छत्तीसगढ़

स्वतंत्रता सेनानी परिवार को जाति प्रमाण पत्र मामले में मिली क्लीन चिट, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने कलेक्टर से मांगा जवाब

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सोमनाथ भगत ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

बलरामपुर/अंबिकापुर।बलरामपुर जिले के कुसमी थाना अंतर्गत कुसमी निवासी सोमनाथ भगत के उरांव जाति प्रमाण पत्र विवाद में आखिरकार बड़ी राहत मिली है। सात सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण  छानबीन समिति रायपुर ने उनके जाति प्रमाण पत्र को विधि-सम्मत और मान्य करार दिया है। बलरामपुर जिले के कुसमी ग्राम रामनगर निवासी बसंती सिंह ने सोमनाथ भगत के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए बलरामपुर कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। जांच के दौरान जिला स्तरीय छानबीन समिति ने बसंती सिंह की शिकायत को आधार सोमनाथ भगत के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था।

उन्हें आदिवासी न मानते हुए भू-राजस्व संहिता की धारा 170 “ख” के तहत भूमि बेदखली की कार्रवाई प्रारंभकी गई थी। उनके पुत्रों के जाति प्रमाण पत्र भी निरस्त कर दिए गए थे। इस मामले में राजपुर अनुभाग के पटवारी अमरजीत भगत को निलंबित किया गया था। इसके बाद सोमनाथ भगत ने उच्च स्तरीय छानबीन समिति में अपील की थी। इस पर समिति ने उनके द्वारा पेश दस्तावेजों का परीक्षण किया और उनके उरांव जाति प्रमाण पत्र को विधि सम्मत स्वीकार किया।

इससे स्वतंत्रता सेनानी परिवार को बड़ी राहत मिली है। सोमनाथ भगत के पिता महली भगत स्वतंत्रता संग्राम के अग्रिम पंक्ति के सेनानी रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1936 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। वर्ष 1942 में एक वर्ष का कारावास हुआ था। उनके योगदान के सम्मान में स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें ताम्रपत्र प्रदान किया गया था।

सोमनाथ भगत ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

सोमनाथ भगत ने 21 नवंबर को राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखकर कुसमी एसडीएम व बलरामपुर कलेक्टर पर दुर्व्यवहार एवं अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि राष्ट्रपति के सरगुजा प्रवास के दौरान जिले के सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों को मिलने का आमंत्रण दिया गया। लेकिन महली भगत स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को सूचना तक नहीं दी गई। इसे उन्होंने परिवार के प्रति भेदभावपूर्ण व अपमानजनक बताया है। इसी आक्रोश में उन्होंने अपने पिता महली भगत को मिले ताम्रपत्र को वापस लौटाने की इच्छा व्यक्त की है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने कलेक्टर से मांगा जवाब

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने बलरामपुर कलेक्टर को पत्र भेजकर कहा कि अनुसूचित जनजाति के परिवार के मकान, दुकानों को आपराधिक ढंग से बुलडोजर से तुड़वाकर नष्ट करने पर सोमनाथ भगत ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को शिकायत की थी। आयोग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर 15 दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

आयोग ने पत्र में लिखा है कि यदि नियत अवधि में आयोग में आपका उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338क के अंतर्गत उसे प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है तथा वैयक्तिक रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए आपको समन भी जारी कर सकता है।

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