झारखंड

वन ग्राम को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग पर टेबो के कड़ेदा में हुआ ग्रामीणों का जुटान

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जन सभा में समाज सेवी डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा
हर हाल में वनग्राम को राजस्व गांव का दर्जा दिलाया जाएगा

चक्रधरपुर। पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर अनुमण्डल वन अधिकार समिति द्वारा गुरुवार को जिला अध्यक्ष विलसन सोय की अध्यक्षता में टेबो के काड़ेदा में एक आम सभा का आयोजन किया गया। सभा में मुख्य अतिथि के रूप में पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव सह समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई उपस्थित हुए। बैठक को संबोधित करते हुए डा विजय सिंह गागराई ने कहा कि बंदगांव प्रखंड में 80 वन ग्राम है। वनग्राम को राजस्व गांव का दर्जा मिलना इनका हक है।

लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड अलग राज्य हुए 24 साल हो गया। लेकिन वन ग्राम के लोगो को अबतक उनका हक नही मिला है। जबकि वन अधिकार कानून 2006 नियम 2008 और संसोधन नियम 2012 प्रारूप ग धारा 3(1) के तहत पूर्व 2005 से पहले से ही वन भूमि जमीन पर गांव बसाया गया है।

उन वन ग्रामों के लिए भारत सरकार द्वारा मान्यता अधिनियम के तहत पति-पत्नी दोनों का नाम से दस एकड़ वन भूमि जमीन  देने का प्रावधान है। उन्होंने उन्होंने आरोप लगाया है की पश्चिम सिंहभूम पोड़ाहाट में वन विभाग द्वारा लोगों के दावा पत्रों में कटौति करके एक एकड़, दो एकड़ वन पट्टा जमीन दिया जा रहा है।

वन अधिकार कानून 2006 नियम 2008 और संशोधन नियम 2012 ग धारा 3(1)झ के तहत तीनों दावा पत्र फार्म को भरने के लिए है। दावा पत्र के तहत् सीमांकन नाजिर नक्सा के अन्दर का सामुदायिक चारागाह जंगल से वन उपज को संग्रह करने और जंगल को रक्षा करने का ग्राम सभा का अधिकार है।

व्यक्तिगत दावा पत्र के साथ हर वन ग्रामों का सामुदायिक दावा पत्र भरा गया था लेकिन   वन विभाग के अधिकारियों ने सामुदायिक दावा पत्र को आगे नहीं बढ़ाया।  उन्होंने कहा कि जिस वन ग्रामों का भौतिक सत्यापन हुआ है और वन पट्टा मिल चुका है। उन वन ग्रामों को खुंटखटी गाव में घोषित करके राजस्व गांव का दर्जा दिलाने का काम किया जाएगा।

वही चक्रधरपुर अनुमंडल वन अधिकार समिति सदस्य मानी हंस मुंडा ने कहा कि वन ग्रामों के मुण्डाओं द्वारा चन्दा एवं मालगुजारी के रूप में रसीद काट करके अंचल कार्यालय में एवं कर्मचारी के पास जमा करेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम पोड़ाहाट चाईबासा-चक्रधरपुर अनुमण्डल वन अधिकार समिति ससायों के द्वारा मांग पत्र भरकर भारत सरकार नई दिल्ली को डाक के माध्यम से   प्रेसित किया गया था ।

आदिवासी कल्याण मंत्रालय के सचिव ने मानी हंस मुण्डा के नाम से पत्र दिया था। उस पत्र के अनुसार झारखण्ड सरकार के सभी मंत्रियों का कहना है कि जिस वन ग्रामों का भौतिक सत्यापन हुआ है और वन पट्टा मिल चुका है उन वन ग्रामों को कैबिनेट बैठक में रख करके चर्चा किया जाए। ताकि वन ग्रामों के स्कूली बच्चों का जाति, आवासीय प्रमाण पत्र बन सके।

लाभुकों को भी झारखण्ड सरकार द्वारा लाभ मिल सके। लेकिन अब तक झारखंड सरकार की उदासीनता के कारण ही वनग्राम को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिल पाया है। जब कि 3 बार सरकार को पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन अब तक यह सरकार आदिवासी समाज के हित की बात नहीं सोच रही है। सरकार जल्द से जल्द इस पर निर्णय लेकर कोई ठोस कदम उठाए।

वहीं मंगलवार को डाक द्वारा पुनः एक मांग पत्र सौंपा गया। ताकि सरकार जल्द से जल्द हमारी मांगो को पूरा करे। इस मौके पर जिला अध्यक्ष विल्सन सोय, मानीहंस मुंडा, सचिव मंगलदास हंस, उप सचिव सुलेमान हंस, उपाध्यक्ष धर्म दास बांकिरा, कोषाध्यक्ष साधो पूर्ती, उप कोषाध्यक्ष मोरगा सोया, मादो पूर्ति, मोरगा सोय, अब्राहम हंस मुंडा, सोमा हुनी पूर्ति ,बोबास पूर्ति, मंगरा हंस, जोहन पूर्ति, प्रभु पूर्ति, मार्शल हपदगड़ा समेत बड़ी संख्या में महिला और पुरुष मौजूद थे।

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