
गांव की सेवा के लिए चुनावी मैदान में, छल-कपट की राजनीति से दूरी
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। मरवाही नगर पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच भूतपूर्व उपसरपंच मधु धीरेन्द्र उपाध्याय ने अपने स्पष्ट विचारों और जनसेवा के संकल्प के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा है। गांववासियों ने उनकी सूझबूझ, ईमानदार छवि और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए उन्हें नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प माना। हालांकि, कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते गांव से ही प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के खड़े होने को चिंताजनक माना जा रहा है।

सवालों के जवाब में दिखी दृढ़ता और पारदर्शिता की प्रतिबद्धता
जब मधु धीरेन्द्र उपाध्याय से पूछा गया कि उपसरपंच रहते हुए उन्होंने क्या कार्य किए, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि ग्राम पंचायत में प्रतिनिधित्व का अधिकार सरपंच के पास होता है। कई बार उन्होंने गलत कार्यों का विरोध किया, लेकिन पूरा प्रशासनिक नियंत्रण सरपंच के पास होने के कारण उनकी आवाज को अनसुना कर दिया गया।
उनसे जब उनकी निजी विचारधारा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा—
“मैं अपने सामर्थ्य के लिए नहीं, बल्कि अपने लोगों के हित के लिए लड़ रही हूं। राजनीति की चकाचौंध में जो मासूम जनता को अंधकार में धकेल देते हैं, मैं उन्हें पारदर्शिता की राजनीति से अवगत कराना चाहती हूं।”
जनता की सेवा ही प्राथमिकता
मधु धीरेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि वह झूठे वादों और खोखले आश्वासनों की बुनियाद पर अपनी राह नहीं बनाएंगी। उनका सपना है कि अपने पूर्वजों द्वारा बनाई गई इस राह पर पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जनता का नेतृत्व करें।
“झूठे वादों से अपनी नींव नहीं रखनी मुझे,
डगर पूर्वजों ने बनाई है, अपनों के साथ चलना है मुझे।”





