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हरियाणा: हिसार के राखीगढ़ी में 4500 साल पुराने कंकाल की खोज ने बहस छेड़ दी—भारत के मूल निवासी कौन?

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4500 साल पुरानी खोज ने खोला नया इतिहास

हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी क्षेत्र में 4500 साल पुराने कंकाल और उसका DNA प्रोफाइल तैयार होने से इतिहास में एक नई बहस जन्म ले रही है। यह खोज साबित करती है कि यह देश किसी एक धर्म या समुदाय का नहीं है। हड़प्पा सभ्यता के लोग, जो आर्य या द्रविन्नियानों से ज्यादा संबंधित हैं, आज के भारतीयों की तुलना में दक्षिण भारतीयों के अधिक निकट पाए गए हैं। इस तथ्य ने राजनीतिक और सांप्रदायिक धारणाओं को चुनौती दी है।


सरकारी हिंदुत्व और धार्मिक राजनीति पर सवाल

लेखक का कहना है कि पिछले छह वर्षों से सरकारी स्तर पर “हिंदू-मुसलमान” के बहाने राजनीति का खेल जारी है। राखीगढ़ी की खोज दर्शाती है कि भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी किसी धर्म विशेष से नहीं जुड़े हैं। यह खोज तथाकथित “सरकारी हिंदू” और हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे एजेंडा के लिए चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकती है।


वैज्ञानिक निष्कर्ष और DNA प्रोफाइल

पुणे के डेक्कन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वसंत शिंदे और उनकी टीम ने DNA जाँच में पाया कि:

  1. हड़प्पा सभ्यता के लोग संस्कृत या हिंदू संस्कृति के मूल स्रोत नहीं हैं।
  2. हड़प्पा सभ्यता और आज के भारतीयों के बीच जैनेटिक संबद्धता है।
  3. हड़प्पा लोग आर्यों की तुलना में द्रविन्नियानों के अधिक निकट हैं।
  4. हड़प्पा सभ्यता के लोग आज के दक्षिण भारतीयों के अधिक समान पाए जाते हैं।

इस प्रोफाइल के अनुसार “भारत के मूल निवासी” (Indigenous People) के लिए कोई एक सामान्य शब्द नहीं है, बल्कि कई जनजातीय समुदाय इसे अपना सकते हैं।


इतिहास और राजनीति में प्रभाव

यह खोज राजनीतिक विमर्श को चुनौती देती है। तथाकथित सरकारी राष्ट्रवादी और हिंदूवादी संगठन, जिनका एजेंडा भारतीय सभ्यता और धर्म पर आधारित था, अब इस नए वैज्ञानिक तथ्य के सामने अपने ठेकेदारी सिद्धांत को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होंगे।

लेखक राकेश प्रताप सिंह परिहार का कहना है कि राजनीति में यह खोज “Post Truth” के माहौल को और स्पष्ट करती है—जहां तथ्य होने या न होने से राजनीतिक प्रभाव पर कोई फर्क नहीं पड़ता।


राखीगढ़ी का महत्व

  • राखीगढ़ी को 1963 में सिंधुघाटी सभ्यता के रूप में चिन्हित किया गया।
  • 1998–2001 में खुदाई हुई।
  • 2014 में दावा किया गया कि यह मोहनजोदड़ो से बड़ा शहर हो सकता है।
  • टीला नंबर 07 में कंकाल और DNA प्रोफाइल तैयार किया गया।

इस खोज ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय इतिहास और सभ्यता की जड़ें किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं हैं।

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