
कांटामुंडा गांव पहुंचविहीन क्षेत्र
सुंदरगढ़ जिले के बणई उपखंड में गुरुंडिया प्रखंड़ अंतर्गत आनेवाले सोल पंचायत में स्थित कांटामुंडा गांव अभी भी दुर्गम क्षेत्र में है।यहाँ बरसात के दिनों में नालों में पानी भर जाने के कारण भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए उफनते नाले को पार करने के लिए ग्रामीण इसपर अपने प्रयासों से लकड़ी के पुल का निर्माण करते है।
दुर्भाग्य से, आजादी के 78 वर्ष के बाद भी, कांटामुंडा गांव अभी भी एक दुर्गम क्षेत्र है।
पता चला है कि घने जंगल में 120 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं. अगर आप इस गांव में जाना चाहते हैं तो नालों को पार करके जा सकते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार बरसात के चार महीने तक बारिश हमारे लिए अभिशाप बन रही है।नालों में बरसात का पानी भर जाने के कारण यातायात पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है।
इसीलिए यहाँ ग्रमीण मिलकर जंगल से लकड़ियाँ इकट्ठा करके खंभों पर डालकर नाले के ऊपर पुल बनाने को मजबूर हैं।
इस पुल को बनाने के लिए गांव के पुरुष इकट्ठा होकर लकड़ियाँ लाते हैं, जबकि महिलाएं सड़क बनाने के लिए जंगल से पत्थर इकट्ठा करती हैं। ग्रामीणों की मानें तो सड़कों की मरम्मत और नहरों पर पुल बनाने के लिए वे बार बार स्थानीय सरपंचों से लेकर नेताओं तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से सड़क की मरम्मत कराने और उच्च गुणवत्ता वाले पुल बनाने की मांग की है।
पर देखना यह है कि ग्रामीणों की मांग कबतक पूरी होती है।