छत्तीसगढ़

भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद (एएसआई) की 43वीं वार्षिक बैठक का उद्घाटन एनआईटी राउरकेला में

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राउरकेला । भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद (एएसआई) की 43वीं वार्षिक बैठक का औपचारिक शुभारंभ आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) राउरकेला में हुआ। इस प्रतिष्ठित आयोजन में देशभर से लगभग 400 खगोलविदों ने भाग लिया। उद्घाटन समारोह सुबह 9:15 बजे भुवनेश्वर बेहरा ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ, जिसमें खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को सम्मानित किया गया।

बैठक की पूर्व संध्या (15 फरवरी) को युवा खगोलविदों के लिए स्क्वायर किलोमीटर अरे (एसकेए) परियोजना पर केंद्रित दो विशेष कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।

उद्घाटन समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत स्थानीय आयोजन समिति के संयोजक, प्रो. अनंता चरण प्रधान के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद, एएसआई की सचिव प्रो. सरिता विग ने कार्यक्रम का संचालन किया। एनआईटी राउरकेला के भौतिकी विभागाध्यक्ष, प्रो. ज्योति प्रकाश कर, ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि एवं एनआईटी राउरकेला के निदेशक, प्रो. के. उमामहेश्वर राव, ने अपने संबोधन में आर्यभट्ट, वराहमिहिर और भास्कर जैसे प्राचीन भारतीय गणितज्ञों के योगदान से लेकर इसरो के हालिया अंतरिक्ष मिशनों तक भारत की खगोल विज्ञान यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने सम्मेलन में आए सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस आयोजन को ज्ञानवर्धक और उपयोगी बनाने की कामना की।

एएसआई के अध्यक्ष एवं आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम के निदेशक, प्रो. दिपांकर बनर्जी, ने अध्यक्षीय भाषण दिया। उन्होंने हाल के वर्षों में एएसआई की गतिविधियों और भारत में खगोल विज्ञान के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से “विजन दस्तावेज़” का उल्लेख किया, जो भारतीय खगोल विज्ञान समुदाय द्वारा तैयार किया गया एक विस्तृत रोडमैप है, जिसमें इस क्षेत्र में वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर गहन विचार किया गया है। प्रो. बनर्जी ने युवा खगोलविदों और स्नातक छात्रों की भागीदारी पर विशेष हर्ष व्यक्त किया।

सम्मान और पुरस्कार

इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए:

एएसआई गोविंद स्वरूप लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – प्रो. प्रह्लाद सी. अग्रवाल (टीआईएफआर, मुंबई) को प्रदान किया गया। उन्होंने भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला, एस्ट्रोसैट मिशन, की शुरुआत करने और देश के सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शोध यात्रा पर एक विशेष लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गई।

प्रो. एम. के. वेणु बापू स्वर्ण पदक – डॉ. अनुपम भारद्वाज (आयुका, पुणे) और डॉ. जो पी. नीनन (टीआईएफआर, मुंबई) को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।

एएसआई लक्ष्मीनारायण और नागलक्ष्मी मोदाली पुरस्कार – प्रो. निरुपम रॉय (आईआईएससी, बेंगलुरु) को आकाशगंगाओं और रेडियो खगोल विज्ञान में उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए सम्मानित किया गया।

एएसआई जुबिन केम्भवी पुरस्कार – डॉ. बी. एस. शैलजा को खगोल विज्ञान में जनसंपर्क और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रदान किया गया।

जस्टिस वी. जी. ओक पुरस्कार (उत्कृष्ट पीएचडी थीसिस के लिए) – डॉ. देवोज्योति कंसबानिक और डॉ. आदित्य विजयकुमार को संयुक्त रूप से दिया गया, जबकि डॉ. डिंपल और डॉ. नमिता उप्पल को विशेष उल्लेख के रूप में सम्मानित किया गया।

एएसआई एस्ट्रोसैट पुरस्कार – सुश्री शिप्रा होता को प्रदान किया गया, तथा डॉ. दिव्या पांडे और श्री जुधाजीत बसु को सम्मानपूर्वक उल्लेखित किया गया।

युवा खगोलशास्त्री पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन हेतु) – डॉ. सिंधु सत्यवोलू को दिया गया, तथा श्री कोशवेंद्र सिंह और श्री सौविक जना को सम्मानपूर्वक उल्लेखित किया गया।

अन्य गतिविधियाँ और चर्चाएँ

दिनभर वैज्ञानिक सत्रों में खगोल विज्ञान के विभिन्न विषयों पर गहन चर्चाएँ हुईं। पुरस्कार विजेताओं ने अपने अनुसंधान कार्यों को प्रस्तुत करते हुए व्याख्यान दिए। दोपहर में छात्रों को टेलीस्कोप के माध्यम से सूर्य के काले धब्बे (सौर धब्बे) देखने का अवसर मिला। इस दौरान, प्रो. दिपांकर बनर्जी ने “सूर्य और आदित्य-एल1 अंतरिक्ष मिशन” पर एक लोकप्रिय व्याख्यान दिया।

भागीदारी और निष्कर्ष

इस बैठक में भारत के 17 राज्यों और 17 देशों के 112 संस्थानों से 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें 29 विदेशी संस्थानों, 37 भारतीय अनुसंधान संस्थानों और 46 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही, जो इस आयोजन की व्यापकता और महत्व को दर्शाता है।

अंत में, प्रो. अभय प्रताप यादव ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए बैठक के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी।

भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद (एएसआई) के बारे में

1972 में स्थापित भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद (एएसआई) भारत में पेशेवर खगोलविदों का प्रमुख संघ है, जिसमें लगभग 1000 सदस्य शामिल हैं। यह संगठन खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है। एएसआई वैज्ञानिक बैठकों का आयोजन करता है और खगोल विज्ञान को जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए जनसंपर्क गतिविधियाँ संचालित करता है।

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