
रायगढ़ @दीपक शोभवानी : जिले के पुसौर क्षेत्र में मुख्य सड़क से महज 5 कदम की दूरी पर एक अवैध ईट भट्टा न केवल धड़ल्ले से चल रहा है, बल्कि प्रशासन की नाक के नीचे नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। इस भट्टे में तकरीबन 2 लाख ईंटें तैयार की गई हैं, जो पूरी तरह अवैध रूप से बनाई गई हैं। भट्टा संचालक ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उनके पास न तो लकड़ी और बालू के वैध दस्तावेज हैं, न ही खनिज विभाग से कोई अनुमति ली गई है। इतना ही नहीं, पंचायत से ली गई पुरानी अनुमति की वैधता भी लंबे समय से खत्म हो चुकी है।
हैरानी की बात यह है कि इस भट्टे के ठीक बगल से प्रतिदिन प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों का आना-जाना लगा रहता है, फिर भी इस अवैध कारोबार पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। संचालक ने बेधड़क अंदाज में कहा कि वे “कुछ लेकर सेटलमेंट” करने को तैयार हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की चुप्पी के पीछे कोई गहरी सांठ-गांठ है? स्थानीय सूत्र का कहना है कि यह भट्टा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि अवैध रूप से संचालित होने के कारण क्षेत्र में नियम-कानून की स्थिति पर भी सवाल उठा रहा है।
जब संचालक से दोबारा जानकारी लेने की कोशिश की गई, तो उन्होंने साफ कहा कि न तो उनके पास खनिज विभाग की अनुमति है और न ही कोई वैध दस्तावेज। इसके बावजूद भट्टा दिन-रात चल रहा है, धूल और धुएँ से क्षेत्र की हवा जहरीली होती जा रही है, जिससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन इस खुले खेल को क्यों अनदेखा कर रहा है? क्या अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा अवैध कारोबार संभव है? स्थानीय लोग अब इस मामले में ठोस कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण और नियमों के पालन के लिए जिम्मेदार विभागों की चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल उठाए है।
क्या प्रशासन अब इस अवैध ईट भट्टे के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाएगा, या फिर यह खेल यूँ ही चलता रहेगा? लकभग 2 लाख ईंटों का यह अवैध कारोबार और प्रशासन की खामोशी अब पुसौर क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बन चुकी है। जनता की नजर अब इस बात पर टिकी है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कब और कैसे कार्रवाई करेंगे। और संबंधित विभाग पर क्या जिला कलेक्टर निलंबित की कार्यवाही करेंगे?