जनप्रतिनिधियों और नगर पालिका की उदासीनता से शहर गंदगी में डूबा
सूरजपुर की ‘शानदार’ चौपाटी बदहाली का शिकार

सूरजपुर कौशलेन्द्र यादव । जिस चौपाटी को कभी शहर की पहचान और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था, वही आज बदहाली, गंदगी और अव्यवस्था की तस्वीर बन चुकी है। चौपाटी में खाने-पीने की चीज़ों के बीच खुले में कचरे के ढेर, मक्खियों और कीटों का जमावड़ा आम नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि लोग 20 रुपये की प्लेट में भोजन के साथ गंदगी और कीटों की “मुफ़्त सौगात” मिलने की बात कह रहे हैं। 
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का आरोप है कि महीनों से नगर पालिका के सीएमओ, जनप्रतिनिधियों और संबंधित अधिकारियों को लगातार अवगत कराने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सोशल मीडिया पर रोज़ तस्वीरें, वीडियो और संदेश साझा हो रहे हैं, अख़बारों में खबरें छप रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों पर मानो कोई असर ही नहीं हो रहा।

नागरिकों का कहना है कि ठेले वाले स्वच्छता शुल्क देने को तैयार हैं—लगभग 25–30 ठेले रोज़ाना 20 रुपये प्रति दिन देने पर सहमत हैं—फिर भी न तो अतिरिक्त सफाई कर्मचारी की व्यवस्था की गई, न ही शाम के समय कचरा उठाने के लिए नगर पालिका की ट्रॉली स्थायी रूप से लगाई गई। पीने के पानी, रोशनी और डस्टबिन जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।
स्थानीय लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि जब ठेले वालों को नगर पालिका की ओर से कोई सुविधा ही नहीं दी जा रही, तो केवल जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना कहां तक सही है? नागरिकों ने सुझाव दिया कि सभी ठेले वालों के लिए डस्टबिन अनिवार्य किया जाए, वहीं चौपाटी में आने वाले लोगों को भी कचरा डस्टबिन में डालने के लिए जागरूक किया जाए। इसके बाद की सफाई की जिम्मेदारी नगर पालिका की हो।
पूर्व अध्यक्ष के.के. अग्रवाल द्वारा बनाई गई चौपाटी की परिकल्पना पर पानी फेरने का आरोप भी लगाया गया। एक साल से दुकानों का आबंटन नहीं हो पाया है। नगर पालिका द्वारा नीलामी की तैयारी से छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारी बाहर हो सकते हैं, जबकि जनहित में दुकानों को किराए पर दिए जाने की मांग उठ रही है।
केवल चौपाटी ही नहीं, बल्कि हाट बाजार, शहर का बाजार क्षेत्र और नालियों की स्थिति भी चिंताजनक है। जगह-जगह खुले सेप्टिक टैंक, नालियों में गंदगी, मक्खियों और मच्छरों की बढ़ती संख्या से बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। नागरिकों ने मांग की है कि सड़क, बाजार और सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकने वालों पर तत्काल जुर्माना लगाया जाए, दिन-रात निगरानी हो और जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए।
हनुमान मंदिर के पास ठेके के नाम पर हो रहे कब्जे पर भी सवाल उठाए गए हैं। लोगों का साफ कहना है कि नगर पालिका सफाई और व्यवस्था के मामले में पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रही है, यही वजह है कि नागरिकों को अपनी बात सोशल मीडिया के जरिए उठानी पड़ रही है।
अब सवाल यह है कि क्या सूरजपुर के जनप्रतिनिधि और नगर पालिका प्रशासन इस जनआक्रोश को गंभीरता से लेकर ठोस निर्णय लेंगे, या फिर शहर यूं ही गंदगी और अव्यवस्था में जीने को मजबूर रहेगा?





