जन संस्कृति मंच के आयोजन ‘सृजन संवाद’ में गीत, ग़ज़ल, कविता और संवाद से विभोर हुए श्रोता

नामचीन लेखकों ने प्रतिभागी रचनाकारों से किया संवाद
रायपुर. रविवार 24 अगस्त को जन संस्कृति मंच रायपुर के ‘सृजन संवाद’ कार्यक्रम के तहत स्थानीय वृंदावन हॉल में नवोदित और वरिष्ठ रचनाकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया.
लोक गायिका सुनीता शुक्ला ने गोरख पाण्डेय के चर्चित गीत ‘गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले’ की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का आगाज किया. नामचीन गायिका वर्षा बोपचे ने जसम के वरिष्ठ साथी आलिम नकवी की सामयिक ग़ज़ल का तरन्नुम में खूबसूरत पाठ कर समां बांध दिया-

चिराग आंधियों में जलाते रहेंगे
गमों में भी हम मुस्कुराते रहेंगे.
सीपीआई एमएल के वरिष्ठ साथी नरोत्तम शर्मा ने अपने गांव बंगोली के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन और सामाजिक आंदोलन में इस गांव के लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने जन संस्कृति मंच से संबद्ध रचनाकारों को अपने गांव बंगोली में संवाद के लिए आमंत्रित भी किया.
डॉ. नरेश गौतम ने कोरोना काल के दौरान लिखी गई अपनी रचना का पाठ किया. उनकी कविता ‘मैं डरता हूं’ में मार्मिक और त्रासदीपूर्ण वर्णन देखने को मिला. जनकवि भागीरथी प्रसाद वर्मा ने अपनी छत्तीसगढ़ी कविता में सत्ता और पूंजीपतियों के घिनौने यथार्थ को बेहतर ढंग से उकेरा. जबकि नरेश साहू ने नशे में बर्बाद हो रहे छत्तीसगढ़ के युवाओं पर अपने शोध आलेख की जानकारी मंच से साझा की. उन्होंने कहा कि अब छत्तीसगढ़ भी उड़ता छत्तीसगढ़ बन गया है.

दृश्य कलाकार सर्वज्ञ नायर अचेतन मन की उलझनों से उपजी कविताएं पढ़ी. साथ ही उन्होंने लयबद्ध तरीके से ‘नशीली मायादार अंधेरी रात कोई’ जैसी जबरदस्त रचना का पाठ भी किया. युवा रचनाकार प्रतीक कश्यप ने एक के बाद एक कई शानदार ग़ज़लें पढ़ी. उनकी बानगी ने वातावरण को खुशनुमा बना दिया.
डॉ. रामेश्वरी दास ने तरन्नुम में गीतों की शानदार प्रस्तुति दी-‘कलम मुझे सच सच बतलाना मैं रोई या तुम रोये थे।’ उनके गायन के अंदाज को भी सबने सराहा. युवा लेखिका पुजाली पटले ने अंतर्मन के द्वंद्व को अपनी कविता में बेहद सहज ढंग से उतारा.

शायर आरडी अहिरवार के अपने शेरों से खूब वाहवाही लूटी-
मुजरिमों को खुश
मगर हमको खफ़ा रखा गया
कटघरे में देर तक
हमको खड़ा रखा गया.
वरिष्ठ लेखिका वंदना कुमार ने अपनी रचना में कोरोना काल में उपजी त्रासदी का मार्मिक चित्रण किया और खौफनाक समय के कई गंभीर मसलों को उठाया. लेखक संजीव खुदशाह ने जातीय भेदभाव के प्रतिरोध में जबरदस्त कविताओं का पाठ किया.
पत्रकार डॉ. अरुण जायसवाल ने विदर्भ में किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या के मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए मार्मिक संस्मरण सुनाया.
प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों पर वक्तागणों ने अपनी टिप्पणियां देकर उनका मार्गदर्शन किया. लेखिका सानियारा खान ने कहा कि अंधेरे समय में लड़ाई के लिए हम सबको
उम्मीद रखनी चाहिए. दुनिया में अगर कोई हिटलर बनकर पैदा होता है तो कोई गांधी बनकर भी आता है.
लेखक और पत्रकार समीर दीवान ने कहा कि जन संस्कृति मंच बगैर भेदभाव के प्रतिभाशाली रचनाकारों को मंच प्रदान कर रहा है. उन्होंने देश के नामचीन लेखकों की टिप्पणियों का भी उल्लेख किया. नामचीन कथाकार मनोज रूपड़ा ने कहा कि दूसरों के दुख में शामिल हुए बिना आप बड़े रचनाकार नहीं हो बन ही नहीं सकते.
कथाकार कैलाश बनवासी ने वर्तमान समय के निराशाजनक परिदृश्य को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि रचनात्मक स्पेस अब कैरियरवाद की ओर चला गया है. एक अंधेरी सुरंग है जिसमें हम चले जा रहे हैं. इस अंधेरी सुरंग से निकलना ही होगा.
वरिष्ठ आलोचक सियाराम शर्मा ने प्रतिभागियों के प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि जो रचेगा, वही बचेगा. रचना आत्मसंघर्ष है.एक अच्छी रचना हमें बदल देती है. यदि खुद को बदलना है तो हमें अच्छी किताबों को पढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि एक बेहतर रचनाकार प्रेम करना जानता है. जो प्रेम करेगा वहीं क्रांति भी करेगा. इस मौके पर जसम के राष्ट्रीय सचिव संस्कृतिकर्मी राजकुमार सोनी ने नए और विचारवान रचनाकारों को जसम से जुड़ने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि प्रतिरोध की ताकत को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि सभी सृजनशील लोग अपना रचनात्मक हस्तक्षेप जारी रखें. उन्होंने कहा कि जन संस्कृति मंच में अलग-अलग क्षेत्र में कार्यरत बेहद प्रतिभाशाली लोग निरन्तर जुड़ रहे हैं. श्री सोनी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में जसम की कई मजबूत इकाईयां गठित हो गई है.आगे भी विस्तार होता रहेगा. कार्यक्रम के अंत जसम रायपुर के सह सचिव अजय शुक्ला ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का सफल संचालन रूपेंद्र तिवारी ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ.संजू पूनम, दिलशाद सैफी, विजेंद्र अजनबी, सुरेश वाहने,
विप्लव बंधोपाध्याय, कल्याणी, भूपेश नन्हारे, गणेश सोनकर सहित सुधि दर्शकों की विशेष भूमिका रही.





