छत्तीसगढ़

एनआईटी राउरकेला सहित एक बहु-संस्थानिक टीम ने साइबर हमलों से माइक्रोग्रिड्स की सुरक्षा के लिए व्हेल-प्रेरित एल्गोरिद्म का विकास किया

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• यह सिस्टम टाइम-डिले, आकस्मिक साइबर हमलों और मैलवेयर हमलों से बचाने के साथ-साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की गतिविधियों में हो रहे बदलावों के अनुकूल होने के लिए डिजाइन किया गया है।
• कंप्यूटर सिमुलेशन और वास्तविक हार्डवेयर प्रयोगों पर परीक्षण किए गए इस सिस्टम से माइक्रोग्रिड को प्रबंधित करने का एक सुरक्षित तरीका मिलता है, जिससे वे आधुनिक पावर सिस्टम में बढ़ते साइबर हमलों के खतरों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो जाते हैं।



राउरकेला, 25 अगस्त 2025 : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) राउरकेला के शोधकर्ताओं ने माइक्रोग्रिड, यानी स्थानीयकृत पावर सिस्टम की स्थिरता के लिए साइबर लचीलापन (resilience) को मजबूत करने वाला एक एल्गोरिदम विकसित किया है।
एनआईटी राउरकेला के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एवं विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रभात कुमार राय के नेतृत्व में अनुसंधान टीम ने एक संशोधित इम्प्रूव्ड व्हेल ऑप्टिमाइजेशन (एमआईडब्ल्यूओ) एल्गोरिदम विकसित किया है, जो हंपबैक व्हेल की शिकार रणनीतियों से प्रेरित है। ये व्हेल बबल-नेट फीडिंग का उपयोग करती हैं, जिसमें वे मछलियों के चारों ओर घूमती हैं और बुलबुले छोड़ती हैं ताकि एक जाल तैयार हो सके जो उन्हें फंसा ले।

माइक्रोग्रिड में स्टोरेज और पारंपरिक जनरेटर के साथ सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जाओं को एकीकृत किया जाता है। यह पूरी दुनिया के ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन चूँकि ये माइक्रोग्रिड डिजिटल संचार पर निर्भर करते हैं, इसलिए गलत डेटा इंजेक्शन और टाइम-डिले के माध्यम से इन पर साइबर हमलों का खतरा रहता है।

इस खतरे से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने एक मोडिफाइड इम्प्रूव्ड व्हेल ऑप्टिमाइजेशन-आधारित फ्रैक्शनल ऑर्डर पीआईडी (एमआईडब्ल्यूओ-एफओपीआईडी) कंट्रोलर पेश किया है जो साइबर हमलों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में अस्थिरता के दौरान एक मज़बूत द्वितीय फ्रिक्वेंसी नियंत्रण  सुनिश्चित करता है।

• एफओपीआईडी (फ्रैक्शनल ऑर्डर पीआईडी) पारंपरिक पीआईडी कंट्रोलर का आधुनिक रूप है जो जटिल प्रणालियों के लिए अधिक सटीक ट्यूनिंग की सुविधा देता है।
• एमआईडब्ल्यूओ (मोडिफाइड इम्प्रूव्ड व्हेल ऑप्टिमाइजेशन) एक अनुकूलन एल्गोरिदम है, जो बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपने-आप सबसे उपयुक्त कंट्रोलर मानकों की पहचान कर लेता है।
एमआईडब्ल्यूओ मूल विधि को उच्च स्तरीय बनाता है क्योंकि यह अधिक सटीक, तेज़ और समाधान की तलाश में मिलने वाली स्थानीय त्रुटियों से बेहतर बचाव करता है।

शोध के बारे में बात करते हुए, प्रो. प्रभात कुमार राय, प्रोफेसर एवं प्रमुख – विद्युत अभियांत्रिकी विभाग, एनआईटी राउरकेला ने कहा, “आधुनिक माइक्रोग्रिड्स में विभिन्न घटकों के बीच सूचना के आदान-प्रदान के लिए संचार नेटवर्क प्राथमिक माध्यम के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वे साइबर हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इनमें टाइम-डिले अटैक शामिल हैं, जिसमें सेंसर या नियंत्रकों से आने वाली जानकारी को जानबूझकर विलंबित किया जाता है, और फॉल्स डेटा इंजेक्शन, जिसमें हमलावर सिस्टम डेटा में हेरफेर कर नियंत्रण क्रियाओं को गुमराह करते हैं, जिससे अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, प्रस्तावित एल्गोरिद्म में कई उन्नत सुधार शामिल किए गए हैं, जिनमें गतिशील रूप से समायोजित नियंत्रण पैरामीटर के साथ एक अनुकूली रणनीति और एक बहु-चरणीय शोषण तंत्र शामिल है। ये संशोधन अभिसरण विशेषताओं, समाधान की सटीकता और मजबूती को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाते हैं, और ठहराव तथा स्थानीय फँसाव से संबंधित समस्याओं को कम करते हैं।”

इस शोध में प्रस्तावित कंट्रोलर विभिन्न साइबर हमलों के परिदृश्यों में, जैसे टाइम-डिले अटैक, फॉल्स डेटा इंजेक्शन (FDI), ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) की स्थिति पर हमले, रैंडम अटैक और मैलवेयर घुसपैठ के दौरान, कॉस्ट फ़ंक्शन को अनुकूलित करके फ़्रीक्वेंसी विचलनों को न्यूनतम करता है। सिमुलेशन अध्ययन और वास्तविक हार्डवेयर प्रयोग दोनों से यह पुष्टि होती है कि प्रस्तावित दृष्टिकोण माइक्रोग्रिड फ़्रीक्वेंसी नियंत्रण को लचीला बनाता है और ऐसे प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रणाली की स्थिरता बनाए रखता है।

विकसित एल्गोरिदम की विशिष्ट विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
• यह आधुनिक विद्युत प्रणालियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाता है
• यह साइबर हमलों के बावजूद माइक्रोग्रिड के काम में स्थिरता रखता है, जिससे सेवा बाधित होने का खतरा कम होता है
• यह एक विश्वसनीय प्रणाली का कार्य प्रदर्शन सुनिश्चित करते हुए सौर ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण को आसान बनाता है
• यह महत्वपूर्ण बुनियादी व्यवस्थाओं को डिजिटल खतरों से मजबूत सुरक्षा देता है, जिससे संपूर्ण सुदृढ़़ता बढ़ती है।

इस शोध के निष्कर्ष आईईईई ट्रांजेक्शन्स ऑन कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं। यह शोध पत्र प्रो. प्रभात कुमार राय, श्री रमेश चंद्र खमारी, रिसर्च स्कॉलर, एनआईटी राउरकेला, डॉ. मनोज कुमार सेनापति, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, क्योंझर, और डॉ. संजीवकुमार पद्मनाभन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ-ईस्टर्न नॉर्वे, नॉर्वे ने मिल कर लिखा है।

यह शोध उपलब्धि न केवल भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करती है, बल्कि वैश्विक नीति-निर्माताओं, उपयोगिता कंपनियों और उद्योग नेताओं को अधिक स्मार्ट और सुरक्षित ऊर्जा प्रबंधन प्रथाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत रूपरेखा भी प्रदान करती है।

http://ieeexplore.ieee.org/abstract/document/11115136
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