नवरात्र से ही पंडाल में माता का विधिवत पूजा अर्चना शुरु कर दिया जाता है जिसका समापन विजया दशमी उत्सव के साथ किया जाता है।

हालांकि यहां की प्रतिमा का विर्सजन नहीं होता है, लेकिन पांरारिक तौर तरीके से शारदीय दूर्गा पूजा का समापन होता है। रेल नगरी चक्रधरपुर की स्थापना के कुछ वर्ष बाद से ही बंगाली समाज के रेल अधिकारी और कर्मचारियों के प्रयास से 1919 में प्रारंभ हुए दूर्गा उत्सव उस समय एक छोटे से पंडाल में प्रतिमा स्थापित कर मनाया जाता था। जैसे जैसे रेल और शहर का विस्तारीकरण हुआ बंगाली एसोसिएशन का पूजा पंडाल का भी स्थायी रुप से निर्माण किया गया। 1919 से 2007 तक पंडाल में अस्थायी प्रतिमा स्थापित कर दूर्गोत्सव मनाया जाता रहा। 2008 में एसोसिएशन के पदाधिकारियों की पहल से दूर्गा माता की संगरमरमर की स्थायी प्रतिमा स्थापित कर इसकी पूजा अर्चना प्रारंभ की गई। अब यह स्थायी दूर्गा मंदिर में तब्दील हो गया है। यहां वर्तमान नित्य माता की पूजा अर्चना के साथ साथ आरती भी की जाती है।

2013 में मंदिर का दायरा बढ़ा और मां दूर्गा के साथ गणेश लक्ष्मी सरस्वती और कार्तिक की संगमरमर की स्थायी प्रतिमा की स्थापना की गई और यहां दूर्गोत्सव की संपूर्ण प्रतिमाओं का स्थापना कर पूजा अर्चना किया जाने लगा। चंदन टेंट हाउस के द्वारा पंडाल(मंदिर) के समीप भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। वहीं विद्युत साज सज्जा की जिम्मेदारी प्रकाश महतो लाईट डेकोरेटर तथा भोग तैयार करने का जिम्मा प्रसिद्ध केटरर गुरुपद कर को सौंपा गया है। लगभग 10 लाख रुपए की लागत से आयोजन किए जाने वाले दूर्गोत्सव में तीन दिनों तक महाभोग का आयोजन किया जाता है। एसोसिएशन का पूराना और ऐतिहासिक झूला भी आकषर्ण का केंद्र बनता है। बंगाली एशोसिएशन दूर्गा पंडाल परिसर में में प्रत्येक वर्ष दो बार रक्त दान शिविर का आयोजन किया जाता हैं वहीं एसोसिएशन लोक कल्याण कार्य में भी अग्रणी भूमिका निभाते हुए एक शव वाहक वाहन और दो एंबुलेंस की सेवा प्रदान कर रही है।

संधि और महाअष्ठमी पूजा में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड

बंगाली एसोसिएशन का संधि पूजा और महाअष्ठमी की पूजा बहुत खास होता है। संधि पूजा के दौरान बंगाल का ढाक बाजा यहां का मुख्य आर्कषण होता है। संधि पूजा के दौरान दूर दराज के लोग यहां आते हैं। नवरात्र के दौरान मंदिर में शाम को प्रसाद वितरण किया जाता है। इसके पश्चात षष्ठी पूजा, सप्तमी, महाअष्ठमी और महानवमी और तथा दशमी के दिन तक त्योहार का वातावरण बना रहता है। यहां का सिंदूर दान भी काफी आर्कषण होता है। मंदिर के नित्य पूजा में पुजारी सुकुमार मुखर्जी तथा दुर्गोत्सव के दौरान पुजारी सनातन चटर्जी तथा सपन मिश्र की अहम भूमिका रहता है।

बंगाली एसोसिएशन के पदाधिकारी
अध्यक्ष- देवाशीष भट्टाचार्य, सचिव प्रदीप मुखर्जी, संयुक्त सचिव प्रवीर कुमार दास तथा भास्कर सरकार, कोषाध्यक्ष सुमीत चौधरी,सक्रीय सदस्यों में तारक नाथ सेन,अपूर्व कुमार,अभिजीत दत्ता, उग्रसेन कलायत, बाबू भोई,संदीप बाउरी, असीत सेन, सागर, विक्रम मुखी, मुकेश पिल्लेई, रमेश रजक मनोज मुखर्जी,बाबूल दत्ता, बूलु तांती, शुभेंदु मित्रा आदि शामिल है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button