छत्तीसगढ़

प्रसिद्ध केरा पीठ में बाल विवाह रोकने चलाया गया जागरुकता अभियान

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कर्रा सोसायटी फॉर रुरल एक्शन पश्चिमी सिंहभूम के तात्वाधान 12 से 14 सितंबर तक विभिन्न अंचलों में चलाया गया यह अभियान ,

2030 तक पूरे देश को बाल विवाह मुक्त कराने की ली सपथ

चक्रधरपुर। देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश भर में चल रहे वैश्विक अंतरधार्मिक सप्ताहांत अभियान के क्रम में रविवार को पोडाहाट अंचल के प्रसिद्ध केरा पीठ में कर्रा सोसायटी फॉर रुरल एक्शन पश्चिमी सिंहभूम की ओर से धार्मिक गुरुओं के माध्यम से इसके रोकथाम के लिए लोगों को जागरुक किया गया एवं इसे 2030 तक पूरे देश के संपूर्ण रुप से समाप्त करने की सपथ दिलाई गई।

कर्रा सोसायटी फॉर रुरल एक्शन के जिला संयोजिका चांदमुनी कालुंडिया, सामुदायिक समाजिक कार्यकर्ता पिंकी बोदरा सहित अन्य सदस्यों ने मंदिर के पुजारी चुनु कर के माध्यम से मंदिर से उपस्थित श्रद्धालुओं ग्रामीणों एवं आस पास के समाज के लोगों को विवाह रोकने और इसे जड़ से समाप्त करने की सपथ दिलाई। पुजारी चुनु कर ने कहा कि केरा मंदिर में बाल विवाह नहीं होता है और मंदिर समिति इसका घोर विरोध करता है। बाल विवाह रोकने इस क्षेत्र में कार्य करने वाले संस्थाओं का हमेशा समर्थन करेगा। 

कर्रा सोसायटी ने किया लोगों को जागरुक
कर्रा सोसायटी के जिला संयोजिका चांदमुनी कालुंडिया की उपस्थिति में बाल विवाह न करने अथवा इसे रोकने के लिए आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में मंदिर के पुजारी चुनु कर ने कहा कि बाल विवाह लड़कों के लिए हानिकारक है ही लेकिन इसका सबसे गहरा असर लड़कियों पर पड़ता है। इसके उसकी पढ़ाई रुक जाता है और साक्षरता कौशल तथा अधिकारों की समझ सीमित रह जाती है।

विवाह के बाद अक्सर लड़कियां बाल मजदूरी में धकेल दी जाती है और उसे पति के परिवार के लिए लंबे समय तक घरेलु कामकाज करना पड़ता है।  बाल विवाह से घरेलु हिंसा बढ़ता है। क्योंकि कम उम्र की लड़की और बड़ी उम्र के लड़के बीच उम्न के फासले के कारण पति हमेशा हावी रहता है। कानूनी सहमति की उम्र से भी कम आयु में विवाह सीधे -सीधे बाल योन शोषण और बलात्कार बन जाता है। कम उम्र की लड़कियां शारीरिक रुप से मां बनने को तैयार नहीं होती, जिससे मां और शिशु दोनों की जान पर संकट आ सकता है। बाल विवाह पूरी दुनिया में बचपन के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। आज भी हर महीने लाखों बच्चों की शादी हो रही है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी धर्म इस बात पर सहमत है कि बच्चे ईश्वर का आर्शीवाद है जिनकी सुरक्षा व संरक्षण नैतिक जिम्मेदारी है। यह भी सर्वमान्य है कि विवाह तभी होना चाहिए जब दोनों पक्ष समझ के स्तर पर परिपक्क हों और जिम्मेदारी के साथ यह दांपत्य जीवन में उतरें। उन्होंने कहा कि भारत में धर्मगुरुओं ने बाल विवाह की रोकथाम में अहम भूमिका निभाई है। यदि दुनिया के सभी धर्मगुरु एकजुट होकर कदम उठाएं तो वे बाल विवाह मुक्त विश्व की दिशा में नेतृत्व कर सकते हैं।

सप्ताहांत में ये हैं कार्यक्रम
12 से 14 सितंबर 2025 के बीच दुनिया भर के धर्मगुरु  अपने अपने समुदायों में स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे। बाल विवाह मुक्त विश्व अभियान छह भाषाओं में चल रहा है जो भारत की सफलताओं को अंतराष्ट्रीय स्तर पर धर्मगुरुओं तक पहुंचाएगा। 100 से अधिक देशों में मंदिर ,मस्जिदों, गिरिजाधरों और अन्य उपासना स्थलों पर चिंतन और संकल्प के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि अपने समुदाय और विश्व से बाल विवाह का अंत किया जा सके।

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