छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट से भी फेल हुई मग्गू सेठ की याचिका, अब गिरफ्तारी पर टिकी निगाहें

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नई दिल्ली/रायपुर/बलरामपुर।
ज़मीन घोटाले, पुलिस-राजनीतिक गठजोड़ और संगठित अपराध के आरोपों से घिरे विनोद कुमार अग्रवाल उर्फ़ मग्गू सेठ को अब सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका मिला है। 7 अगस्त 2025 को सर्वोच्च अदालत ने उनकी स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) खारिज कर दी, जिससे छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का आदेश बरकरार रहा।

हर स्तर पर हारी याचिकाएँ

  • लोअर कोर्ट: ट्रायल कोर्ट में दायर याचिकाएँ उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के चलते खारिज हो गईं।
  • हाई कोर्ट: 1 जुलाई 2025 को हाई कोर्ट, बिलासपुर ने साफ कहा कि निचली अदालत का आदेश सही है।
  • सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई में कहा—“विशेष अनुमति का कोई कारण नहीं”—और SLP को खारिज कर दिया।

लंबा आपराधिक रिकॉर्ड

मग्गू सेठ का नाम 2009 से 2024 तक कई गंभीर मामलों में सामने आ चुका है।

  • क्रेशर हत्याकांड (2022): जांच प्रभावित करने के आरोप।
  • फर्जी रजिस्ट्री (2024): पहाड़ी कोरवा समुदाय की शिकायत, 14 लाख रुपये के चेक से धोखाधड़ी।
  • राजपुर थाने के मामले: अपहरण, बलवा, SC/ST उत्पीड़न समेत पाँच से अधिक प्रकरण।
  • बरियों चौकी के मामले: बलवा, लापरवाही से मृत्यु, बंधक बनाने जैसे आरोप।

बेनामी संपत्ति का जाल

ग्राम भेसकी (जनपद पंचायत राजपुर, बलरामपुर) में ही कमला देवी / रीझन / नगेसिया के नाम पर 50 से अधिक प्लॉट खरीदे गए, जिनका कुल रकबा 23.54 हेक्टेयर है। यह तो सिर्फ एक गाँव का विवरण है—स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे जिले और राज्य में मग्गू सेठ के नाम व बेनामी खरीदारों के जरिये जमीनें खपाई गई हैं।

जिला बदर पर भी उठे सवाल

कई FIR दर्ज होने के बावजूद जिला बदर की कार्यवाही वर्षों तक दबा दी गई। यहां तक कि उनके भाई प्रवीण अग्रवाल का मामला भी रोक दिया गया था। लोगों का आरोप है कि यह सब प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव का नतीजा है।

अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट से हारने के बाद मग्गू सेठ के पास कोई बड़ा कानूनी विकल्प नहीं बचा है। गिरफ्तारी का रास्ता साफ है। मगर सवाल यह है कि—पुलिस कब कार्रवाई करेगी?
स्थानीय लोग साफ कह रहे हैं—
“अगर अब भी गिरफ्तारी टली, तो समझिए डील चल रही है।”

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