धरमजयगढ़ बंग समुदाय की गुडबाजी चरम पर

धरमजयगढ़ मनुष्य एक सामाजिक प्राणी जो अपने कला संस्कृति गौरव बढ़ाने के साथ-साथ शासन की योजनाओं को अपने समाज में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने सामाजिक संगठन तैयार करने व उन्हें मूर्त रूप प्रधान करते हैं वर्तमान में धर्म जयगढ़ अनु विभाग में निवासरत बंगाली समुदाय जिसकी मतदाताओं की संख्या लगभग 5000 है जो किसी पार्टी के एक तरफ मत देकर अपना एकता का परिचय देकर सामाजिक एकता का मिसाल पिछले 70 वर्षों से करता आया है परंतु समाज संगठन के कुछ प्रमुख लोग अपने स्वार्थ के लिए शासन द्वारा दी गई पुनर्वास योजना के तहत् प्रदान की गई भूमि का अपने व अपने रिश्तेदार के नाम अधिकार अभिलेख में कुराचित कर अपने नाम कर लिया जिससे खफा होकर समाज के शिक्षित वर्ग खफा हो गए और उनके विरोध करना परंभा कर दिया हैं।
भारत व बांगलादेश विभाजन के समय भारत सरकार द्धारा युक्तियुक्ति कारण व हिंदुत्व की रक्षा के लिय उन्हें भारत मे कई प्रदेशों में 1960 से 1980 के दशक तक स्थान देकर जीवन यापन करने कृषि भूमि प्रदान किया था। उन समुदाय ने अपने समझा की एक रुपता दिखाते हुए 1960 से 2000 तक कांग्रेस सरकार के साथ रहें इस समय संगठन के प्रमुख लोगो के द्वारा भूमिहीन बताकर शासन को गुमराह करते हुए 10 10 एकड़ भूमि का हक पट्टा बनवा लिया। समय के साथ हो गए उसी दरम्यान भाजपा से उन समुदाय की 60 वर्षों से काबिज़ भूमि का भूमि स्वहि है 2016 मे प्रदान किया गया उस रिफ्यूजी होने पर भी उनके नाम 7 व 5 एकड़ कृषि भूमि का हक पट्टा बना लिया।
समाज के हित व शासन से अन्य सुविधाएं प्राप्त करने छत्तीसगढ़ बंग समाज कल्याण समिति 1998 मैं बनाया गया जिन्होंने समाज हित में अनेक कार्य किया संगठन के कुछ प्रमुख लोगों की आवेदन एक कार्य करने व उनकी कुशलता की पोल खोल जाने पर उन्हें इन समिति से निकाल कर बाहर किया ताल मिले उन्हें समाज हितेशियों के द्वारा नया संगठन अगस्त में बनाकर अपना पूर्व में किए गए अनियमितता को ढंग से कोशिश कर रहे हैं बंगाली विस्थापितों की हल्का 3336 में कॉल ब्लॉक प्रस्ताव होने पर आवेदनीत लोग बड़ा जोर-शोर से समाज की पुण: मुखोटा बनने की कोशिश कर रहे हैं परंतु शिक्षित युवा वर्ग उनकी कार्यकल्पों से दुखी होकर इन्हें साइड लगा दिए हैं फिलहाल बंग समाज समुदाय धरमजयगढ़ दो फाड़ मै बंट चुकी है





