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“फिर वहीं शुरुआत?” — सुकमा से माओवादियों की चेतावनी, पटवारी और फॉरेस्ट अमले पर गंभीर आरोप

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रायगढ़@दीपक शोभवानी :- सुकमा के कोन्टा क्षेत्र से एक बार फिर माओवादी गतिविधियों के संकेत मिले हैं। माओवादी संगठन की कोन्टा एरिया कमेटी ने एक नया प्रेस नोट जारी कर न केवल सरकार को चुनौती दी है, बल्कि इलाके के पटवारी और वन विभाग के कर्मियों को भी सीधे निशाने पर लिया है।

प्रेस नोट को संगठन के नए सचिव दुल्ला ने जारी किया है। यह उनकी तरफ़ से पहला आधिकारिक बयान है — जिसमें उन्होंने साफ़ तौर पर कहा है कि कोन्टा इलाके में तैनात सरकारी कर्मचारी ग्रामीणों से पैसे वसूल रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं।

माओवादियों का कहना है कि 1980 के दशक में जब बस्तर में आंदोलन की शुरुआत हुई थी, तो वह भी इन्हीं कारणों से — यानि ज़मीन, जंगल और जल पर स्थानीय अधिकार के सवाल को लेकर हुई थी। अब, 45 सालों बाद, वे फिर उसी ‘अन्याय’ को दोहराया जा रहा है, ऐसा उनका दावा है।

एक बड़ा बदलाव ये भी सामने आया है कि अब संगठन के कोन्टा एरिया कमेटी की कमान मंगडू से लेकर दुल्ला के हाथों में सौंप दी गई है। दुल्ला का यह पहला आधिकारिक बयान है, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि संगठन क्षेत्र में फिर से सक्रियता बढ़ा सकता है।

सवाल यह भी उठता है — क्या माओवादी संगठन रणनीति के तहत पुराने मुद्दों को फिर से ज़िंदा कर रहे हैं? क्या ये चेतावनी सिर्फ एक प्रेस नोट है या आने वाले समय में कोई बड़ी कार्रवाई की तैयारी?

अभी तक प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा बलों की हलचल तेज़ हो गई है।

क्या कोन्टा फिर एक बार लाल साये में डूबने वाला है? यह आने वाला समय बताएगा।

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