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रायगढ़ में मरीन ड्राइव निर्माण पर बवाल: रात में सड़क पर उतरे लोग, कलेक्टर ऑफिस का किया घेराव

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बिना सूचना तोड़फोड़ के नोटिस से भड़के नागरिक, प्रशासन और पुलिस के बीच देर रात तनातनी

अचानक मिले तोड़फोड़ के नोटिस से मचा हड़कंप

रायगढ़ के जेल पारा क्षेत्र में मरीन ड्राइव परियोजना के लिए घर तोड़ने के नोटिस दिए जाने के बाद शुक्रवार रात शहर में भारी बवाल खड़ा हो गया। सैकड़ों की संख्या में स्थानीय निवासी विरोध जताते हुए देर रात सड़कों पर उतर आए और कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।


विरोध में लगे नारे, प्रशासन के खिलाफ फूटा गुस्सा

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे वर्षों से उसी इलाके में रह रहे हैं और बिना किसी पूर्व सूचना के जब उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की योजना बताई गई, तो यह उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। उनका आरोप है कि नगर निगम ने मुआवजा और वैकल्पिक व्यवस्था पर कोई स्पष्ट बात नहीं की।


बिना पूर्व सूचना और मुआवजे के कार्रवाई पर नाराजगी

स्थानीय निवासी संजय यादव ने बताया, “हमने खून-पसीने से घर बनाया और अब एक रात में तोड़ने का फरमान सुना दिया गया। कोई विकल्प नहीं बताया गया, न ही किसी बातचीत की कोशिश की गई।”
प्रभावित क्षेत्र में नया शनि मंदिर से लेकर जूट मिल के पीछे स्थित छठ घाट तक करीब 100 मकान बताए जा रहे हैं, जो निर्माण क्षेत्र में आ रहे हैं।


भीड़ के पहुंचते ही हरकत में आया प्रशासन, भारी पुलिस बल तैनात

जैसे ही प्रदर्शनकारी देर रात कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, प्रशासन सतर्क हो गया और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया ताकि स्थिति बेकाबू न हो।


SDM पहुंचे मौके पर, लोगों को दी वार्ता की सलाह

रायगढ़ के एसडीएम महेश शर्मा मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि यह परियोजना शहर के ट्रैफिक सुधार के लिए है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि “किसी के साथ अन्याय नहीं होगा और वैकल्पिक व्यवस्था के सुझावों पर विचार किया जा रहा है।”


 जनहित और विकास के बीच टकराव, पारदर्शिता पर उठे सवाल

यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि विकास परियोजनाओं में जनसंवाद और पारदर्शिता कितनी जरूरी है। यदि प्रशासन पुनर्वास नीति को स्पष्ट नहीं करता और प्रभावितों को सम्मानजनक विकल्प नहीं देता, तो जन आक्रोश और प्रशासनिक टकराव भविष्य में और गंभीर रूप ले सकते हैं।

रायगढ़ मरीन ड्राइव प्रोजेक्ट जितना महत्वपूर्ण है, उतनी ही जरूरी है इंसानियत और संवेदनशीलता। यदि विकास के रास्ते पर भरोसा और न्याय को साथ नहीं रखा गया, तो यह सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं, लोगों के सपनों का मलबा भी बन सकता है।


 

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