छत्तीसगढ़रायगढ़

RAIGARH में अवैध शराब का काला साम्राज्य, भट्टियों को आबकारी विभाग का खुला संरक्षण?

Advertisement

विभाग करता तो है कार्रवाई, लेकिन जनता की नजरों से क्यों छिपाई जाती है सच्चाई?

आरोपियों पर मेहरबानी क्यों? क्या सत्ता संरक्षण के चलते बचाए जाते हैं दोषी?

रायगढ़@दीपक शोभवानी :- रायगढ़ का कोतवाली क्षेत्र अवैध शराब के माफियाओं का अड्डा बन चुका है। शहर के चमचमाते रेस्तरां से लेकर सड़क किनारे की झोपड़ियों तक, बिना लाइसेंस के शराब का धंधा रात-दिन बेरोकटोक फल-फूल रहा है। फैमिली रेस्तरां के नाम पर शराब परोसी जा रही है, तो ढाबों और छोटी दुकानों में खुलेआम बोतलें खुल रही हैं। मगर असली सवाल यह है कि माफियाओं के पास इतनी भारी मात्रा में शराब आती कहां से है? जवाब साफ है—शराब भट्टियां! लेकिन आबकारी विभाग की रहस्यमयी चुप्पी और कार्रवाई की कमी से सवाल उठ रहे हैं: क्या भट्टी मालिकों को खुला संरक्षण मिल रहा है?

रायगढ़-जशपुर रोड, अंबिकापुर रोड और हाईवे के ढाबों में रात होते ही शराब का मेला सजता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह धंधा इतने बड़े पैमाने पर बिना किसी मोटे रसूख और संगठित नेटवर्क के संभव ही नहीं। एक स्थानीय नाम न बताने की शर्त में कहा गुस्से में कहा, “शराब भट्टियों से ही माल की सप्लाई हो रही है। आबकारी विभाग को सबकी खबर है, फिर भी भट्टी मालिकों पर हाथ डालने की हिम्मत क्यों नहीं दिखती?”

सूत्रों का दावा है कि लाइसेंसधारी शराब भट्टियां नियम-कानून को ठेंगा दिखाकर अवैध सप्लाई का खेल चला रही हैं। 20 रु से 50 रु प्रति बॉटल लेते है ऊपर, शराब की खेप माफियाओं तक पहुंचती है, जो बाजार में मोटा मुनाफा कमा रही है। आबकारी विभाग की लचर निगरानी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप इस आग में घी डाल रहे हैं। अगर शराब का स्रोत इतना साफ है, तो भट्टी मालिकों को बचाने का क्या राज है?

पिछले कुछ सालों में अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाइयां नाममात्र की रही हैं। छोटे-मोटे ठेके तो निशाने पर आते हैं, लेकिन भट्टियों को छूने की हिम्मत कोई नहीं दिखाता। 2015 में रायगढ़ के हाईवे ढाबों में शराब की बिक्री की खबरें सुर्खियों में थीं, लेकिन भट्टियों पर कार्रवाई की कोई चर्चा नहीं हुई।

महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता इस धंधे से त्रस्त हैं। शराबखोरी से अपराध, घरेलू हिंसा और आर्थिक संकट बढ़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता ममता राठौर ने गुस्से में कहा, “शराब भट्टियों से सप्लाई हो रही है, फिर आबकारी विभाग क्यों सो रहा है? क्या मोटी कमाई का लालच है या कोई और साजिश?”

लोग जिला प्रशासन और आबकारी विभाग से तुरंत सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। रायगढ़ में अवैध शराब का यह काला साम्राज्य और भट्टियों पर आबकारी विभाग की खामोशी जनता का सब्र तोड़ रही है। क्या प्रशासन इस साठगांठ को तोड़ेगा, या यह धंधा यूं ही बेलगाम चलेगा?

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button