
रेलवे अस्पताल में मनाया गया वर्ल्ड एपीलेप्सी डे
2008 से विश्व भर में 26 मार्च को मनाया जाता है वर्ल्ड एपीलेप्सी(मिर्गी) अथवा पर्पल डे
पपर्ल फीता लगाक र स्वास्थ्य कर्मियों ने किया काम
चक्रधरपुर। चक्रधरपुर रेलवे मंडल अस्पताल के आडिटोरियम हॉल में 26 मार्च बुधवार शाम को वर्ल्ड एपीलेप्सी डे अथवा पर्पल डे (मिर्गी दिवस) मनाया गया। चक्रधरपुर रेलवे अस्तपाल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डा.सुब्रत कुमार मिश्र के मुख्य आतिथ्य में मनाए गए इस समारोह में अस्पताल के चिकित्सा सलाहाकार डा. एस सोरेन ने मिर्गी बिमारी के इतिहास और इसके मनाने के कारण के बारे में विस्तृत रुप में वक्तव्य रखा।
मिर्गी बिमारी के शिकार कनेडियन मूल की 8 वर्षिय बालिका केसिडी मेगन के नाम और मिर्गी के जागरुकता के लिए बैगनी (पर्पल) रंग लेबंडर फूल के नाम से मनाए जाने वाली मिर्गी दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तूत किया। 2008 को इस बिमारी को कनेडियन एपीलेप्सी एसोसिएशन और नेशनल फाउंडेशन फार एपीलेप्सी के द्वारा केनेडियम मूल की 8 वर्षिय बालिका केसिडी मेगन से मिर्गी बिमारी की पहचान मिली।
मिर्गी के जागरुकता के लिए उन्होंने बैगनी बेलंडर फूल के प्रतीक को वैश्विक रुप से वर्ल्ड एपीलेप्सी डे घोषित किए जाने के बारे में विस्तृत जानकारी साझा किया। उन्होंने इस बीमारी को एक न्यूरोजिकल डिसऑर्डर बताया और इसके शिकार मरीज के साथ हमेशा पॉजिटिव और सहयोंगात्मक वातावरण स्थापित करने का प्रयास करने की बात कही।
उन्होंने मिर्गी दौरा पड़ने पर जूता गोबर सुंघाने तथा जादू टोना के ग्रामीण प्रथा को अंधविश्वास करार दिया। उन्होंने कहा कि इस लाईलाज बिमारी ले सतर्कता बरतकर सामान्य जीवन व्यतीत किया जा सकता है। डॉ सोरेन ने मिर्गी के शिकार व्यक्ति को कभी भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। इसलिए इसके शिकार व्यक्ति को पानी, आग, चलते मशीन के पास जाने से बचना चाहिए। उनके साथ हमेशा कोई न कोई व्यक्ति का होना आवश्यक है।
मिर्गी का दौरा आने पर मरीज को नियंत्रण करने का प्रयास करें। उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाकर सुलाने का प्रयास करें। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. मिश्र ने इसकी जागरुकता पर बल दिया और कहा कि मिर्गी बिमारी के शिकार व्यक्ति कुछ सावधानियां बरत कर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। लोगों को मिर्गी के जागरुक ता लाने का प्रयास किए जाने की बात कही।
डा. जी सोरेन मिर्गी के ईलाज, इसके प्रकार और सावधानियों के बारे में बताया। इस अवसर पर अन्यों में से एसीएमएस डा. सुष्मा अनिता संगा, डा. नंदिनी षन्ड ने भी अस्पताल में ड्यूटी के दौरान मिर्गी के मरीजों के ईलाज के अनुभव का साझा किया। इस समारोह में डा. बी के रजक सहित अस्पताल के मेट्रन जयंती सुंडी पारा मेडिकल, नर्स एवं स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए। सभी ने पपर्ल रंग के रिबन लगाकर इस दिवस को मनाया।