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धरमजयगढ़ में सर्वे का उग्र विरोध: ग्रामीणों का SDM ऑफिस पर धावा, पेसा उल्लंघन का गंभीर आरोप

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प्रतीक मल्लिक ✍️

ग्रामसभा की अनुमति बिना सर्वे—ग्रामीणों में भारी नाराजगी

धरमजयगढ़ में आज बहु-ग्राम स्तर पर उभरे हुए आंदोलन ने एक बड़ा मोड़ ले लिया। मुख्य फोकस कीवर्ड: “Durgapur Mining Virodh” को लेकर दुर्गापुर, शाहपुर, धरमजयगढ़, धरमजयगढ़ कॉलोनी, तराईमार, बायसी और बायसी कॉलोनी के सैकड़ों ग्रामीण अचानक SDM कार्यालय धरमजयगढ़ पहुँच गए।
ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों को घेरते हुए आरोप लगाया कि एसईसीएल बिना ग्रामसभा की सहमति के डीजीपीएस सहित विभिन्न सर्वे कार्य करा रही है, जो पेसा अधिनियम का खुला उल्लंघन है। इस दौरान ग्रामीणों ने जोरदार नारेबाज़ी कर ज्ञापन सौंपा।


पेसा अधिनियम के स्पष्ट प्रावधान—ग्रामीण बोले: अधिकारों की अनदेखी अस्वीकार्य

ग्रामीणों ने बताया कि पेसा अधिनियम की धारा 4(क) भूमि–जल–वन सहित प्राकृतिक संसाधनों पर ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार देती है। धारा 4(घ) व 4(च) के अनुसार खनन, भू-अर्जन, उद्योग और विस्थापन का निर्णय भी केवल ग्रामसभा ले सकती है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रभावित किसी भी ग्रामसभा ने खनन की मंजूरी नहीं दी, बल्कि सर्वसम्मति से विरोध पारित किया है। इसके बावजूद कंपनियों का सर्वे ग्रामीणों की नज़र में अवैध और असंवैधानिक है।


पहले भी आवेदन, पर कार्रवाई शून्य—ग्रामीणों में बढ़ता अविश्वास

ग्रामीणों ने बताया कि 6 नवंबर 2025 को भी सर्वे रोकने के लिए आवेदन दिया गया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
Durgapur Mining Virodh को लेकर बढ़ती चिंता के बीच ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल सर्वे नहीं रोका गया, तो किसान उग्र आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी


1610 हेक्टेयर खनन क्षेत्र में पहले से ही गहरा विरोध

कर्नाटक पावर लिमिटेड को मिला कुल प्रस्तावित क्षेत्र 1610 हेक्टेयर है। यह वही क्षेत्र है जिसे पहले डीबी पावर और बाल्को को आवंटित किया गया था, और जहां जनसुनवाई के दौरान किसानों ने जोरदार विरोध किया था।
किसानों ने तब NGT भोपाल-दिल्ली और हाईकोर्ट में याचिकाएँ दायर की थीं और साफ इनकार किया था कि वे अपनी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे।


कोल स्कैम के बाद बदली स्थिति, पर जमीन बचाने की लड़ाई बरकरार

24 दिसंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने कोल स्कैम मामले में इन दोनों कंपनियों का आवंटन रद्द कर दिया था।
नीलामी के बाद यह क्षेत्र कर्नाटक पावर को मिला, लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि पहले जैसी परिस्थितियाँ आज भी कायम हैं।
किसानों ने फिर से स्पष्ट संदेश दिया है कि धरमजयगढ़ के लोग अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे, और Durgapur Mining Virodh अब और मजबूत रूप ले चुका है।


ग्रामीणों की चेतावनी—“जमीन-बचाओ आंदोलन अब निर्णायक चरण में”

ग्रामीण समुदाय ने कहा कि जिस क्षेत्र में पहले से व्यापक विरोध हुआ है, वहाँ कर्नाटक पावर के लिए खनन शुरू करना आसान नहीं होगा।
ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे अपनी जमीन, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे।

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