जिंदल की प्रस्तावित जनसुनवाई का ऐतिहासिक विरोध

ठिठुरती ठंड में 14 गांवों के हजारों ग्रामीण कर रहे रतजगा
रायगढ़,,जिले तमनार क्षेत्र में 8 दिसंबर 2025 के दिन होने वाली जिंदल (Jindal Power Ltd.) की आगामी जनसुनवाई के विरोध में हजारों की संख्या ग्रामीण दिन_रात का आंदोलन कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कोयला खदान (Gare Palma Sector-I) की प्रस्तावित जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीण एक बार फिर लामबंद हो गए हैं।
बताया जा रहा है कि इंसान को ठिठुरा देने वाली तेज ठंड के बीच तमनार अंचल के हजारों ग्रामीण धौराभाठा मैदान में खुले आसमान के नीचे रात रात भर जागकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वो अपने क्षेत्र में जन सुनवाई का टेंट भी नहीं लगने देंगे। न ही कंपनी और प्रशासन के लोगों को यहां आने देंगे।

ग्रामीणों का कहना है कि वे जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और आगे भी वो अपनी बनाई रणनीति के आधार पर अपने क्षेत्र में जनसुनवाई का विरोध करते रहेंगे।
उनके इस क्षेत्र कई खदान खुलने के कारण पहले ही भविस्थापन, रोजगार और पर्यावरणीय स्थिति को नुकसान हो चुका है।
ऊपर से जिंदल को खदान मिल जाती है तो आसपास के 15 से 20 गांव बुरी तरह से प्रभावित हो जायेंगे। ग्रामीणों को अपनी पैतृक जमीन और गांव छोड़ने का भी डर है, साथ ही उन्हें उचित रोजगार और विस्थापन मुआवजे की जानकारी नहीं दी जा रही है।

ग्रामीणों के बताए अनुसार वे इस जनसुनवाई रद्द करने व खदान बंद करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट में बड़ा प्रदर्शन करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंप चुके हैं।
तब हमारे कड़े विरोध को ध्यान में रखकर इस सुनवाई को अस्थाई तौर पर निरस्त कर दिया गया था। इस पर पुनः जिद्ल सेक्टर 1 के खदान की जनसुनवाई को लेकर प्रशासन और जिंदल प्रबन्धन सक्रिय हो चुका है। इस क्रम में आगामी 8 दिसंबर 2025 की जनसुनवाई को सफल बनाने के लिए प्रदेश सरकार रायगढ़ जिला प्रशासन और पुलिस के द्वारा हमारे लिए दमन कारी नीति अपना रही है।
एक तरफ प्रदेश सरकार हम ग्रामीणों की बात सुनने के लिए जनसुनवाई का आयोजन कर रही है तो दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी पत्र लिखकर या फोन पर लगातार हम ग्रामीणों के डरा धमका रहे है ताकि किसी तरह विरोध प्रदर्शन को तोड़ा जा सके।
जन सुनवाई का विरोध करने वाले ग्रामीणों ने धरना स्थल धौरा भाठा में आए मीडिया कर्मियों को तहसीलदार रायगढ़ का एक लिखित आदेश पत्र दिखाते हुए कह रहे है इस तरह सरकार हमारे आंदोलन को तोड़कर जिंदल की जनसुनवाई को सफल बनाने का प्रयास कर रही है। इस बात का प्रमाण यह है कि अभी कुछ दिनों पहले दोनो राष्ट्रीय पार्टी के कुछ नेता जो हमारे आंदोलन को लीड कर रहे थे, वो अब मैदान छोड़कर भाग चुके हैं।
हम हमारे क्षेत्र की जल जंगल जमीन और बच्चों के साथ हमारी आने वाली ग्रामीण पीढ़ियों को बचाने के लिए संघर्ष का रास्ता चुन चुके है,यहां धौराभाठा से हम जनसुनवाई निरस्त करवा कर ही अपने गांव घर वापस जाएंगे।।





