छत्तीसगढ़

भारी बारिश व ओलावृष्टि से कई घरों में घुसा पानी, किसानों के फसल को भारी नुकसान, कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील

कुसमी । शुक्रवार की दोपहर में हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से बलरामपुर जिला के सामरी क्षेत्र में किसानों की रही सही उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिर गया.

दोपहर तकरीबन एक बजे आसमान में काले बादलों ने डेरा डाला और फिर जमकर बारिश शुरू हुई तो लगभग आधे घंटे तक जमकर बारिश के साथ – साथ बर्फ का ओला भी गिरी. इस दौरान बारिश से गांव के कई इलाकों में पानी जमा हो गया. तथा कई ग्रामीणों के घरों में बरसाती पानी घुस गई. बड़ी मसक्कत से लोगों ने पानी घरों से निकाला.

कच्ची सड़क कीचड़ में सनी

हिण्डालको इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसे बड़ी कम्पनिया इस इलाके में बॉक्साईट दोहन का काम कई वर्षो से कर रही हैं. कम्पनी द्वारा निर्धारित बॉक्साईट टनो के अनुसार शासन – प्रशासन को गौण खनिज मद में रॉयल्टी देते आ रही हैं जिससे क्षेत्र का विकास हो सके बावजूद इसके ग्रामीण इलाके में कई कच्ची सड़क हैं. सभी कच्ची सड़क बारिस कीचड़ में सन गये जिसमे ग्रामीण अंचल के लोगों को आवागमन में भी बाधाये उत्पन्न हो रही हैं।

किसानों को लगा झटका

बेमौसम बरसात से किसानों को एक बार फिर झटका लगा है. सामरी पाठ में कई किसानों ने नस्पट्टी फल के लिए वृक्ष तैयार किया हैं. भारी बारिश व ओला वृष्टि से उन्हें में अच्छा खासा नुकसान पंहुचा हैं. इसके अलावा कई इलाकों मेें अभी मसूर,चना,मटर और गेहूं की कटनी नहीं हुई है. कई स्थानों पर काटे गये फसल खलिहान में दौनी के लिए रखे हुए हैं. बारिश हो जाने से रबी की फसल पूरी तरह भींग गये हैं.

जिससे उनके खराब होने की संभावना बढ़ गयी है. कई जगह चना व मसूर सहित अन्य रबी व तेलहन की फसल भी बर्बाद हो जाने का खतरा बढ़ गया है. कुल मिलाकर इस बारिश से किसानों को खासा नुकसान हुआ है. बारिश के कारण दलहनी फसल का भारी नुकसान का खतरा मंडरा रहा. मौसम के बनते-बिगड़ते मिजाज के बीच संध्या से जिला में हुई तेज बारिश का असर रबी सीजन की फसलों पर पड़ना तय है.

बारिश होने से रबी फसलों के पर बर्बादी के बादल मंडरा रहे थे. जानकारों का कहना है. कि तापमान घटने का फायदा रबी की प्रमुख फसल गेहूं को मिलेगा. लेकिन अच्छी धूप शीघ्र न मिलने से दलहनी व तिलहनी फसलों का नुकसान भी लगभग तय है. बारिश होने से मसूर, गेहूं, चना, मटर आदि के पौधे के फूल झड़ गये और जो पककर तैयार थे. जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें उभर आयी हैं।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button