छत्तीसगढ़

सोशल मीडिया पर दादागिरी दिखाना पड़ा महंगा — दो युवक अलग-अलग मामलों में गए जेल

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अंबिकापुर । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सरगुजा के दिशा-निर्देशन तथा नगर पुलिस अधीक्षक अंबिकापुर के नेतृत्व में थाना कोतवाली पुलिस ने सोशल मीडिया पर दादागिरी और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त दो युवकों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है।

पुलिस के अनुसार, दोनों युवकों के खिलाफ पूर्व से ही विभिन्न प्रकरण दर्ज थे। आरोपियों द्वारा सोशल मीडिया पर आपराधिक छवि वाले वीडियो और रील बनाकर दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही थी। कोतवाली पुलिस की सतत निगरानी में इन दोनों की गतिविधियों पर नज़र रखी गई और साक्ष्य मिलने पर कार्रवाई की गई।

पहला मामला:
प्रार्थी हिमांशु गोयल निवासी बरेजपारा अंबिकापुर की रिपोर्ट पर 03 अगस्त 2025 को अपराध क्रमांक 527/25 दर्ज किया गया था। शिकायत के अनुसार, दो अज्ञात युवक मोटर की तार निकालने की कोशिश कर रहे थे। रोकने पर उन्होंने गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी तथा ईंट फेंककर घायल कर दिया। विवेचना के दौरान आरोपी सैयद सैफ पिता सैयद सब्बी (उम्र 19 वर्ष), निवासी रसूलपुर थाना अंबिकापुर को गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने अपराध स्वीकार किया तथा उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने पर जेल भेजा गया। आरोपी का पूर्व में भी आपराधिक रिकॉर्ड पाया गया है।

दूसरा मामला:
दूसरे प्रकरण में प्रार्थी संजय गोयल निवासी अग्रसेन वार्ड अंबिकापुर ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि 31 अगस्त 2025 की रात एक युवक शराब के नशे में गाली-गलौज कर रहा था और हाथ में चाकू लेकर धमका रहा था। रोकने पर उसने प्रार्थी से मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने आरोपी अरशद उर्फ आशु अंसारी पिता खुर्रम अंसारी (उम्र 20 वर्ष), निवासी बरेजपारा अंबिकापुर को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा। आरोपी आदतन अपराधी बताया गया है।

पुलिस की सख्त चेतावनी:
थाना कोतवाली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर दादागिरी, आपराधिक कंटेंट या हथियारों के प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने पर उनके परिजन भी मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दोषी माने जाएंगे। पुलिस ने युवाओं से अपील की है कि वे गलत राह पर न चलें और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनें।

कार्रवाई में सक्रिय अधिकारी:
थाना प्रभारी निरीक्षक मनीष सिंह परिहार, प्रधान आरक्षक छत्रपाल सिंह, जगसाय मरकाम, आरक्षक लालभुवन सिंह, संतोषी पाण्डेय, सचिन सिन्हा एवं जगेश्वर मरकाम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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