chakradharpur : पुराना बस्ती सीढ़ी घाट से 7 जुलाई को निकलेगी महाप्रभु जगन्नाथ जी का रथयात्रा
पोडहाट राजघरना काल से चलीं आ रही ऐतिहासिक रथ यात्रा का भार कई पीढ़ियों से संभाल रहा हैं मिश्र परिवार
चक्रधरपुर (Sanat Pradhan) चक्रधरपुर का ऐतिहासिक पुराना बस्ती रथ यात्रा को लेकर रथ का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अब इसे सजाने संवारने का काम शुरू कर दिया गया है। आगामी सात जुलाई को रथ यात्रा निकाली जायेगी।भगवान जगन्नाथ 22 जून को देवस्नान पुर्णिमा के बाद से ही बीमार हो कर अब स्वास्थ्य लाभ कर चुके हैं। सात जुलाई को अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पुराना बस्ती स्थित सीढ़ी घाट से रथ में सवार होकर थाना के समीप स्थित मौसीबाड़ी अर्थात गुंडिचा मंदिर प्रस्थान करेंगे।
53 वर्षों के बाद इस बार भगवान श्री जगन्नाथ जी का रथयात्रा 2 दिन का संयोग बन रहा है जिसके फलस्वरूप भगवान का रथ 7 जुलाई आषाढ़ मास के द्वितीया तिथि को निकलकर 8 जुलाई को मौसीबाड़ी पहुंचेगा। इस बार एक ही तिथि 7 जुलाई को ही नेत्रोत्सव या नवयौवन दर्शन और रथयात्रा का एक साथ संयोग बन रहा है। घूरती रथ या बहुड़ा रथयात्रा 17 जुलाई को आयोजित होगा। इस अंतराल में मौसीबाड़ी में भगवान का प्रत्येक दिन भोग श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया जाएगा। रथयात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस भव्य रथयात्रा को देखने के लिए अंचल के लोगो के अलावा दूर दूर से लोग यहां आते है।
बताया जाता है की आजादी के पहले से ही पुराना बस्ती में रथयात्रा का आयोजन होता आ रहा है। चक्रधरपुर के पुराना बस्ती रथयात्रा का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम के पहले से जुड़ा हुआ है। यहां आजादी से पहले से ही रथयात्रा निकाला जाता है। जो आज भी कायम है। पूर्व वार्ड पार्षद दिनेश जेना ने बताया कि चक्रधरपुर में पोड़ाहाट राजधारने द्वारा रथ यात्रा निकाली जाती थी। लेकिन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी गिरफ्तारी से पूर्व महाराजा अर्जुन सिंह ने पुराना बस्ती के मिश्र परिवार को महाप्रभु जगन्नाथजी के सेवा के लिए उनको प्रतिमा सुपुर्द कर दी थी।
इसके बाद मिश्र परिवार द्वारा खपरैल घर में ही भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती थी। कालांतर में पुराना बस्ती वासियों ने भगवान जगन्नाथजी के साथ मंदिर में भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित किया । देश की आजादी के बाद शहर के व्यवसायी व समाजसेवी शिवराम दास के प्रयास से वर्तमान जगन्नाथ मंदिर और गुंडिचा मंदिर का पुनरुद्धार किया गया। वहीं आज भी मिश्र परिवार के मुरारी मोहन मिश्र, प्रवीर मिश्रा, शिबू मिश्रा द्वारा रथ यात्रा की तैयारी की जाती है।
पुजारी मुरारी मोहन मिश्र कहते है की भगवान श्री जगन्नाथजी की सेवा उनके परिवार का कई पीढ़ी करती आ रही है। उनकी जानकारी के मुताबिक मिश्र परिवार के गदाधर मिश्र, नारायण मिश्र, आशुतोष मिश्र और अब मुरारी मोहन मिश्र इसका बागडोर संभाल रहे हैं स्थानीय लोगों की माने तो पहले 16 पहियों का रथ निकाला जाता था। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण धीरे धीरे पुराना बस्ती रथयात्रा की भव्यता संकुचित होती चली गई और आज सिर्फ छह पहियों का ही रथ निकाला जाता है।