जनता का भरोसा चूर-चूर, पार्टी डूबने की कगार पर!

विद्यावती सिदार की भूमिका पर बड़ा सवाल: क्या कांग्रेस ने पूरी तरह से खो दिया है जनता का भरोसा?
रायगढ़/तमनार@खबर सार :- आज जे.एस.पी.एल तमनार की जनसुनवाई तो हो गई, लेकिन विधायक विद्यावती सिदार की आवाज कहां थी? विरोध के इस तूफान के बीच, उनकी भूमिका इतनी फीकी क्यों नजर आई कि जनसुनवाई को रोकने या स्थगित करने में वह असफल रहीं? क्या विधायक के पास ज़मीन से जुड़ी इस जंग को लड़ने का सामर्थ्य ही खत्म हो चुका है?
और तो और, जिले में कांग्रेस का एक भी नेता जनसुनवाई स्थल पर नज़र नहीं आया। क्या ये दर्शाता है कि कांग्रेस इस आंदोलन से पूरी तरह कट चुका है? कहीं विधायक खुद पर इतना अधिक भरोसा तो नहीं कर रही, जिससे वह खुद को अकेला समझ रही हैं?
ग्रामीणों की बेसब्र आवाज़ों के बीच विधायक का छोटी सी आवाज एक सवाल है — क्या वे इस आंदोलन की चुनौतियों को समझ ही नहीं रही, या फिर राजनीतिक संकोच का शिकार हैं? क्या उमेश पटेल से ऊपर समझती है विद्यावती सिंदर अपने आप को, जनता चाहती है जवाब? जनता चाहती है एक मजबूत नेतृत्व, पर फिलहाल दिख रहा है सिर्फ अफरा-तफरी और असमंजस।
अगर विधायक विद्यावती सिदार यह सोचती हैं कि जनता के दर्द और आंसू उनके राजनीतिक भविष्य से कम महत्वपूर्ण हैं, तो यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि वे कितनी दूर तक इस लड़ाई में टिक पाएंगी। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती और चेतावनी भी है — जिले से लेकर स्थानीय स्तर तक जनता का विश्वास जीतना होगा, नहीं तो गुमनामी में खो जाएगी।
यह संघर्ष सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि जनसत्तात्मक नेतृत्व और राजनीतिक जवाबदेही का भी है।





