कोल्हान में ओड़िया भाषा की रक्षा के लिए ओडिशा सरकार आगे आए
कोल्हान के चाईबासा में भाजपा के परिवर्तन सभा में बतौर अतिथि शामिल हुए ओडिशा के मुख्य मंत्री मोहन चरण माझी से मिले राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक सारंगी और मनोहरपुर के पूर्व विधायक गुरुचरण नायक,
ओड़िया भाषा को बचाने के लिए ओडिशा सरकार से पहल करने के किया निवेदन
चक्रधरपुर। चाईबासा में परिवर्तन सभा के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में।ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चारण मांझी सम्मिलित हुए। इस दरम्यान परिषदन में उनसे राज्य अल्पसंख्यक अयोग के पुर्व उपाध्यक्ष तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक षाडंगी एवं मनोहरपुर के पूर्व विधायक गुरुचरण नायक ने मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने जानकारी दिया की कोल्हान के ओड़िया भाषा संस्कृति को लोप करने के लिए एक षडयंत्र रचा जा रहा है।
जबकि कोल्हान में 33 प्रतिशत ओड़िया भाषा-भाषी के लोग है। वे लोग अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए उत्कल सम्मेलनी के माध्यम से ओड़िया विद्यालयों में मानदेय पर शिक्षक-शिक्षिका रख कर बच्चों को पठन-पाठन करवाते है, जो की ओडिशा सरकार द्वारा सहायता प्राप्त होती है। ना उन्हे ओड़िया पुस्तक मिलती है, ना ही ओड़िया शिक्षक। ओडिया शिक्षक सेवानिवृत हो गए है उनके स्थान पर नए ओड़िया शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है।
वर्ष 2005 में उपरयुक्त समस्याओं के समाधान के लिए ओडिशा सरकार के द्वारा विधानसभा स्तरीय समिति झारखंड भेजा गया था। उसके बाद से ओडिशा सरकार के द्वारा इस क्षेत्र की भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए विधानसभा स्तरीय समिति झारखंड नहीं भेजी गई ना ही किसी प्रकार की करवाई की गई। इस क्षेत्र के ओड़िया भाषा-भाषी लोग भगवान के भरोसे अपनी संस्कृति को बचाने की जद्दोजहद कर रहे है।।इसके साथ ही यह भी बात रखी गई की, जो उत्कल सम्मेलनी के माध्यम से ओडिशा सरकार के सहाता से प्राप्त शिक्षक और शिक्षकों को वर्ष में 10 महीना का मानदेय दिया जाता है।
और जो मानदेय दिया जाता है, वह आर्थिक दृष्टिकोण से कम है। इसलिए कम से कम पांच हज़ार रुपया प्रतिमाह की वृद्धि किए जाने से उनकी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी। साल के दो महीने का जो भुगतान नहीं होता है उसका भी भुगतान करना चाहिए। बीच-बीच में इस क्षेत्र में कला संस्कृति को बचाए रखने के लिए ओडिशा सरकार कला संस्कृति विभाग को निर्देश दें की इस प्रकार के कार्यक्रम क्षेत्र में करने से लोगों का भाषा के प्रति उत्साह बढ़ता रहेगा। अन्यथा एक दिन ऐसा समय आएगा की इस ओड़िया बहुल क्षेत्र से ओड़िया भाषा का ही लोप हो जायगा।