झारखंड

बस और रेलवे में पास के लिए दर दर भटक रहा है दिव्यांग रबिंद्र पात्र

28 साल पहले मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित होकर श्रवणशक्ति खो चुके रबिंद्र सहायता के लिए राज्य सरकार, रेलमंत्री और प्रधान मंत्री को लिख चुका है पत्र

चक्रधरपुुर। मस्तिष्क ज्वर के ग्रसित होकर 28 साल पहले बहरा होने का जख्म लिए सरकारी बस और रेलवे पास के लिए दर दर भटक रहे मधुसुदन पल्ली के वार्ड क्रमांक-10 राउरकेला(ओड़शा) निवासी रबिंद्र नाथ पात्र का दुखड़ा सुनने को कोई तैयार नहीं है।

मधुसुदन पल्ली के एक झुग्गी झोपड़ी में पत्नी और दो बेटियों के साथ रहकर मजदूरी का काम कर जीवन व्यतीत करने वाले रबिंद्र पात्र सरकारी बसों और रेल यात्रा के लिए पास की उम्मीद में दिन काटने को मजबूर है।

सरकारी अस्पातल से शत प्रतिशत दिव्यांग घोषित किए गए असहाय रबिंद्र नाथ पात्र को दिव्यांग(बहरा) होने के कारण ओड़िशा सरकार ने बसों में यात्रा के लिए नि:शुल्क पास मुहैया कराया था जो 2024 में इसकी अवधि समाप्त हो गया है।

वर्तमान कई बार विभागीय कार्यालयों में पास के लिए आवेदन किए जाने के बाद भी उसे बस के लिए नि:शुल्क पास नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बसों में उनकी नि:शुल्क यात्रा के लिए जहां ओड़िशा सरकार से आवेदन कर पास की मांग की है वहीं केंद्रीय रेल मंत्री और प्रधान मंत्री को पत्र लिखकर रेलवे में नि:शुल्क पास देने का निवेदन किया है।

विदित हो कि 1996 में रबिंद्र पात्र को मस्तिष्क ज्वर हो गया। उसे ईलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां ईलाज के बाद वह स्वस्थ्य तो हो गया लेकिन उनकी श्रवण शक्ति सदा के लिए चली गई।

बीमारी के बाद पूर्ण रुप से दिव्यांग(बहरा) हो जाने वाले रबिंद्र को राउरकेला सरकारी अस्पताल से शत प्रतिशत दिव्यांग प्रमाण पत्र मुहैया कराया गया है। रबिंद्र की चाहत है कि उसे बसों और रेल में नि:शुल्क यात्रा के लिए एक सहयोगी के साथ पास मुहैया कराया जाय।

इस सबंध में उन्होंने रेल मंत्री, राज्य सरकार, जिला प्रशासन यहां तक की प्रधान मंत्री को भी पत्र लिखकर पास प्रदान करने की मांग की है। चार बेटियों के पिता रबिंद्र पात्र की दो बेटियों का विवाह हो चुका है वर्तमान वह पत्नी और अपने दो बेटियों के साथ मधुसुदनपल्ली में रहकर साथ एक निजी प्रिंटिंग प्रेस में बेंडिग काम कर अपना जीवन निर्वाह कर रहा है।

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