छत्तीसगढ़

प्रेस की आज़ादी पर वार बर्दाश्त नहीं! ऑल मीडिया प्रेस एसोसिएशन के सरगुजा संभाग अध्यक्ष अभिषेक कुमार सोनी ने की राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक उच्चस्तरीय जांच की मांग,मामला पहुंचा दिल्ली तक

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नई दिल्ली/छत्तीसगढ़/बलरामपुर। बलरामपुर जिले के कुसमी एसडीएम करुण कुमार डहरिया द्वारा संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज़ के प्रधान संपादक को भेजे गए कथित मानहानि नोटिस विधिवत रूप से प्राप्त होने से पहले ही एक प्रशासनिक व्हाट्सएप समूह एवं अन्य असंबंधित व्यक्तियों के साथ साझा कर , पत्रकार की सामाजिक, व्यावसायिक और नैतिक प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंचाने को लेकर पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर दबाव के आरोप तेज हो गए हैं। इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए ऑल मीडिया प्रेस एसोसिएशन ने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

एसोसिएशन के सरगुजा संभाग अध्यक्ष अभिषेक कुमार सोनी ने बताया कि इस प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, सरगुजा संभाग आयुक्त तथा कलेक्टर बलरामपुर–रामानुजगंज को पृथक-पृथक पत्र भेजकर निष्पक्ष प्रशासनिक जांच एवं विभागीय संज्ञान की मांग की गई है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित समाचार जनहित में सरकारी दस्तावेजों, प्रशासनिक आदेशों एवं सार्वजनिक अभिलेखों पर आधारित समाचार पूरी तरह तथ्यात्मक एवं सत्यापन योग्य स्रोतों पर आधारित था तथा उसमें किसी भी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध न तो अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया और न ही कोई दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी की गई।

इसके बावजूद समाचार प्रकाशन के बाद संबंधित अधिकारी द्वारा पत्रकार को कथित रूप से डराने और दबाव बनाने की नीयत से मानहानि नोटिस भेजे जाने का आरोप लगाया गया है। संगठन का कहना है कि यह नोटिस विधिवत रूप से प्राप्त होने से पहले ही एक प्रशासनिक व्हाट्सएप समूह एवं अन्य असंबंधित व्यक्तियों के साथ साझा कर दिया गया, जिससे पत्रकार की सामाजिक, व्यावसायिक और नैतिक प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंची है।

ऑल मीडिया प्रेस एसोसिएशन ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं प्रेस की आज़ादी पर सीधा आघात बताया है। संगठन का स्पष्ट कहना है कि स्थापित विधिक सिद्धांतों के अनुसार सरकारी आदेशों, प्रशासनिक कार्रवाइयों और सार्वजनिक अभिलेखों पर आधारित तथ्यात्मक रिपोर्टिंग मानहानि की श्रेणी में नहीं आती।

एसोसिएशन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से इस प्रकरण को प्रेस स्वतंत्रता से जुड़े मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में संज्ञान में लेने, जारी किए गए मानहानि नोटिस की वैधानिकता एवं मंशा की जांच कराने, पत्रकारों को भयभीत करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने तथा दोष सिद्ध होने पर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा करने की मांग की है। साथ ही राज्य शासन को पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।

इस बीच एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश कुमार कुशवाहा ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए इसे अत्यंत गंभीर बताया है। उन्होंने निष्पक्ष, पारदर्शी और उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि संगठन प्रेस की आज़ादी पर किसी भी प्रकार के दबाव या भय उत्पन्न करने के प्रयासों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा और पत्रकारों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।

संगठन का कहना है कि यदि ऐसे मामलों में समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो इससे स्वतंत्र पत्रकारिता का वातावरण प्रभावित होगा और भविष्य में सच उजागर करने वाले पत्रकारों को हतोत्साहित किया जाएगा। एसोसिएशन ने सभी संबंधित प्राधिकरणों से की गई कार्रवाई की जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराने की मांग भी की है।

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