छत्तीसगढ़

नयनपुर हादसा : दीवार गिरने से तीन मजदूरों की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

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औद्योगिक क्षेत्र में बिना सुरक्षा इंतजाम मजदूरों से कराया जा रहा था काम, लापरवाही बनी जानलेवा

सूरजपुर। जिले की औद्योगिक नगरी नयनपुर में शनिवार को हुए दर्दनाक हादसे ने प्रशासन और श्रम विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गिरवरगंज स्थित मित्तल कोल्ड स्टोरेज एवं राइस मिल परिसर में दीवार गिरने से तीन मजदूरों की मौत हो गई, जबकि एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसका इलाज जिला चिकित्सालय में जारी है।



मिली जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह राइस मिल में मजदूर धान भरने का कार्य कर रहे थे। इसी दौरान लगभग नौ इंच ऊंची पतली दीवार अचानक भरभराकर गिर गई। दीवार के नीचे दबने से दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक मजदूर ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया। हादसे में एक अन्य मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया।

घटना की खबर फैलते ही राइस मिल परिसर में ग्रामीणों और परिजनों की भारी भीड़ जमा हो गई। हालात को देखते हुए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों की नाराजगी और मांगों को देखते हुए किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रशासन ने एहतियातन बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया।



हादसे से आक्रोशित ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने राइस मिल प्रबंधन पर दीवार का निर्माण लापरवाहीपूर्वक कराने का आरोप लगाया है। साथ ही मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा, बच्चों के 18 वर्ष की उम्र तक भरण-पोषण की व्यवस्था और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। कलेक्टर एस. जयवर्धन ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि मामले की जांच कराई जाएगी और नियमानुसार मुआवजा दिलाया जाएगा। दोषियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

  इनकी हुई मौत
हादसे में ग्राम डेडरी निवासी होलसिंह, बांसापारा निवासी वेद सिंह और रामनगर निवासी माने राजवाड़े की मौत हुई है। वहीं रामनगर निवासी सुरेंद्र सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनका इलाज जारी है।



सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह नदारद

घायल सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से राइस मिल में कार्यरत हैं, लेकिन न तो किसी प्रकार का बीमा कराया गया था और न ही सुरक्षा किट उपलब्ध कराई जाती थी। यहां तक कि श्रम विभाग में भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। राइस मिल प्रबंधन द्वारा मृतक मजदूरों के परिजनों को प्राथमिक रूप से एक-एक लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल मजदूर को 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई है, लेकिन परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि यह मदद नाकाफी है और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास मात्र है।



श्रम विभाग की कार्यशैली पर सवाल

जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर अनेक राइस मिल और फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। इसके बावजूद मजदूरों की सुरक्षा को लेकर श्रम विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते निरीक्षण और सख्ती होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था।

नयनपुर की यह घटना औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों की सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

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