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लैलूंगा में धान माफिया सक्रीय और स्थानीय प्रशासन निष्क्रिय…


लैलूंगा :- इन दिनों छत्तीसगढ़ प्रदेश में आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से समर्थन मुल्यों में किसानों के खरीफ फसल सीजन वर्ष 2024-25 कि धान कि खरीदी के लिए शासन – प्रशासन  कि ओर से अच्छे क्वालिटी युक्त धान को खरीदने का हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं । वहीं अन्य प्रदेशों से लगने वाली मुख्य तथा आम सड़क मार्गों से नजदीकी राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों से आवागमन कि जाने वाले मार्गों को बैरीकेटींग किया गया है । जैसे कि रायगढ़ जिले के विकास खण्ड लैलूंगा के पूर्व में जशपुर जिले के पत्थलगाँव विकास खण्ड सुरंगपानी ( कोतबा ) पहुंच मार्ग पर कूपाकानी के पास तथा  ओड़िसा राज्य को जोड़ने वाली मुख्य मार्ग में लैलूंगा के ग्राम पंचायत किलकिला ( हाण्ड़ीपानी ) स्थित बैरीयर एवं वहीं ग्राम पंचायत बसंतपुर के आश्रित ग्राम जमुना स्थित बैरियर से दीगर राज्यों लैलूगा क्षेत्र के धान के बिचौलियों के द्वारा खुलेआम उड़ीसा से ट्रक था पिक-अप वाहनों के माध्यम से धान का अवै कारोबार किया जा रहा है । कोंचिया ही नही क्षेत्र के बड़े – बड़े धान माफियाओं के हाथ होने कि सूचना होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन कि निष्क्रीयत समझ से परे है । प्रतिदिन धान माफिया शाम ढ़लते ही शासन के द्वारा लगाये  बैरीयर से होकर कई दर्जन ट्रक तथा पिक-अप वाहन को उड़ीसा लेकर जाते हैं ? जिसका उपरोक्त बैरीयर में न पूछताछ किया जाता है । और ना ही गाड़ी नम्बर या समय को नोट किया जाता है । जब यह सब नही होता तो फिर शासन ने वहाँ पर कृषि विभाग तथा पुलिस के जवानों को क्यों ड्यूटी पर लगाया गया है । इन तमाम गड़बड़ झाले के बीच ओड़िसा राज्य से प्रतिदिन हजारों क्विन्टल धान का अवैध कारोबार खुलेआन तथा धड्डल्ले से अवैध गतिविधीयाँ संचालित हो रहा है । यह पूरा का पूरा स्थानीय प्रशासन कि मिली भगत से ही संभव हो पा रहा है । जिसके कारण शासन और प्रशासन दोनों को ही लाखों करोड़ों रूपये कि नुकसान होने कि पूरी संभावना है । जिसे जिला  प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन को सख्ती बरतने कि निहायत आवश्यकता है । अन्यथा प्रति वर्ष कि इस वर्ष भी लैलूंगा क्षेत्र मे बहुत बड़े पैमाने पर धान खरीदी में गड़बड़ी होने कि संभावना है । जिसके लिए वर्तमान प्रदेश कि भाजपा सरकार तथा जिला प्रशासन कि बदनामी हो संदेह है । जिसे समय रहते रोकथाम किया जा सकता है । अब यह देखना होगा कि इस समाचार प्रकाशन के बाद शासन स्तर से क्या कसावट लाई जाति है यह तो समय आने पर ही पता चल सकेगा ।

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