ऑपरेशन कौहुटा” बनाम आपरेशन सिंदूर”

आइए विपक्ष के नजरिए से दोनो अभियानों को समझते है जिनमें भारतीय सेना और खुफिया तंत्र की साख को किस तरह से गहरा धक्का लगा है
एक से बढ़कर एक मूर्ख नेतृत्व दिया है फर्जी राष्ट्रवादियों ने,, एक थे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई। जिन्होंने प्रमाणित तौर पर उस वक़्त पाकिस्तान के तानाशाह राष्ट्रपति जनरल ज़िया उल हक़ से बात करके उसे आपरेशन काहूटा के तहत रॉ के उस खुफिया मिशन की जानकारी दे दी थी। जो बेहद महत्वपूर्ण और गोपनीय था। जिसकी वजह से रॉ के कई देशभक्त एजेंट्स को अपनी जान गंवानी पड़ी थी,साथ ही रॉ के इमेज को भी बहुत गहरा धक्का लगा था।
बात यही खत्म नहीं होती है,1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस नेता पर CIA का एजेंट होने का आरोप भी लगा था,उस पर प्रमाण सहित यह आरोप अमेरिकी पत्रकार सेमुर हर्श ने लगाया था। उसके अनुसार देसाई CIA के ‘सबसे महत्वपूर्ण’ मुखबिर थे और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमेरिका को युद्ध सूचना देने के लिए एजेंसी उन्हें 20,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष का भुगतान किया था।
यही काम आज के आधुनिक राष्ट्रवादी नेता एस. जयशंकर ने आपरेशन सिंदुर के दौरान किया है। इसने अपने इंटरव्यू में खुद स्वीकारा है कि हमले के पूर्व पाकिस्तान को हम उसके देश में संचालित आतंकी ठिकानों पर हमला करने जा रहे हैं। जय शंकर की इसी मूर्खता और पाकिस्तान को पूर्व सूचना दिए जाने की वजह से भारतीय वायुसेना को आपरेशन के दौरान शुरुवाती क्रम में भारी नुकसान उठाना पड़ा और हमने कुछ लड़ाकू विमान भी खो दिया है।
इस क्रम में एक जांबाज भारतीय महिला फाइटर पायलेट के लापता या पाकिस्तान के कब्जे में होने बात भी कही जा रही है। यही वजह है कि बात_बात पर लफ़ासी करने वाला यह बड़बोला नेता आज अपना मुंह छुपाते घूम रहा है। यह आरोप प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की केरल इकाई और वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने संयुक्त रूप से लगाया है।
वहीं भारतीय सेना के कुछ अफसरों ने विगत प्रेस वार्ता में बड़ी बात कही है कि “आपरेशन सिंदूर में हमने केवल पाकिस्तान की सेना से ही नहीं बल्कि चीन और टर्की से लड़ाई लड़ी है। यह बात सेना पूर्व से ही जानती थी! बावजूद इसके केंद्र के कमजोर निर्णयों हमें रोका कि शुरुवाती हमले में पाकिस्तानी डिफेंस को नहीं सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना है,जो आत्मघाती सिद्ध हुआ।
बाद में बड़े शुरुवाती नुकसान के बाद सेना ने अपने हिसाब से हमले किए और निर्णायक जीत हासिल की। इन परिस्थितियों में जब हम दुश्मन देश को और अधिक और सटीक चोट दे पाने की स्थिति में थे,तभी आश्चर्यजनक ढंग से युद्धविराम कर दिया गया। जबकि इसके उलट स्थिति में पाकिस्तान या चीन ऐसा नहीं करते,वो हमारी कमजोरी का पूरा रणनीतिक लाभ लेते। इसलिए सेना की क्षमता पर सवाल सही नहीं है। भारतीय सेना दोनो दुश्मन देशों की तुलना कही अधिक प्रशिक्षित और मारक है।
पवन खेड़ा ने कहा है कि “जो उन्होंने(मोरारजी) किया वह पाप था,अपराध था. जयशंकर का किया कृत्य भी पाप है.और प्रधानमंत्री की चुप्पी उससे भी बड़ा पाप है।।
अभी तक सेना का शौर्य का श्रेय छीनने वाली देश की सरकार ने “आपरेशन सिंदूर” का दुसरा पक्ष
सामने नहीं लाया है,लेकिन राफेल बनाने वाले देश Frans के दसॉ एविएशन (रॉफेल) के अध्यक्ष एरिक ट्रैपियर का कहना है कि भारत-पाक संघर्ष (ऑपरेशन सिन्दूर) में “राफेल जेट में ऊंचाई पर जाकर तकनीकी खामी आ गई थी, जिसके चलते वह क्रैश हुआ है.”
आज हमारे देश का ये हाल है की युद्ध विराम की घोषणा डोलाण्ड ट्रम्प (फूफा)करवाते है और राफेल कितना गिरा ये फ्रांस बता रहा है। जबकी ये रक्षा मंत्री को बताना चाहिये था।
इसका एक आशय यह भी है कि केंद्र सरकार ने निजी हीत के लिए पूरे प्रकरण में सच को दबा कर रखा रहा।
वज़ह यह है कि केंद्र सरकार हर चीज का क्रेडिट तो लेती है ढोल तमाशा के साथ दुनिया को दिखाया जाता है लेकिन जो नुकसान होता है उसको देश से भी छुपाया जाता है! आज कुछ सवाल सरकार से पूछा जा रहा है, इसमें से प्रमुख यह है कि जब साल 2012/13 जितने रूपये में 126 राफेल विमान का सौदा मनमोहन सरकार ने फ्रांस से किया था, उसे महामानव ने कैंसिल करके तीन गुना महंगे कीमत में सिर्फ 36 राफेल विमान ही क्यूँ खरीदा?? वो भी आज साबित हो गया कि लोकल,तकनीकी खराबी वाला राफेल खरीदा गया,जिसमें सरकार और रिलायंस डिफेंस सिस्टम ने मिलकर घोटाले किए हैं। जिसे छुपाने के लिए नींबू मिर्ची का प्रयोग होने के बाद भी राफेल फुस्स निकला….?
वैसे भी अगर आप सेना के शौर्य और साहस का राजनीतीकरण करके उसका श्रेय खुद लेते रहेंगे,तो इस तरह के आरोपों से आप खुद को दुर नहीं कर पाएंगे।।
संकलित लेख
नितिन सिन्हा