ओबीसी जनगणना व आरक्षण लागू करने की मांग
जीपीम – संविधान में सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया है! जनगणना में इन तीनों वर्गों की दशाओं के आंकड़े एकत्रित किये जाने चाहिए! अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की गणना तो होती है, किंतु राष्ट्रीय जनगणना फार्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग का पृथक से कोड नम्बर नहीं होने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं होती!
संविधान के अनुच्छेद 340 के परिपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए गठित आयोगों (काका कालेलकर आयोग, मण्डल आयोग व मध्य प्रदेश रामजी आयोग) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना कराए जाने बाबत अनुसंशाएं की गई है! तदानुसार इस हेतु संसद में बनी सहमति के आधार पर जनगणना 2011 में पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े एकत्र करने का प्रयास किया गया! किंतु आंकड़े जारी नहीं किये!
लंबित राष्ट्रीय जनगणना 2021 की जनगणना फार्मेट के कालम 13 में ओबीसी के लिए पृथक से कोड न. 3 और अनारक्षित के लिए 4 शामिल कर जनगणना अविलंब की जाए एवं जनगणना उपरांत आंकड़े प्रकाशित किया जाए! जिससे ओबीसी समाज भारत देश के नागरिक होने के नाते जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी (आरक्षण) प्राप्त कर सके!
विगत 30 वर्षों से लंबित ओबीसी आरक्षण 27% छत्तीसगढ़ राज्य में शीघ्र लागू किये जाने, संविधान लागू होने के 43 साल बाद 1993 माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ओबीसी 27% आरक्षण केंद्र सरकार केंद्रीय सेवाओं में दिया गया! साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्य प्रदेश में मात्र 14% आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया है, जो छत्तीसगढ़ में आज पर्यंत लागू है! बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश में ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में असीमित नुकसान हो रही है!
पिछली छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2 दिसंबर 2022 को पारित आरक्षण संशोधन विधेयक में महामहिम राज्यपाल की हस्ताक्षर नहीं हो पाने के कारण 27% आरक्षण लागू नहीं किया गया है! अतः महामहिम राज्यपाल का हस्ताक्षर पारित विधेयक में अभिलंब किये जाने का अनुरोध है!
साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों में ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ आए दिन मारपीट, प्रताड़ना, हत्या, शोषण आदि की वारदात हो रही है! ओबीसी सुरक्षा विधेयक पारित कर नागरिक सुरक्षा प्रदान करने एवं हाल ही में कवर्धा जिला में श्री प्रशांत कुमार साहू का पुलिस हिरासत में दर्दनाक / जघन्य हत्या हुई है! मृतक श्री प्रशांत कुमार साहू के परिवार एवं अन्य मृत परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा एवं दो-दो करोड रुपए की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किए जाने हेतु महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधान मंत्री, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग आयोग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भारत सरकार एवं महामहिम राज्यपाल माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन रायपुर के नाम द्वारा माननीया कलेक्टर जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही को ज्ञापन सौंपा गया!
जिसमें मुख्य रूप से ओमप्रकाश यादव (मनोज)प्रदेश सह सचिव ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़, अशोक कश्यप जिला अध्यक्ष, युवा जिला अध्यक्ष दीपेंद्र यादव,नीलेश गुर्जर,अमित श्री वास गंगाराम यादव,जमुना यादव,सिद्ध नाथ यादव ,मालिक यादव एवं ओबीसी महासभा के पदाधिकारी गण शामिल रहे!