झारखंड

छऊ को जीवित रखने के लिए युवा वर्ग जिम्मेदारी से आगे आएं

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चक्रधरपुर के लाव जोड़ा में आयोजित छऊ नृत्य कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विधायक सुखराम उरांव ने कहा की छऊ नृत्य समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम करता है

चक्रधरपुर। चक्रधरपुर प्रखंड के लावजोड़ा में दो दिवसीय छऊ नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज हुए समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि विधायक सुखराम उरांव ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में भाग लेकर पौराणिक कथाओं पर मनमोहक छऊ नृत्य करने वाले टीम के कलाकारों को सम्मानित करते हुए विधायक श्री उरांव ने कहा की छऊ नृत्य छोटानागपुर का धरोहर ओर परंपरा है। झारखंड, ओडिशा ओर पश्चिम बंगाल में छऊ नृत्य का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। यह समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम करता है। सामाजिक मनमुटाव को समाप्त करने और छऊ नृत्य के जरिए पौराणिक कथाओं को जीवन में हृदयंगम कर जीवन में उसके मूल्यों को उतार कर समाज की मन वैश्यता को समाप्त करने की सीख मिलता है।

छऊ नृत्य की शैली में भले ही भिन्नता हो लेकिन छऊ नृत्य की कला एक है। यह हमारी प्राचीन परंपरा है। देवकाल भी छऊ नृत्य का अस्तित्व का प्रमाण पौराणिक कथाओं में जिक्र किया जाता है। झारखंड में राजबाड़े काल में राजा महाराजा छऊ नृत्य को नृत्यकला में सर्वोपरि मानते थे। राजा महाराजा भी छऊ नृत्य कर अपना मनोरंजन करने के साथ साथ इसकी संस्कृति को बचाने का काम करते थे । विधायक श्री उरांव ने कहा की छऊ की परंपरा को जीवित रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने गांव गांव में छऊ का प्रचार प्रसार के लिए युवकों को आगे आने का आह्वान किया है। आयोजन समिति की ओर से कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उप प्रमुख विनय प्रधान, झामुमो युवा नेता अमर बोदरा, मनोज डांगिल एवं आयोजन समिति के रामलाल मुंडा , धर्मराज प्रधान आदि बड़ी संख्या में सदस्य गण मौजूद रहे।

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