छत्तीसगढ़

सुरबुड़ा पंचायत के दोरगासाई में आदिवासी समाज का महान पर्व आयोजित,

डॉ विजय सिंह गागराई ने मांदर बजा कर किया सामूहिक नृत्य का शुभारंभ

चक्रधरपुर। चक्रधरपुर प्रखंड के सुरबुड़ा पंचायत के दोरगासाई गांव में आयोजित मागे पर्व में समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे ।

जहां ग्रामीणों ने मांदर बजा कर तथा सामूहिक नृत्य करते हुए उनका स्वागत किया.कार्यक्रम का शुभारंभ दिऊरि द्वारा सामाजिक परंपरा के अनुसार ग्रामीणों की उपस्थिति में पूजा अर्चना करके की गई .मौके पर डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि मागे पोरोब में प्रकृति यानी जल, जंगल, जमीन की पूजा होती है. पूंजी (अन्न) पृथ्वी को अर्पित किया जाता है. हो समुदाय मूल रूप से कृषक हैं. इस समय नई फसल घर आ जाती है. लोग घरों की सफाई, लिपाई-पुताई करते हैं. नए कपड़े पहनते हैं।

ग्राम देवता की पूजा गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते हुए धूमधाम से की जाती है.उन्होंने कहा पूरा गांव खुशियों से झूम उठता है. जगह-जगह मागे मेला लगता है. दूर-दूर से नाते-रिश्तेदार घर आते हैं. नई फसल से तरह-तरह के पकवान बनाकर खाए-खिलाए जाते हैं. होलोंग पीठे खास तौर पर बनाए जाते हैं.

उन्होंने कहा कोल्हान क्षेत्र में यह 7 दिन तो पोड़ाहाट क्षेत्र में 3 दिनों तक मागे मनता है.पहले दिन घर की लिपाई-पुताई होती है.दूसरे दिन दिऊरी (मुख्य पुजारी) उपवास रखकर अपने सहायकों के साथ जायरा या जाहेर स्थान (पूजा स्थान) में मागे पूजा करते हैं.तीसरे दिन बड़ा पूजा होता है,

जिसे जातरा बोंगा कहते हैं. पूजा के बाद देवता को गांव लाते हैं. फिर रात पर नाच-गान होता है. उन्होंने कहा हमें अपनी संस्कृति को बचाये रखने की जरूरत है.इस अवसर पर मुख्य रूप से मुकुन बानरा, रासाय सामड, कुंवरसिंह बोदरा, सीयू सामड, संतोष बोदरा, लक्ष्मण सामड, संतोष सिंहदेव,रामराई सामड के साथ साथ काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

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