
प्रेम प्रसंग या जातिगत नफरत? गांव की चुप्पी और पुलिस की तफ्तीश के बीच उलझा मामला
रायगढ़ : छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के बड़ा रबेली गांव में इंसानियत को कलंकित करने वाली घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है। एक 22 साल के युवक को नंगा कर गांव के चबूतरे पर बेरहमी से पीटा गया। सिर फट गया, चेहरा लहूलुहान हो गया, लेकिन न तो उसे पानी नसीब हुआ और न ही रहम। पीड़ित राहुल अंचल का कहना है कि उसकी दलित जाति ने उसे इस क्रूर सजा का निशाना बनाया। दूसरी तरफ, गांव में चर्चा है कि प्रेम प्रसंग ने आग में घी का काम किया। सच क्या है, यह पुलिस की जांच से ही सामने आएगा, जो फिलहाल चार लोगों को हिरासत में लेकर सुराग तलाश रही है।
रात का सन्नाटा और सुबह की बर्बरता
बात 8 अप्रैल की रात की है। बासीन गांव का राहुल बड़ा रबेली में अपनी कथित प्रेमिका से मिलने पहुंचा। लड़की के घरवालों की नजर पड़ी और गुस्से का गुबार फूट पड़ा। रात भर राहुल को पीटा गया। सुबह होते ही उसे गांव के चौराहे पर लाया गया। कपड़े उतारे गए और लाठियों, जूतों की बौछार शुरू हो गई। वायरल वीडियो में राहुल की चीखें साफ सुनाई दे रही हैं। वह पानी मांग रहा था, लेकिन वहां मौजूद भीड़ में से किसी ने उसकी पुकार नहीं सुनी। कुछ लोग बचाने आए, मगर उन्हें धक्के देकर हटा दिया गया।
गांव की चुप्पी, समाज पर सवाल
घटना के वक्त गांव में सन्नाटा था, लेकिन चबूतरे पर भीड़ जमा थी। ज्यादातर लोग तमाशबीन बने रहे। यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या गांव का सामाजिक ताना-बाना इतना कमजोर हो चुका है कि कोई सामने नहीं आया? राहुल को लहूलुहान हालत में रायगढ़ मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
पुलिस की कार्रवाई, सच की तलाश
मालखरौदा पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 296, 115(2), 126(2), 191(2), 109(1), 351(2) और SC/ST एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। चार लोग हिरासत में हैं, जिनसे पूछताछ जारी है। पुलिस ने टीमें बनाकर बाकी आरोपियों की तलाश तेज कर दी है। थाना प्रभारी ने भरोसा दिया है कि जांच निष्पक्ष होगी और जल्द ही सच सामने आएगा।
प्रेम या नफरत? उलझा सवाल
राहुल का दावा है कि उसकी जाति ने उसे निशाना बनाया। गांव में कुछ लोग इसे प्रेम प्रसंग से उपजा गुस्सा बता रहे हैं। दोनों पक्षों की बातों के बीच सच अभी धुंधला है। लेकिन यह घटना समाज के लिए एक आईना है, जो हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम किस दिशा में जा रहे हैं। क्या प्यार करना गुनाह है? क्या जाति आज भी इंसानियत पर भारी पड़ रही है?
आगे क्या?
यह घटना सिर्फ राहुल की नहीं, बल्कि पूरे समाज की कहानी है। सक्ती का यह काला अध्याय हमें याद दिलाता है कि हिंसा और भेदभाव का रास्ता हमें कहां ले जाएगा। पुलिस से उम्मीद है कि वह न सिर्फ दोषियों को सजा दिलाए, बल्कि इस मामले की जड़ तक जाए। राहुल के जख्म तो शायद वक्त के साथ भर जाएंगे, लेकिन समाज के जख्मों को भरने के लिए हमें सबको मिलकर काम करना होगा।