त्रिकुंडा धान खरीदी केंद्र बना अवैध वसूली का अड्डा, खरीदी प्रभारी बोले 5 हज़ार रुपए दो नहीं तो 20 बोरी धान काट देंगे, सोशल मीडिया में वीडियो हुआ वायरल

बलरामपुर/रामानुजगंज। बलरामपुर जिले के धान खरीदी केंद्र त्रिकुंडा इन दिनों सुर्खियों में है, एक तरफ शासन- प्रशासन किसानों को बेहतर सुविधा मुहैया कराते हुए धान खरीदी को सुगम और आसान बनाने की दिशा में हर सम्भव प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरे तरफ खरीदी प्रभारियों द्वारा खरीदी केंद्र को अवैध वसूली का अड्डा बना दिया गया है। सोशल मीडिया में वीडियो हुआ वायरल। ” संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज़ इसका पुष्टि नही करता।
वीडियो में धान खरीदी केंद्र त्रिकुंडा में खरीदी प्रभारी दीपक यादव द्वारा एक गरीब आदिवासी किसान से उसके द्वारा लाए गए धान को अमानक बताकर 20 बोरी धान काटने का धमकी देकर 5000 रुपए अवैध तरीके से वसूला गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, किसान का आरोप है कि खरीदी प्रभारी पहले धान को अमानक बताया और बोला कि 20 बोरा धान अधिक दो या फिर 5000 हजार रुपए नगद दो तभी तुम्हारा धान खरीदी होगा अन्यथा जहां जाना है जा सकते हो, किसान बेहद गरीब और आदिवासी वर्ग से आता है, खरीदी प्रभारी के इस रवैये से वे डर गया और पास पड़ोस से उधार लेकर लेकर 5000 रुपए दिया तब जाकर उसका धान खरीदी किया गया।
सोशल मीडिया में वीडियो हुआ वायरल
वायरल वीडियो में गत दिवस 10 दिसम्बर को राधानगर का एक गरीब आदिवासी किसान अपना धान लेकर आया, फड़ के हमाल द्वारा विधिवत उसे तौल कर समिति के बारदाने में पैक किया अब आदिवासी किसान अपने धान का तौल पत्रक प्राप्त करने एवं ऑनलाइन मॉड्यूल में धान चढ़ाने हेतु खरीदी प्रभारी दीपक यादव से प्रार्थना करता है, खरीदी प्रभारी दीपक यादव उस किसान से धीमी आवाज में पूछता है “जमा कर दिए आप”
किसान बोलता है ” हा जमा कर दिया”
खरीदी प्रभारी अपने वसूली एजेंट से पूछता है, 5000 पांच हजार जमा हो गया इनका।
वसूली एजेंट कन्फर्म करता है, “हां, प्राप्त हो गया”
अब खरीदी प्रभारी उस गरीब आदिवासी किसान को ऑनलाइन चढ़ाने का आदेश देते हुए कहता है
“अभी आपका धान नहीं सिलाया होता तो हमलोग सब सस्पेंड हो जाते” आप समझदार थे जो जल्दी पैसा दे दिए अब आपका धान चढ़ जाएगा।
इसके बाद खरीदी प्रभारी और वसूली एजेंट दोनों ऑफिस रूम में जाकर पैसे का बंटवारा करते हैं, वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
तौल पत्रक काटने का फीस अलग से 250 रुपए निर्धारित
गरीब आदिवासी किसान खरीदी प्रभारी द्वारा 20 बोरी धान घटाने के धमकी से आहत होकर नगद 5000 रुपए देकर तौल पत्रक लेने गया तो वहां एक कर्मचारी इस बात पे अड़ गया कि हमारा 250 रुपए फिक्स निर्धारित है जमा करो तभी तौल पत्रक दूंगा, किसान गिड़गिड़ाता है कि भईया पड़ोस से उधार लेकर आया था खरीदी प्रभारी को दे दिया अब मेरे पास पैसा नहीं बचा है, “तौल पत्रक काटने वाला कर्मचारी बिल्कुल निडर होकर बोलता है की इसी में थोड़ा सा इधर उधर कलम चला दिया और गड़बड़ा गया तो तुम दौड़ते रह जाओगे” किसान आश्वासन देता है कि बाद में लाकर देता हूँ।
सक्रियता पर उठ रही सवाल
अब सवाल उठता है कि एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार किसान का एक-एक दाना धान को खरीदने के लिए खरीदी प्रक्रिया को बेहद सुगम और आसान बनाने की दिशा में अग्रसर है, दूसरे तरफ अफ़सर सहित अन्य अधिकारी लगातार दौरा कर निरीक्षण कर रहे हैं तो फिर खरीदी प्रभारियों द्वारा किसानों को इतना हद तक प्रताड़ित करने का साहस कैसे प्राप्त हो रहा है।
धान बेचने में लूटे जा रहे आदिवासी किसान
खरीदी प्रभारी को अलग से पैसा, कम्प्यूटर आपरेटर को अलग पैसा, तौल पत्रक काटने वाले को अलग पैसा, एक किसान जब अपना धान बेचने खरीदी केंद्र लेकर जाता है तो कदम कदम पर अवैध वसूली के चलते किसानों की आय लागत की तुलना में बेहद कम बचत हो रही है जिससे गरीब और आदिवासी वर्ग के किसान बेहद लाचार और परेशान है।





