छत्तीसगढ़

CM साहब, कब्जे में है मुझ गरीब पहाड़ी कोरवा की घर-जमीन और प्रशासन ने लिखवा लिया, मैं कार्यवाही से संतुष्ट हूं…मारपीट करने वाले माफिया आजाद हैं और मेरी खाली झोली में थमा दिया झूठा आश्वासन…

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कोरबा। मुख्यमंत्री जी, मैं एक ऐसा पहाड़ी कोरवा हूं, जो पिछले एक साल से आपकी सरकार में न्याय की तलाश में भटक रहा हूं। अपने ही हक की घर-जमीन को माफिया और गुंडे किस्म के लोगों के कब्जे से छुड़ाने सरकारी दफ्तरों में एडियां रगड़ रहा हूं। मदद के नाम पर जिला प्रशासन के अफसरों ने झूठा आश्वासन थमा दिया और बदले में मुझसे लिखवा लिया कि मैं उनकी कागजी कार्यवाही से संतुष्ट हूं। बच्चों को जंगल से निकलकर शहर ले आया, बच्चों की अच्छी तालीम दिलाने छोटी सी झोपड़ी खड़ी की,

ताकि कल वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। पर टीन-शीट के बने मुझ गरीब के छोटे से आशियाने पर भी जमीन माफिया की नजर लग गई और उन्होंने कब्जा कर लिया। न्याय मांगने प्रशासन के पास गया तो उन्होंने मारपीट की, जान से मारने की धमकी दी। फिर पुलिस के पास गया तो वहां भी कागजी कार्यवाही की जाती रही और मुझे दिन दहाड़े धमकाया जाता रहा। तमाम मामलों में एफआईआर दर्ज है पर नामजद आरोपी आज भी आजाद हैं और मैं उनसे छिपता घूम रहा हूं।

जिला प्रशासन के झुठे आश्वासन, एवं उदासीन रवैया से परेशान होकर अपने हक के लिए अंतिम सूचना देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम यह पत्र फिरत राम पहाड़ी कोरवा ने कोरबा कलेक्टर को सौंपा है। फिरतराम पहाड़ी कोरवा पिता स्व. पंचराम पहाड़ी कोरवा ग्राम आछीमार का निवासी है। उसने अपने पत्र में लिखा है कि उसकी पैतृक जमीन कोरबा पटवारी हल्का में है, जिसका खसरा नंबर 297/6 स्थित है। इस भूमि पर शीट के घर का निर्माण किया गया था। जिसे कोरवा ने अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए शहर में रहकर पढ़ाई व रोजगार करने के उद्देश्य से बनाया था। इस जमीन पर दलालों की नज़र पड़ गई।

आरोपी चेतन चौधरी व रंजना सिंह ने उसके घर का ताला तोड कर कब्जा कर लिया। इसकी शिकायत जिला प्रशासन व थाना सिविल लाइन में दर्ज कराई और अपराध भी दर्ज कर लिया गया है। इन पर वर्ष 2023 में धारा 447, 294, 506, 34, 3(1)(8), 3 (2) (V) अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण, उसके बाद वर्ष 2024 में धारा 451, 295ए. 34 एवं वर्ष 2024 में ही धारा 294, 506, 323, 34 में अपराध दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा फिरतराम के साथ बहुत बार मार-पिटाई भी इन लोगों के द्वारा की गई है।

इसकी शिकायत पर भी इन लोगों पर सिविल लाइन थाने में विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज हैं। फिरतराम ने बताया कि पूर्व में उन्होंने जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र के जरिए पूरी घटना से अवगत कराया था। तब उसके घर पर कोरबा तहसीलदार सहाबा व एसडीएम को भेज कर विश्वास दिलाया था कि जिला प्रशासन हमारी जमीन पर हुआ कब्जा को मुक्त कराकर वापस दिलाई जाएगी। यह भी कहा गया था कि जमीन का सीमांकन करा कर वैधानिक कार्यवाही आरोपियों पर किया जाएगा। सारे आश्वासन आज भी अधूरे हैं और सिविल लाइन थाना लाकर फिरतराम से यह लिखवा लिया गया कि वे पुलिस व जिला प्रशासन के कार्यवाही से संतुष्ट हैं।

फिरतराम ने बताया कि उनसे यह लिखा कर हस्ताक्षर कराया गया। उस दिन के बाद से आज तक मैं सिर्फ थाना और जिला प्रशासन के चक्कर काट रहा हूं। उनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। फिरतराम के साथ मारपीट करने वाले, जमीन व घर पर कब्जा करने वालों की आज तक ना गिरफ्तारी की गई और ना ही उनके घर व जमीन का कब्जा ही दिलाया गया है। फिरतराम ने अपने पत्र में लिखा है कि आज की तिथि तक अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़कर जो भी जमीन संबंधी कागज़ मुझे मिला है, मेरे द्वारा जो भी शिकायत समय समय पर किया गया, आरोपियों के विरुद्ध दर्ज अपराध की एफआईआर की कॉपी भी पेश की है। उन्होंने सीएम को बताता है कि आदिवासियों पर होने वाली धाराओं को कैसे जिला पुलिस ने नहीं लगाया है। सिर्फ एक में ही आदिवासी अत्याचार की धारा लगाई गई है। सभी कागजात को इस पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास उन्होंने किया है।

अंतिम स्मरण पत्र…फिर CM हाउस आकर परिवार समेत दे देंगे जान

फिरतराम ने लिखा है कि मैं पहाड़ी कोरवा आदिवासी कानून का चक्कर काट काट कर अब थक गया हूं। सभी सरकार झुठ बोलती है। हमें भारत देश के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहते हैं पर यह सब सिर्फ कागजों पर ही है। हमें कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। पैसे के सामने सब नतमस्तक हो गए हैं। मुख्यमंत्री जी आप भी आदिवासी समुदाय से हैं। इसलिए अंतिम बार आप को पुनः स्मरण पत्र देकर न्याय के लिए प्रार्थना करता हूं। मुझे मेरे पैतृक जमीन मुझे दिलाया जाए तथा मेरे साथ मारपीट करने वाले मेरे साथ अन्याय करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। अन्यथा मैं मजबूर होकर अपने पूरे परिवार के साथ आपके निवास स्थान पर आकर अन जल त्याग कर धरने पर बैठकर अपनी जान दे दूंगा।

आरोपियों को पुलिस थाने बुलाया, फिर चाय पिलाकर छोड़ दिया, मेरे हक के घर में ऐश से रहते हैं

हद तब हुई पिछले शनिवार को चेतन चौधरी को सिविल लाइन थाना में बैठाकर रखा गया। पर कुछ घंटे बाद उसे जाने दिया गया। उस पर विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज हैं। फिर भी चेतन चौधरी व रंजना सिंह को बिना किसी कार्यवाही के जाने दिया गया। फिरतराम ने कहा कि उनके द्वारा बनाए गए घर पर ही दोनों आरोपी एक साथ रहते हैं। मेरे द्वारा पूर्व में भी बहुत बार उन्हें अपने घर पर देखकर थाना सिविल लाइन थाने में जाकर अवगत कराया गया था, फिर भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं किया जाता।

रंजना सिंह ने फर्जी आदिवासी बन जमीन रजिस्ट्री कराई, मुआवजा भी लिया, निलंबित है जाति प्रमाण पत्र

फिरतराम ने पत्र में CM को बताया है कि रंजना सिंह के द्वारा फर्जी आदिवासी बनकर जमीन रजिस्ट्री कराई गई, जिसका खसरा नंबर 236/3 है, जो पूर्व में नगर निगम कोरबा में अर्जित किया गया था। उस जमीन का निगम द्वारा मुआवजा भी दिया गया था। रंजना सिंह की फर्जी आदिवासी बनकर जमीन रजिस्ट्री कराने की शिकायत मेरे द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से किया गया था। जिसमें जिला जाति छानबीन समिति ने उसे आदिवासी नहीं माना। उसके फर्जी जाति प्रमाण पत्र को निलंबित कर दिया गया। इतना सब होते हुए भी मुझे न्याय नहीं मिला।

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