महादेवशाल धाम में श्रावणी मेले का भव्य शुभारंभ

सांसद जोबा माझी ने की पूजा-अर्चना, क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना
चक्रधरपुर, झारखंड।
झारखंड के प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल महादेवशाल धाम में रविवार को श्रावणी मेले का विधिवत उद्घाटन संपन्न हुआ। इस अवसर पर सिंहभूम की सांसद श्रीमती जोबा माझी ने फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया और भगवान भोलेनाथ के दरबार में मत्था टेककर क्षेत्रवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।

सावन माह के पहले सोमवार से पहले शुरू हुए इस मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। मंदिर और मेला क्षेत्र में स्वच्छता और व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन सतर्क है। बीडीओ विवेक कुमार और थाना प्रभारी ने महादेवशाल सेवा समिति के पदाधिकारियों के साथ मिलकर तैयारियों का जायजा लिया।
रविवार को ही बड़ी संख्या में दूर-दराज से आए शिवभक्तों ने कतारबद्ध होकर जलाभिषेक किया। मंदिर परिसर में शिव नाम के जयकारों के बीच श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिला।

सांसद जोबा माझी का बयान:
“महादेवशाल धाम श्रद्धा का केंद्र है। यह द्वितीय वैद्यनाथ धाम के रूप में प्रसिद्ध है। यहां वर्षों से आस्था के साथ पूजा-अर्चना की जाती रही है। सावन का यह पवित्र महीना झारखंड और देश में खुशहाली लेकर आए।”
उद्घाटन कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख लोग:
जिला परिषद सदस्य ज्योति मेराल, बीडीओ विवेक कुमार, समिति के सचिव रामचंद्र प्रसाद, प्रभारी राजेश चौरसिया, सदस्य सुधीर बाजपेई, राकेश चौरसिया, सीताराम बेसरा, दिनेश गुप्ता, आलोक रंजन सिंह, पवन कुमार, मुनमुन चौरसिया, अकबर खान, सुमित सेन, संतोष मिश्रा, किशोर दास सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
खंडित शिवलिंग की होती है पूजा, इतिहास में छिपा रहस्य
महादेवशाल धाम, गोइलकेरा प्रखंड के सुरम्य पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां स्थित खंडित शिवलिंग की पूजा सदियों से होती आ रही है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, ब्रिटिश काल में बंगाल नागपुर रेल परियोजना के तहत सुरंग निर्माण के दौरान मजदूरों को जमीन में शिवलिंग जैसा पत्थर मिला। मजदूरों ने काम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी ने स्वयं फावड़ा चलाकर उस पत्थर को हटाने की कोशिश की और उस पर वार किया, जिससे शिवलिंग खंडित हो गया। उसी समय रॉबर्ट हेनरी की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद सुरंग का रास्ता बदलना पड़ा और वहां मंदिर का निर्माण कर पूजा शुरू की गई।
तब से आज तक यहां श्रद्धालु न केवल झारखंड बल्कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों से सावन में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। सावन के दौरान विशेष ट्रेनों का ठहराव भी महादेवशाल स्टेशन पर होता है, जिससे भक्तों को सुविधा मिल सके।





