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अब जब आप पिछले 10 सालों से सत्ता आपके हाथ में है और आपने देश को अपने हिसाब से चलाया है फिर आए दिन क्यों हो रहे है आतंकी हमले

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मुझे लगता है कि महज एक महीने में कठुआ सहित पांच बड़े आतंकी हमलों को लेकर सरकार से सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए…

मोदी सरकार के किस दावे को आप सच मानेंगे,,पहला कि देश की सत्ता सम्हालने के सिर्फ 100 दिन बाद ही देश की तत्कालीन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आयेगा,इतने ही दिनों में देश विश्वगुरु बन जाएगा,,,,या फिर नोट बंदी के बाद देश में भ्रष्टाचार और आतंकवाद खत्म हो जाएगा,,,या फिर धारा 370 को हटा दिए जाने के बाद कश्मीर में पाक समर्थित आतंकवाद पर पूरी तरह से लगाम लग जाएगा,,,कठुआ हमले के बाद से मुझे लगता है कि सरकार के सभी दावेअब तक तो पूरी तरह से फेल दिख रहे हैं,,

यहां तक कि दो_दो बार किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के दावे के बाद भी जम्मू और कश्मीर में हालात नही बदले,,विशेषज्ञों की माने तो पिछले 10सालों में अकेले जम्मू कश्मीर में 2 हजार से अधिक बार आतंकी हमला और क्रास बार्डर फायरिंग हुई जिसमे देश ने ग्यारह सौ से से अधिक जवानों को खोया,,गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2014 से 2018 के बीच जम्मू-कश्मीर में कुल 1708 आतंकी हमले हुए. कहा जा सकता है कि इस हिसाब से हर महीने 28 आतंकी हमले जम्मू-कश्मीर में हुए. भारत सरकार के आंकड़े इन दावों की पुष्टि करते हैं. इन आंकड़ों को गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने लोकसभा में जारी किया था,,जो 2024 तक बढ़कर 2 हजार से पार हो चुका है।।

इधर कठुआ हमले के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार के सामने सवाल खड़े किए है,,जिनमे पिछले दस सालों में जान गंवाने वाले सैनिकों की लिस्ट केंद्र सरकार से मांगी गई है।। विपक्ष ने नरेंद्र मोदी का तत्कालीन विडियो शेयर करते हुए उन्ही से उनके अंदाज में सवाल पूछा है कि अब जब देश की सीमाएं केंद्र सरकार के सीमा सुरक्षा बल के हाथ में है,,पूरा एनटलिजेंस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है,,मनी ट्रांजिक्शन से लेकर देश की 14 लाख सैनिकों की तैनाती केंद्र सरकार के हाथ में है,, फिर कैसे आएं दिन देश में कठुआ जैसे आतंकी और नक्सली हमला हो रहा है??

शिवसेना के संजय राउत ने जोर देकर कहा कि “इस सरकार के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है। जबकि सरकार का दावा था,कि उसके सत्ता में आने के महज 100 दिनों के भीतर ही पाक समर्थित आतंकवाद पर पूरी तरह से लगाम कस दिया जाएगा। मगर ऐसा हुआ नहीं,सरकार ने जो दावे विपक्ष में रहकर किए थे उसके उलट व्यवहार किया है।” भाजपा की मोदी सरकार ने कश्मीर के अलगाववाद समर्थकों के साथ सत्ता में हिस्सेदारी की परिणाम स्वरूप एक के बाद एक भीषण आतंकी हमले हुए। कमोबेश नक्सलवाद ने भी देश के अंदर इन दस सालों में खूब खून बहाया।

जब काफी सवाल सरकार के सामने खड़े होने लगे,,,तब एक रात 8 नवंबर 2016 को देश में प्रचलित 1000 और 500 के नोट बंद करने अर्थात नोटबंदी का ऐलान केंद्र सरकार ने यह कहकर कर दिया कि अब देश में आतंकवाद और नक्सलवाद पर पूरी तरह से लगाम कस दी जाएगी। नोटबंदी के साथ केंद्र की मोदी सरकार और उसकी पोषित गोदी मीडिया ने दावा किया कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट गई है। दोनो की सप्लाई लाइन काट दी गई है। उनके पास जमा नोट कागज का ढेर बन गए है।

हालाकि केंद्र सरकार का यह दावा भी खोखला साबित हुआ। नोट बंदी के तुरंत बाद ही आतंकियों और नक्सलियों ने एक दर्जन से अधिक बड़े हमले करके बड़ी संख्या में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों की जान ली। नोट बंदी के बाद हुए बड़े आतंकी और नक्सली हमलों में नगरगोटा आतंकी हमला 2016, पठानकोट हमला 2016,उरी हमला 2016,सुकमा हमला 2016,पंपोर हमला 2016, हंदवाड़ा.हमला_2016,अमरनाथ हमला 2017,सुकमा हमला 2017,कोकराझार हमला 2017, सुजन्वा हमला 2018, सुकमा हमला 2018 जैसे बड़े हमलों ने बताया कि नोटबंदी का भी कोई प्रभाव आतंकवादियों और नक्सलियों के हमले पर नही पड़ा है।

इस बीच देश की आंतरिक और सीमाई क्षेत्रों की सुरक्षा में असफल रहने वाली केंद्र सरकार का बचाव में सरकार के जिम्मेदार नेताओं की जगह गोदी मीडिया करती नजर आई।

इधर तुगलकी शैली वाली केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। इस बार भी सकरार और उसकी पोषित मीडिया ने खूब हवाई दावे किए बस अब चीनी सेना का सीमा पर अतिक्रमण और पाक परस्त आतंकवाद का हमला बीते कल की बात साबित होगी। कुछ चैनलों तो इतना भी दावा कर दिया कि केंद्र की मोदी सरकार पीओके और अक्साई चीन के इलाकों में बड़ा हमला करवाकर उन्हें वापस लेने वाली है।

हालाकि हर बार की तरह इस बार भी इन दावों का कुछ खास प्रभाव कश्मीरी आतंकवाद पर नही पड़ा। धारा 370 हटाए जाने के बाद भी चीनी सेना भारतीय क्षेत्रों में लगातार घुसपैठ करती रही वही पुलवामा 2019 आतंकी हमले ने सरकारी दावों की हवा निकाल दी। 370 के बाद भी जम्मू कश्मीर में एक दर्जन से अधिक बड़े आतंकी हमले हुए। जिनमें देश ने 100 से अधिक जांबाजों को गंवाया। खासकर अकेले पुलवामा आतंकी हमले में एक साथ हमारे 45 जवान शहीद हो गए। जिसके बाद गोदी मीडिया पुनः बेशर्मो की तरह हर रोज pok पर भारतीय सेना के संभावित हमले का झूठा मनगठंत खबर दिखाने लगे।

जब पुलवामा हमले में जवानों को हवाई सुविधा न दिए जाने और खटारा बसों में ड्यूटी पर भेजे जाने के सरकारी निर्णयों का देश भर में विरोध होने लगा तो कुछ एक चैनलों ने यह दावा किया कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर में तैनात सभी भारतीय जवानों को इजरायल और फ्रांस में बनी आधुनिक सुविधाओं वाली बुलेट प्रूफ बख्तर बंद वाहन देने जा रही है। इन वाहनों की सप्लाई कुछ दिनों में शुरू भी हो जायेगी जिनकी तैनाती साल के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।। अब भारतीय सैनिकों के वाहन पर आतंकी बंदूक,ग्रेनेड और बारूद से हमला नही कर पाएंगे। ऐसे किसी भी हमले में भारतीय सैनिकों की जान अब नही जाएगी।

मगर यह क्या पुलवामा हमले के पांच साल बीत जाने के बाद भी हुए कई हमलों में हमने देखा कि भारतीय सैनिक आज भी अति साधारण टीन_कनस्तर वाली दशकों पुरानी बसों और ट्रकों में बैठकर ही आवागमन कर रहे है जो बड़ी आसानी से घाटी में घात लगाकर बैठे आतंकियों के सॉफ्ट टारगेट बनने लगे है,और एक के बाद एक होने वाले हमले में शहीद होते जा रहे हैं।।

कठुआ हमला इस बात का जीवंत प्रमाण है कि केंद्र सरकार ने अपने 10 साल के विगत कार्यकाल में देश के जवानों और सैनिकों को जमीनी स्तर पर किसी प्रकार की कोई जरूरी युद्ध सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई,,जो निश्चित तौर पर की जानी चाहिए थी,, इसकी जगह देश की सेना के मूलभूत ढांचे को ही प्रभावित करते हुए सेना के अंदर दो तरह के सैनिक बना दिए।। इस तरह देखें तो सरकार इन दिनों में केवल हवाई दावे में ही मस्त रही।। और हर हमले के बाद जहां केंद्र सरकार मुंह छुपाते रही तो वही गोदी मीडिया “pok पर बड़ा एक्शन”,,”मोदी सरकार ने सेना को फ्री हैंड छोड़ा” जैसे बकवास और बनावटी खबरों के साथ देश के लोगों को बरगलाने में लगा रहा।।

इसी बीच बीते एक महीने के दौरान घाटी में हुए पांच बड़े आतंकी हमले ने देश के नागरिकों को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया। इधर विपक्ष का कहना है कि लंबी लंबी फेकने वाली मोदी सरकार के कार्यकाल 2014 से 2024 तक खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से,,जम्मू-कश्मीर में स्थिति लगातार बिगड़ती ही गई है।। विपक्ष कठुआ हमले के बाद केंद्र सरकार से सीधे तौर पर कहने लगा है कि हमें उन सैनिकों की सही संख्या के बारे में जानकारी चाहिए,, जिन्होंने आपके शासन काल में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। ताकि देश की जनता को यह बताया जा सके कि देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को सिर्फ लफासबाजी के भरोसे नही छोड़ा जा सकता है।। अब सरकार को अपनी कथनी और करनी का अंतर मिटाना होगा।। साथ ही अपनी असफलता भी स्वीकार करनी पड़ेगी।।

नितिन सिन्हा
संपादक
खबर सार

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