जमीन माफिया का बड़ा खेल, अंबिकापुर में कांग्रेस नेता ने पटवारी की मिलीभगत से शराब पिलाकर रजिस्ट्री करा ली करोड़ो की जमीन

अंबिकापुर में जमीन माफिया का एक बड़ा खेल उजागर हुआ है. अंबिकापुर में एक बार फिर से कांग्रेस समर्थित जनपद उपाध्यक्ष का नाम सामने आया है. इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ खुद पीड़ित परिवार ने किया है. इस पूरे गिरोह में पटवारी श्रवण पांडे के शामिल होने का भी पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है और कहा है कि करीब 5 करोड़ कीमती उनकी जमीन को 59 लाख रुपए में ही माफिया ने खरीद लिया है. जमीन की रजिस्ट्री के दौरान जिस चेक नंबर के माध्यम से रुपए देने की बात कही गई है, उस चेक नंबर से उनके अकाउंट में रुपए भी नहीं आया है. इस पूरे मामले की शिकायत सरगुजा कलेक्टर से की गई है और रजिस्ट्री को निरस्त करने की मांग की जा रही है.

कलेक्टर के कार्यरत रहे कर्मचारी का बेटा हुआ माफिया का शिकार
अंबिकापुर के चोरका कछार निवासी राम आशीष राजवाड़े ने कलेक्टर को एक आवेदन दिया है जिसमें बताया है कि उसके भाई कलेक्ट्रेट विक्रम राजवाड़े में पियून के पद पर कार्यरत था जिसकी मौत हो गई और उसके कुछ दिनों बाद उनकी पत्नी की भी मौत हो गई इसके बाद उनके जमीन पर माफिया की भी नजर पड़ गई. पटवारी श्रवण पांडे उनके घर में माफिया लोगों को भेजना शुरू कर दिया। लेकिन उन्होंने अपनी पुरानी जमीन को बेचने से इनकार कर दिया इसके बाद माफिया, उनके भतीजे हेम प्रकाश राजवाड़े को घर से बहला फुसलाकर ले गए।

उसे 7 दिनों तक अंबिकापुर के रिंग रोड स्थित होटल में रखा गया और उसका मोबाइल फोन बंद रखा गया। परिवार के लोगों ने इसकी शिकायत थाना में भी किया। इसी दौरान पटवारी श्रवण पांडे ने अंबिकापुर जनपद उपाध्यक्ष सतीश यादव के साथ मिलकर जमीन को हेम प्रकाश के नाम पर फ़ौती दर्ज करा दिया, इसके लिए हेम प्रकाश राजवाड़े के पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं लगाया गया जबकि बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के जमीन का फ़ौती नहीं किया जा सकता है.
बहुत कुख्यात है पटवारी, कलेक्टर से शिकायत में कई खुलासे
राम आशीष राजवाड़े में कलेक्टर को दिए आवेदन में बताया है कि ग्राम-चोरकाकछार का हल्का पटवारी श्रवण पाण्डेय जो इन सब कामों के लिये कुख्यात है, वह लंबे समय से मेरे दोनों भतीजे के पीछे पड़ा था. अप्रैल 2025 में पटवारी श्रवण पाण्डेय, जमीन दलाल झूमरपारा भिट्ठी कला के जीतन विश्वकर्मा को सेट कर मेरे भतीजों से मृतक बड़े भाई विक्रम राम के नाम के जमीन का एग्रीमेंट करवा लिया था, जिसकी शिकायत तहसीलदार अम्बिकापुर के लिखित में किया गया था
जिसके बाद से पटवारी श्रवण पाण्डये अन्दर ही अन्दर षड्यंत्र करते हुये जमीन दलाल जनपद उपाध्यक्ष सतीष यादव, इकबाल शाह, खालिक अंसारी, अफताफ शाह को आपस में सेट करने के बाद ये लोग रसूलपुर के असरफुल हक मंसूरी को पैसा लगाने के लिये योजना में शामिल कर बगैर फौती नामांतरण आवेदन दिए गोपनीय तरीके से हल्का पटवारी श्रवण पाण्डेय ऑनलाईन नामांतरण दोनों भतीजों के नाम सात जुलाई 2025 को चुपके से करा दिया और नामांतरण कराते ही नौ जुलाई को हेम प्रकाश राजवाडे को बहला-फुसलाकर ले गये और उसके मोबाईल को बंद कर दिये.
लापता होने पर पुलिस खोज रही थी लेकिन माफिया ने कर लिया अपना काम
आरोप है कि हेम प्रकाश के लापता होने के बाद 12 जुलाई को अम्बिकापुर थाना में उसके गुमशुदगी का सूचना दिया गया. थाना में गुम इंसान क्र. 74/25 दर्ज है। इधर लापता हेम प्रकाश राजवाड़े का पता तलाश पुलिसवाले कर रहे थे जबकि उस दौरान पटवारी श्रवण पाण्डेय हमारे सबसे कीमती जमीन ख.नं.-4959 जो कि मौके पर वर्तमान में 5 लाख रूपये डिसमिल के बाजार मूल्य का है उसे बिक्री कराने के लिये टुकड़ा नक्शा और आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहा था. लेकिन हम लोगों को संदेह हो गया था कि भतीजा को सतीष यादव, खालिक अंसारी और इकबाल शाह ही गायब किये हैं जिस कारण हम लोग भी इन लोगों से पता लगाने का कोशिश कर रहे थे कि हेम प्रकाश को ये लोग अपहृत कर कहां रखे हैं।
इस बीच 16 जुलाई को सतीष यादव और खालिक अंसारी, राम आशीष के पास आकर बताये कि हेम प्रकाश का पता चल गया है वह तहसील कोर्ट में नामांतरण के लिये आया है चलो उससे मिला देते हैं कहकर मुझे, बड़े भाई विंध्यवासिनी राजवाडे, बड़े भतीजा राजेश राजवाड़े को मिलाने के लिये तहसील कोर्ट में लाये और बहाना बनाकर मुझे खालिक अंसारी अपने साथ लेकर बनारस रोड ले गया, जहां अफताफ अंसारी के मोटर सायकल दुकान में बैठा दिया और विध्यवासिनी को इन लोगों के साथ मौजूद ग्राम तकिया का रशीद अपने साथ लेकर जायसवाल होटल ले गया.
पांच करोड़ की जमीन इनके नाम पर कराई रजिस्ट्री
इधर सात दिनों से लापता हेम प्रकाश और राजेश को कला केंद्र मैदान में छोड़ दिये। तब हेम प्रकाश काफी डरा हुआ था, जो पूछने पर कुछ नहीं बता रहा था लेकिन मेरे बडे भतीजा राजेश के अंगूठा में स्याही का निशान देखकर पूछने पर बताये कि कई कागजों में ये लोग हस्ताक्षर कराये हैं। काफी पता करने के बाद मालूम चला कि पटवारी श्रवण पाण्डेय के द्वास षड्यंत्र करते हुये लगभग 5 करोड़ रूपये मूल्य की जमीन को ये सभी लोग बिकवा दिए हैं. जमीन की रजिस्ट्री असरफुल हक अंसारी के पत्नि तब्बसुम परवीन के नाम पर कराया गया है।




